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जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या
प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं (Problems during pregnancy) बहुत सी होती है लेकिन एक बहुत आम परेशानी आती है जेस्टेशनल डायबिटीज की। जेस्टेशनल डायबिटीज ऐसी समस्या है जो ब्लड में शुगर की मात्रा को बढ़ा सकती है। प्रसव के बाद स्थिति ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाएं व्यायाम के माध्यम से शर्करा के स्तर को बैलेंस कर लेती हैं। डॉक्टर 24 से 28वें सप्ताह में बीच आपके ग्लूकोज की जांच करते हैं। डिलिवरी के बाद समस्या समाप्त हो सकती है। कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं होती है लेकिन वो बाद में खुद ही ठीक हो जाती है।
प्रसव से पहले संकुचन की स्थिति
इस दौरान आपको 37वें सप्ताह में संकुचन का आभास हो सकता है। समय से पहले प्रसव आपके बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। प्रीटर्म लेबर को दवाओं के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है। अध्ययन के दौरान पता चला है कि इसे प्रोजेस्ट्रॉन की सहायता से ठीक किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं मां के साथ बच्चे को भी परेशान करती है।
डिलिवरी के समय स्टिलबर्थ
डिलिवरी के समय स्टिलबर्थ से मतलब बच्चे की मौत से है। प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं (Problems during pregnancy) होने पर समय से डॉक्टर को दिखाएं। कभी-कभार प्रेग्नेंसी के दौरान मां को बच्चे के मूवमेंट का पता नहीं चलता ऐसे में स्टिलबर्थ का खतरा बढ़ जाता है। जब डिलिवरी के पहले या फिर डिलिवरी के बाद बच्चे की किसी कारणवश मौत हो जाती है तो उसे स्टिलबर्थ कहते हैं। ये प्रेग्नेंसी लॉस को इंडिकेट करता है। अर्ली स्टिलबर्थ 20 से 27 हफ्तों के दौरान होता है जबकि लेट स्टिलबर्थ 2
8 से 36 सप्ताह में होता है। टर्म स्टिलबर्थ 37 हफ्तों या फिर उसके बाद होता है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान मिसकैरिज
प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं कई बार मिसकैरिज तक हो सकती है। प्रेग्नेंसी के 20 वें सप्ताह में जब फीटस या एम्ब्रियो की मौत हो जाती है तो उसे मिसकैरिज कहते हैं। मिसकैरिज ज्यादातर प्रेग्नेंसी के शुरुआत में होता है। दस में आठ मिसकैरिज प्रेग्नेंसी की शुरुआती तीन महीनों में होते हैं। लगभग 10 से 20 % प्रग्नेंसी मिसकैरिज की वजह से खत्म हो जाती हैं।
प्रग्नेंसी में ब्लीडिंग की समस्या
करीब 20 % महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय ब्लीडिंग की समस्या से जूझती हैं। ये पहले 12 सप्ताह के दौरान देखने को मिलता है। पहली तिमाही के दौरान या कंसीव करने के 12 दिनों के बाद इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो सकती है। अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है तो ये खतरे का संकेत भी हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं छोटी हो या बड़ी एक बार डॉक्टर से सालह जरूर लें।