एंडोमेट्रियोसिस का फर्टिलिटी पर असर
एंडोमेट्रियोसिस कई तरह से फर्टिलिटी को प्रभावित करती है। अधिकांशतः एंडोमेट्रियोसिस अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब में होती है जिससे महिला की गर्भधारण की क्षमता प्रभावित होती है, लेकिन यह लिवर, फेफड़ों और यहां तक की मस्तिष्क में भी हो सकती है। किसी भी स्थिति में इसका विकास हर महीने होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान एंडोसेट्रियोसिस टिशू टूटकर रक्त के साथ बाहर आ जाते हैं जिसकी वजह से शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द और असुविधा महसूस होती है। समय के साथ अथेसियंस [ADHESIONS] और स्कार टिशू बनते हैं जो फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।
लैप्रोस्कोपी क्या है?
लैप्रोस्कोपी एक प्रकार की सर्जरी है जिसे कीहोल सर्जरी भी कहा जाता है, का इस्तेमाल प्रजनन संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। हालांकि, इसका उपयोग पेट की अन्य समस्याओं और पेल्विक सर्जरी के लिए भी होता है। यह बहुत ही आम सर्जरी है, जिसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं, खासतौर पर फर्टिलिटी से जुड़े। अक्सर महिलाएं जानना चाहती हैं कि क्या लैप्रोस्कोपी के बाद उनकी प्रेग्नेंट होने की संभावना पर क्या असर होगा। दरअसल, हर महिला का केस अलग-अलग होता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि लैप्रोस्कोपी का आमतौर पर महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता है। बल्कि यह सर्जरी गर्भधारण में आने वाली रुकावटों को दूर करने में मदद करती है।
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फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए लैप्रोस्कोपी
कई महिलाएं पेल्विक फैक्टर इनफर्टिलिटी की वजह से कंसीव नहीं कर पातीं। जिसका मतलब है कि उनके पेल्विस और रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट के बीच कोई शारीरिक समस्या है जो उन्हें प्रेग्नेंट होने से रो रही है। पेल्विक फैक्टर इनफर्टिलिटी कई कारणों से हो सकती है जिसमें, किसी तरह के संक्रमण, इंजरी या सर्जरी से बने स्कार टिशू, एंडोमेट्रियोसिस, ओवेरियन सिस्ट, पॉलिप्स या गर्भाशय में फाइब्रॉएड शामिल हैं। लैप्रोस्कोपी उन समस्याओं का निदान करती है जिसका पता अल्ट्रासाउंड से नहीं चल पाता और फिर उसका इलाज किया जाता है।
लैप्रोस्कोपी के बाद एहतियात
लैप्रोस्कोपी के बाद क्या सावधानी और एहतियात बरतनी है इसके बारे में तो डॉक्टर आपको बताएंगे ही। साथ ही कुछ छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना होगा जैसेः
- सर्जरी के बाद हुई सूजन को कम करने के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें।
- सर्जरी के 24 घंटे बाद थोड़ा बहुत चल सकती हैं और थोड़ी बहुत फीजिकल एक्टिविटी भी ठीक है, लेकिन यह बहुत अधिक नहीं होना चाहिए।
- सर्जरी के चीरे को हमेशा चेक करते रहें और नियमित रूप से डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं।
- सर्जरी के बाद आपका पहला पीरियड अधिक दर्दनाक हो सकता है।
- प्रिस्क्रिप्शन दवाओं और पेन किलर से शरीर का दर्द और गैस की समस्या कम हो सकती है।
- सर्जरी के बाद अधिक तरल पदार्थ पिएं और हल्का भोजन करें। मसालेदार भोजन से परहेज करें।
- एक हफ्ते तक ड्राइविंग न करें।
- दो हफ्ते तक टैंपून का इस्तेमाल न करें और सेक्स से ही दूर रहें।
क्या लैप्रोस्कोपी से गर्भधारण की क्षमता को नुकसान पहुंचता है?
कुछ महिलाएं जो फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोटिक घावों को हटाने या हाइड्रोसालपिनिक्स [hydrosalpinx] की मरम्मत या फैलोपियन ट्यूब को अनब्लॉक कराने के लिए लैप्रोस्कोपी करवाती हैं, सर्जरी के बाद उनके प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि कुछ मामलों में लैप्रोस्कोपी के बाद गर्भधारण की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसलिए यदि आप लैप्रोस्कोपी के बाद जल्द मां बनना चाहती हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें:
- सर्जरी के बाद घावों को भरने में समय लगता है इसलिए आपको कंसीव करने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। हर महिला की रिकवरी टाइमिंग अलग-अलग हो सकती है। इसमें कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं।
- जिस जगह चीरा लगाया गया है उस जगह का खास ध्यान रखें।
- एक साथ अधिक न खाएं, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाएं।
- शरीर को आराम दें और तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।
- सर्जरी के बाद जब तक आपके घाव पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, सेक्स से परहेज करें।
यदि लैप्रोस्कोपी के 6 महीने बाद भी आप प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं, तो गर्भधारण की क्षमता बढ़ाने के लिए अन्य फर्टिलिटी उपचार किए जा सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि लैप्रोस्कोपी से जुड़ी ये जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। किसी प्रकार की शंका होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।