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क्या स्तनपान का फर्टिलिटी पर असर पड़ता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/08/2020

    क्या स्तनपान का फर्टिलिटी पर असर पड़ता है?

    पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे की प्लानिंग के दौरान अक्सर कुछ महिलाओं के मन में ये ख्याल आता है कि  “क्या उसकी प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पहली जैसी है या नहीं?”  इस बारे में वाराणसी स्थित चंद्रा हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. कुसुम चंद्रा ने बताया कि “अगर कोई महिला चाहती है कि पहले बच्चे के तुरंत बाद दूसरे बच्चे को जन्म दे, तो ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि प्रसव के बाद से कम से कम तीन महीने तक महिला के शरीर में ओव्यूलेशन नहीं होता है। जिससे उसके पीरियड्स भी नहीं आते हैं। इसी से महिला की स्तनपान का फर्टिलिटी पर असर नहीं पड़ता है। एक बार पीरियड्स सही तरीके से शुरू हो जाए तो महिला दोबारा गर्भवती हो सकती है। लेकिन, दो बच्चों में कम से कम तीन साल का अंतर रखना चाहिए।”

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    डिलिवरी के बाद प्रजनन क्षमता (Fertility) कब वापस आती है?

    पहले बच्चे को जन्म देने के स्तनपान कराने से कई महीनों तक महिला के पीरियड्स भी नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अब दोबारा मां नहीं बन सकती है। स्तनपान के दौरान प्रेगनेंसी ना होने के लिए हॉर्मोंस जिम्मेदार होते हैं। मेडिकल साइंस की भाषा में हम इसे लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड भी कहते है। एक बार पीरियड्स अगर नियमित आने लगे तो आपकी प्रजनन क्षमता फिर से पहले जैसी हो जाती है।

    क्या है लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (LAM)?

    लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड को शॉर्ट में एलएएम कहते हैं। इसे स्तनपान गर्भनिरोधक विधि (स्तनपान का फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है ऐसा समझा जाता है) के तौर भी जाना जाता है। यह स्वतः होने वाली एक प्रक्रिया है। डिलीवरी के तुरंत बाद महिला के योनि से रक्तस्राव शुरू हो जाता है जो लगभग एक माह तक चलता रहता है। एक माह रक्तस्राव के बाद मां को आने वाले कुछ माह (लगभग पांच या छह महीने) तक पीरियड्स नहीं आते हैं। जिससे महिला गर्भवती नहीं हो पाती है।

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    क्यों जरूरी है अपनी फर्टिलिटी क्षमता को समझना?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दो बच्चों में लगभग 33 से 36 महीने का अंतर होना चाहिए। ऐसा करने से मां और बच्चे दोनों स्वस्थ रहेंगे। पहले बच्चे और दूसरे बच्चे में पर्याप्त अंतर रखने से महिला के शरीर को मानसिक और शारीरिक रूप से रिकवर करने का मौका मिल जाता है। अगर आप अपनी प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) के लिए जागरूक नहीं रहेंगी तो आप और गर्भ में पलने वाला बच्चा दोनों कमजोर होंगे। इसलिए पहला पीरियड आने के बाद आप गर्भनिरोधक उपायों को अपनाना शुरू कर दें, ताकि आप और आपका परिवार दोनों स्वस्थ रहें। इसके बाद दोबारा मां बनने का निर्णय आप पर है।

    दो बच्चों के बीच अंतर कैसे रखें?

    इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के बीच अंतर रखने जरूरी होता है। डॉक्टर्स की मानें तो दोनों बच्चों को बीच कम से कम दो साल का अंतर रखना जरूरी होता है। दोनों बच्चों के बीच अंतर रखने से न सिर्फ आपका शारीरिक स्वास्थ्य सही रहता है बल्कि आप दूसरे बच्चे के लिए मानसिक रूप से भी अच्छी तरह तैयार हो जाते हैं। यही नहीं, बच्चों में अंतर बनाए रखने से आप दोनों बच्चों की परवरिश भी ठीक से कर पाते हैं और उन दोनों पर ठीक से ध्यान दे पाते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर भी दो बच्चों के बीच अंतर बनाए रखने की सलाह देते हैं। वहीं जब बात आती है बच्चों में अंतर बनाए रखने के तरीकों पर, तो दो बच्चों के बीच अंतर बनाए रखने का सही तरीका है गर्भनिरोधक उपायों को अपनाना। अगर आप पहले बच्चे को स्तनपान करा रही हैं तो गर्भनिरोधक गोलियां लेना आपके और बच्चे के लिए ठीक नहीं रहेगा। इसके अलावा बच्चों में अंतर बनाए रखने के और भी कई तरीके हैं, जैसे…

    स्तनपान (Breastfeeding) भी है गर्भनिरोधक जैसा

    डिलीवरी के बाद अगर लगातार और सही तरह से बच्चे को स्तनपान कराती है तो वह जल्दी गर्भवती नहीं हो सकती है। स्तनपान के दौरान उसके शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन (Prolactine Hormone) बनते है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन, फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। जिससे गर्भधारण नहीं होने की संभावना बढ़ जाती है।

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    फर्टिलिटी और गर्भनिरोधक इंजेक्शन (Contraceptive injection)

    कई महिलाएं गर्भधारण न करने के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन का भी सहारा लेती हैं। आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह लेकर स्तनपान के दौरान गर्भनिरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस इंजेक्शन का नाम डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट (DMPA) है। इस इंजेक्शन के प्रयोग से महिला को तीन माह गर्भ धारण होने का रिस्क  नहीं रहता है।

    फर्टिलिटी और आईयूडी (IUD (Intrauterine Device) )

    गर्भधारण न करने का एक तरीका और है जिसे आईयूडी नाम से जाना जाता है। आईयूडी (IUD) का पूरा नाम इंट्रा यूटेराइन डिवाइस है। आईयूडी आकार में छोटा और  पेपर क्लिप जैसा होता है। इसे लोग कॉपर-टी (Copper T) के नाम से भी जानते हैं। ये प्लास्टिक की होती है और इसमें से एक धागा निकला रहता है। आईयूडी से आप लगभग तीन से पांच साल कर अपनी योनि में रख सकती हैं। इसे आप डॉक्टर की मदद से अपने अंदर फिट करा सकती हैं। गर्भधारण न करने का ये तरीका भी काफी कारगर माना जा चुका है और इस तरीके को काफी महिलाओं ने अपनाया है और बेहतर परिणाम पाया है।

    फर्टिलिटी और कंडोम (Condom)

    गर्भधारण न करने का सबसे प्रभावी और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका माना जाता है। ये जितना प्रभावी होता है, उतना ही ज्यादा इसके इस्तेमाल को सुरक्षित माना जाता है। आप फर्टिलिटी बनाए रखते हुए कंडोम का इस्तेमाल कर अनचाही प्रेग्नेंसी से बच सकते हैं। कंडोम एक रबड़ का बना सबसे सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है। जिससे सेक्स के दौरान शुक्राणु महिला के गर्भाशय में नहीं जा पाते हैं। कंडोम महिला और पुरुष दोनों के लिए आता है। इसके इस्तेमाल से गर्भधारण नहीं हो पाता है और आपकी फर्टिलिटी भी बनी रहती है।

    इसके अलावा आपको खुद से तय करना होगा कि आप अपने परिवार को लेकर कितनी सजग हैं। आर्थिक रूप से भी क्या आप दो बच्चों की परवरिश कर सकेंगी या नहीं? ये सारी बातें सोचने समझने के बाद ही दूसरे बच्चे को जन्म देने का फैसला लें।

    तो अगर आप भी गर्भनिरोधक उपाय अपनाना चाहते हैं, तो ऊपर बताए गए तरीके अपना सकते हैं। इस सब चीजों से आपकी फर्टिलिटी भी बनी रहती है और आप अनचाही प्रेग्नेंसी से भी बच जाती हैं। इसलिए फर्टिलिटी बनाए रखते हुए आप इन तरीकों को अपनाएं और प्रेग्नेंसी से बचें।

    अगर आप स्तनपान का फर्टिलिटी पर असर पड़ने से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझें।

    डिस्क्लेमर

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