लड़कियों या महिलाओं के ब्रेस्ट साइज पर भी पर फर्टिलिटी निर्भर करती है। इसलिए पूरी तरह से डेवलप ब्रेस्ट होने से ऐसा समझा जा सकता है की शरीर में हॉर्मोन ठीक तरह से काम कर रहें हैं। हालांकि ऐसा समझना गलत होगा कि अगर किसी महिला का ब्रेस्ट साइज छोटा है तो वह गर्भवती नहीं हो सकती।
और पढ़ें-ऑव्युलेशन के दौरान दर्द क्यों होता है? इसके उपचार क्या हैं?
महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 6 – पेल्विक पेन
PMS (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के दौरान पेल्विक में पेन या क्रैंप होना फर्टिलिटी की निशानी है, लेकिन ज्यादा दर्द होना और लंबे वक्त होना परेशानी का कारण बन सकता है। ऐसे में ओवेरियन सिस्ट या इंडोमेट्रिओसिस की समस्या हो सकती है।
महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 7 – आसानी से गर्भधारण होना
कई बार महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं या IUD (इंट्रायुट्राइन डिवाइस) जैसे प्रिकॉशन के बावजूद गर्भवती होना महिला का अत्यधिक फर्टाइल होना दर्शाता है।
ऊपर दिए गए 7 पॉइंट्स महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण माने जाते हैं। इनसे आप अपनी फर्टिलिटी भी जांच सकती हैं। हालांकि अगर किसी महिला को पीरियड्स या फर्टिलिटी से जुड़ी कोई परेशानी है, तो वह गर्भधारण नहीं कर सकती ऐसा नहीं है। बदलते वक्त में टेक्नोलॉजी भी बदल चुकी है और फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए कुछ खास आहार का सेवन भी अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
ऑव्युलेशन के दौरान शरीर में परिवर्तन
ऑव्युलेशन के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। शरीर की अच्छी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता किसी भी महिला की प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने का काम करती है। यदि कोई महिला फर्टाइल टाइम में सेक्स करें तो प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक रहती है। ऑव्युलेशन के समय शरीर में बदलाव नजर आते हैं। जानिए ऑव्युलेशन के समय शरीर में क्या चेंजेंस होते हैं।
ऑव्युलेशन के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। शरीर की अच्छी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता किसी भी महिला की प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने का काम करती है। यदि कोई महिला फर्टाइल टाइम में सेक्स करें तो प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक रहती है। ऑव्युलेशन के समय शरीर में बदलाव नजर आते हैं। जानिए ऑव्युलेशन के समय शरीर में क्या चेंजेंस होते हैं।
महिलाओं के लिए ऑव्युलेशन की गणना करना बहुत आसान है। महिलाएं साइकिल के दौरान 11 से 21 दिनों में ऑव्युलेशन करती हैं। पहला दिन पीरियड्स का दिन माना जाता है। इस हिसाब से महिलाएं आठवें दिन और 21वें दिन ऑव्युलेशन करती हैं। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंट होना है तो उसे आठवें दिन से 21वें दिन तक सेक्स करना चाहिए। ऐसे में प्रेग्नेंट होने की संभावना अधिक होती है।
ब्रेस्ट में हल्का पेन होना
ऑव्युलेशन का समय जब आता है तो किसी भी महिला के शरीर में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं। महिला को ऐसे में ब्रेस्ट में हल्का पेन महसूस हो सकता है। ऐसा महिलाओं को पीरियड्स हो जाने के बाद एहसास होता है। वहीं कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट रोजाना की अपेक्षा कड़ापन महसूस हो सकता है। ऐसे में ब्रेस्ट में हल्का सा झटका या फिर छूने भर से भी दर्द का एहसास हो सकता है।
डिस्चार्ज में बदलाव
हर महिला में थोड़ा बहुत डिस्चार्ज आता है लेकिन ऑव्युलेशन के समय डिस्चार्ज सफेद और थिक हो जाता है। ऑव्युलेशन के समय डिस्चार्ज के कारण गीलेपन का एहसास भी होता है। ये ऑव्युलेशन के लक्षणों में से एक है।
सेक्स की अधिक इच्छा
जब शरीर में हार्मोनल चेंज होते हैं तो इच्छा में भी बदलाव महसूस होता है। इन्ही में से एक ऑव्युलेशन का समय। ऑव्युलेशन के समय पर महिलाओं को सेक्स की इच्छी ज्यादा होती है। ऐसा हार्मोन में आए बदलाव के कारण होता है।
हल्का सा मरोड़ महसूस होना
अगर कोई भी महिला उपरोक्त दिए गए लक्षणों को महसूस करेगी तो वो आसानी से पता लगा सकती है कि कब ऑव्युलेशन की प्रोसेस हो रही है। ऑव्युलेशन के दौरान पेट में हल्की सी मरोड़ यानी क्रैंप का एहसास भी हो सकता है। ये बहुत ज्यादा नहीं होता है लेकिन इसका एहसास महिला कर सकती है।
कलेंडर चेक करना न भूलें
आपको यहां कुछ लक्षण बताएं गए हैं, जिनके आधार पर ये बताया जा सकता है कि ऑव्युलेशन कब हो रहा है। आप लक्षणों के साथ ही कलेंडर की हेल्प भी ले सकते हैं। आपका जब भी पीरियड शुरू हो, उसके 11 दिन से लेकर 21 दिनों तक आप चाहे तो सर्कल भी कर सकती हैं। ऐसा करने से आपको जानकारी रखने में मदद मिलेगी। अगर आप चाहे तो ऑव्युलेशन प्रिडक्टर किट का उपयोग भी कर सकती हैं। किट ल्यूटेनाइजिंग हार्मोन की मदद से ऑव्युलेशन के समय को बताने का काम करती है।