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क्या है वैक्यूम एसिस्टेड डिलीवरी के खतरे?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/04/2021

    क्या है वैक्यूम एसिस्टेड डिलीवरी के खतरे?

    नॉर्मल डिलीवरी के दौरान जब महिला पुश नहीं कर पाती है या बच्चा बर्थ कैनल से अपने आप बाहर नहीं आ पाता है, तो डॉक्टर एक उपकरण का इस्तेमाल करके बच्चे को सिर की तरफ से बाहर की ओर खींचता है। आगे से यह उपकरण कप के आकार का होता है जिसे वैक्यूम कहा जाता है। इस उपकरण की मदद से जब बच्चे को बाहर की तरफ खींचा जाता है तो उसे ही वैक्यूम एक्स्ट्रैक्शन या वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी कहते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के रिस्क (Vacuum Assisted Delivery risk) भी हैं। वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के रिस्क (Vacuum Assisted Delivery risk) यानी जोखिमों के बारे में जानिए इस आर्टिकल में।

    क्या है वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी? (Vacuum Assisted Delivery)

    वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी या वैक्यूम डिलिवरी (vacuum delivery) के नॉर्मल डिलीवरी का ही हिस्सा है। जब बच्चा बर्थ कैनल में आ जाता है और उसका सिर दिखने लगता है, लेकिन मां किसी कारण से बच्चे को पुश नहीं कर पा रही हो और बच्चे को तुरंत बाहर निकलाना जरूरी है, तब डॉक्टर वैक्यूम की मदद से बच्चे की डिलीवरी कराता है या उसे बर्थ कैनल (birth canal) से बाहर निकलाता है। यह प्रक्रिया लेबर के दूसरे स्टेज पर अपनाई जाती है और इसे ही वैक्यूम डिलीवरी कहा जाता है। वैसे तो बच्चे और मां की सेहत को ध्यान में रखकर ही डॉक्टर वैक्यूम डिलीवरी करवाता है, लेकिन बावजूद इसके वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के रिस्क (Vacuum Assisted Delivery risk) हैं।

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    क्यों की जाती है वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी? (Vacuum Assisted Delivery)

    जब किसी महिला की नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery) में समस्या होने लगे या बच्चे नेचुरल तरीके से बर्थ कैनल (Birth canal) से बाहर नहीं आ पाता है तो डॉक्टर वैक्यूम डिलीवरी का इस्तेमाल करता है। निम्न परिस्थितियों में डॉक्टर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum Assisted Delivery) की सलाह देते हैं-

    • जब गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स (cervix) पूरी तरह से फैल गया हो।
    • मेंबरेन (झिल्ली) पूरी तरह से टूट गई हो।
    • बच्चे का सिर बर्थ कैनाल के पास आ गया हो।

    इन स्थितियों में मां यदि बच्चे को बाहर की ओर पूरी तरह से पुश नहीं कर पा रही है, तो वैक्यूम एक्सट्रेक्शन (vacuum extraction) का इस्तेमाल किया जाता है।

    वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी किन स्थितियों में की जाती है?

    क्या है वैक्यूम एसिस्टेड डिलीवरी के खतरे - Vacuum-Assisted Delivery risk

    डॉक्टर हमेशा कोशिश करते हैं कि किसी भी महिला की डिलीवरी नेचुरल तरीके से हो, लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता है तो उन्हें वैक्यूम का सहारा लेना पड़ता है। निम्न स्थितियों में वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum assisted delivery) की मदद ली जाती है

    पुश करने पर भी बच्चा आगे नहीं जा रहा हो

    डिलीवरी के दौरान किसी महिला बहुत पुश करना पड़ता है और कुछ महिलाओं का लेबर समय (labor time) भी बहुत अधिक होता है। ऐसे में वह बार-बार पुश करके बहुत थक जाती हैं और अधिक जोर लगाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता, तब डॉक्टर वैक्यूम की मदद से महिला की डिलीवरी (delivery) करवाता है।

    बच्चे की हार्टबीट पर असर पड़ना

    बच्चा यदि बर्थ कैनल में आ गया है व महिला पुश नहीं कर पा रही है और डॉक्टर को यदि महसूस हो रहा है कि बच्चे की हार्टबीट (heartbeat) पर असर पड़ रहा है, तो तुरंत डिलीवरी के लिए वह वैक्यूम एक्ट्रेक्शन की मदद ले सकता है।

    मां को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर

    प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला में कई शारीरिक बदलाव आते हैं। कुछ महिलाओं की शारीरिक स्थित प्रेग्नेंसी (pregnancy)के शुरुआती समय से ही ठीक नहीं रहती। ऐसे में यदि डिलीवरी के दौरान (during delivery) मां को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में बहुत समय लग रहा है या महिला को कुछ नुकसान पहुंच सकता है, तो डॉक्टर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum assisted delivery) की मदद ले सकता है।

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    इन स्थितियों में नहीं की जाती वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी

    कुछ स्थितियों में डॉक्टर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum Assisted Delivery) नहीं करता है, क्योंकि इससे बच्चे को हानि पहुंच सकती है। इन स्थितियों में वैक्यूम डिलीवरी नहीं की जाती है।

    • यदि प्रेग्नेंसी 34 हफ्ते से कम की है।
    • बच्चे को कोई ऐसी स्वास्थ्य कंडिशन  (Health condition) हो जो उसकी हड्डियों की मजबूती को प्रभावित करे जैसे ओस्टियोजेनेसिस इम्पर्फेक्टा (Osteogenesis imperfecta) या ब्लीडिंग डिसऑर्डर (bleeding disorder) जैसे हीमोफीलिया (Haemophilia) आदि होने पर वैक्यूम डिलीवरी नहीं की जाती है।
    • जब बच्चे का सिर डिलीवरी के समय बर्थ कैनाल के मध्य में हो और वह बाहर नहीं आ रहा हो।
    • बच्चे की पोजिशन की जानकारी न हो। या बच्चे का चेहरा थोड़ा सा एक साइड हो या फिर फेस फ्रंट की ओर हो तो भी वैक्यूम डिलीवरी नहीं की जाती है।
    • जब बच्चा आपके पेल्विक (Pelvic) में ठीक से फिट नहीं हो पा रहा हो। यानि बच्चे का साइज पेल्विक से बड़ा होने पर वैक्यूम एक्स्ट्रैक्शन नहीं किया जाता है।

    वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk)

    वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के जोखिमों से इनकार नहीं किया जा सकता यानी यह सौ फीसदी सुरक्षित नहीं है। दरअसल, इस प्रक्रिया में कप के आकार के जिस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है उसका सिरा भले ही सॉफ्ट होता है और बच्चे को सिर की ओर से बाहर खींचता है, लेकिन कई बार वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (vacuum assisted delivery) में रिस्क देखा गया है। हालांकि यदि यह सही तरीके से की जाए तो इसमें सीजेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery) से कम जोखिम और जटिलताएं होती हैं। वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk) में मामूली स्कैल्प इंजरी (Scalp injuries) से लेकर गंभीर स्कल फ्रैक्चर (Skull fracture) तक शामिल है।

    सुपरफेशियल स्कैल्प घाव (Superficial scalp wounds)

    वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk) में यह शामिल है। इसमें खोपड़ी की सतह पर घाव हो सकता है। वैसे तो नॉर्मल वाजइनल डिलीवरी (Vaginal deliver) के बाद भी खोपड़ी के छोटे से हिस्से में सूजन की समस्या देखी गई है। दरअसल, डिलीवरी के दौरान सर्विक्स (Cervix) और बर्थ कैनल (birth canal) बच्चे के सिर पर बहुत अधिक दबाव डालते हैं, क्योंकि यही बर्थ कैनल से सबसे पहले गुजरता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे के सिर पर सूजन आ जाती है और उसका आकार कोण जैसा दिखने लगता है। यदि जन्म के समय बच्चे का सिर एक तरफ हो तो सूजन (Swelling)) भी एक साइड ही हीत है। आमतौर पर यह सूजन जन्म के एक या दो दिन बाद अपने आप खत्म हो जाती है।

    ओरिजनल वैक्यूम एक्स्ट्रैक्टर ( Vacuum extractor) जिसमें मेटल कप लगा होता है, का इस्तेमाल प्रक्रिया के दौरान करने पर कोण शेप की सूजन बच्चे के सिर के ऊपर हो सकती है। इसे चिगनन (chignon) कहा जाता है। आमतौर पर यह सूजन 2-3 दिनों में ठीक हो जाती है। कभी-कभार सिर के जिस हिस्से पर कप रखा जाता है वहां का रंग बदल जाता है और नील का निशान पड़ जाता है, मगर ऐसा कम ही मामलों में देखा गया है। दुर्लभ मामलों में इससे स्कैल्प या त्वचा पर छोटा कट भी हो जाता है, ऐसा उसी मामले में होता है जब डिलीवरी कॉम्पिलकेटेड होती है और कई बार सक्शन कप का इस्तेमाल किया गया हो, मगर ऐसे घाव भी जल्दी ठीक हो जाते हैं।

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    हेमाटोमा (Hematoma)

    हेमाटोमा त्वचा के अंदर रक्त का इकट्ठा होना है। ऐसा तब होता है जब नस (Vein) या धमनी (Artery) में चोट लग जाती है और रक्त रक्त वाहिका से बाहर आकर आसपास के टिशू से रिसने लगता है। वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum assisted delivery) के परिणामस्वरूप दो प्रकार का हेमेटोमा (Hematoma) हो सकता है सेफलोहेमाटोमा(Cephalohematoma) और सबगलियल हेमेटोमा (Subgaleal hematoma)।

    सेफलोहेमाटोमा (cephalohematoma)

    इसमें स्कल बोन के फाइबरस कवरिंग (Fibrous covering) के अंदर ब्लीडिंग होती है। इस टाइप के हेमेटोमा से दुलर्भ ही किसी तरह की जटिलता होती है, लेकिन रक्त एकत्र करके इसके ठीक होने में एक से दो हफ्ते का वक्त लगता है। सेफलोहेमाटोमा (Cephalohematoma) से पीड़ित बच्चे को कोई अधिक उपचार या सर्जरी की जरुरत नहीं पड़ती है।

    सबगलियल हेमेटोमा (Subgaleal hematoma)

    यह रक्तस्राव का गंभीर रूप है। यह तब होता है जब रक्त स्कैल्प के ठीक नीचे इकट्ठा होने लगता है। क्योंकि सबगलियल की जगह बड़ी होती है, इसलिए स्कैल्प के इस हिस्से में बड़ी मात्रा में रक्त की हानि (loss of blood) हो सकती है। इसलिए वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk) में सबगलियल हेमाटोमा को गंभीर माना जाता है। जब बर्थ कैनल से बच्चे के सिर को खींचने के लिए सक्शन मजबूत नहीं होता है, तब वह स्कैल्प (Scalp) और उसके अंदर के टीशू को खींचता है जिससे नसों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।

    इंट्राक्रेनियल हेमरेज (Intracranial hemorrhage)

    इंट्राक्रेनियल हेमरेज और स्कल के अंदर ब्लीडिंग (Bleeding) की यह स्थिति बेहद दुलर्भ, लेकिन गंभीर होती है। आपके बच्चे के सिर को बाहर खींचने के लिए जब सक्शन का इस्तेमाल किया जाता है तो यह नसों को कसान पहुंचाता है जिससे बच्चे के स्कल (Skull) से ब्लीडिंग हो सकती है। हालांकि, इंट्राक्रेनियल हेमरेज (Intracranial haemorrhage) दुर्लभ स्थिति है, लेकिन जब यह होता है तो इससे याददाशत और बोलने की क्षमता जा सकती है और प्रभावित हिस्से की मूवमेंट पर भी यह असर डालता है।

    रेटिनल हेमरेज (Retinal haemorrhage)

    क्या है वैक्यूम एसिस्टेड डिलीवरी के खतरे - Vacuum-Assisted Delivery risk

    रेटिनल हेमरेज  में आंखों के पीछे से खून बहता है और यह स्थिति  नवजात शिशुओं में आमतौर पर देखी जाती है। हालांकि यह गंभीर नहीं होता है और अपने आप ठीक भी हो जाता है बिना किसी तरह की जटिलता पैदा किए, लेकिन वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी  के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk) में इसे शामिल किया जाता है। रेटिनल ब्लीडिंग (Retinal bleeding) क्यों होती है इसके सही कारणों का पता नहीं चल सका है। हालांकि,  बर्थ कैनल से गुजरते समय यह आपके बच्चे के सिर पर दिए गए दबाव के परिणामस्वरूप हो सकता है।

    स्कल फ्रैक्चर (Skull fracture)

    मस्तिष्क में फ्रैक्चर के साथ ही इसके चारों ओर रक्तस्राव (Bleeding) हो सकता है। हालांकि इंट्राक्रेनियल हेमरेज या हेमेटोमा का कोई बाहरी लक्षण नजर नहीं आता है। मस्तिष्क के फ्रैक्चर (skull fractures) को निम्न कैटेगरी में बांटा जाता है-

    लीनियर स्कल फ्रैक्चर (Linear skull fractures)- यह पतला हेयरलाइन फ्रैक्चर है, जो सिर की स्थिति को बिगाड़ता नहीं है।

    डिप्रेस्ड स्कल फ्रैक्चर (Depressed skull fractures)- यह फ्रैक्चर असल में स्कल बोन का एक्चुअस डिप्रेशन होता है।

    ओक्सीपिटल ओस्टियोडायस्टेसिस (Occipital osteodiastasis)- दुलर्भ प्रकार का फ्रैक्चर जिसमें सिर के टिशू का फटना शामिल है।

    नवजात को पीलिया (Neonatal jaundice)

    वैक्यूम एक्स्ट्रैक्शन (vacuum extraction ) के जरिए पैदा हुए बच्चों में पीलिया का खतरा भी अधिक होता है। जॉन्डिस या त्वचा और आंखों का पीला पड़ना नवजात बच्चों में आम है। ऐसा तब होता है जब बच्चे के रक्त में बिलिरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बहुत अधिक होती है। बिलीरुबिन एक पीले रंग का तत्व है जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के दौरान उत्पन्न होता है।

    वैक्यूम एक्स्ट्रैक्शन की वजह से बच्चे के स्कैल्प के ऊपर बड़ा नील का निशान पड़ जाता है। जो रक्त वाहिकाओं को हुए नुकसान के परिणामस्वरूप होता है। वैसे तो नवजात में पीलिया 2 से 3 हफ्ते में ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ बच्चों को फोटोथेरेपी (Phototherapy) की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें हाई इंटेन्सिटी लाइट में एक या दो दिन के लिए रखा जाता है।

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    मां के लिए वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के रिस्क (Vacuum assisted delivery risk for the mother)

    वैक्यूम असिसटेड डिलीवरी (Vacuum assisted delivery) के रिस्क सिर्फ बच्चे को ही नहीं, मां को भी होता है। भले ही इसका मकसद नॉर्मल डिलीवरी का प्रक्रिया को और आसान बनाना है, लेकिन यदि यह सही तरीके से न किया जाए तो बच्चे के साथ ही इससे मां को भी नकुसान पहुंच सकता है। मां को होने वाले नुकसान में शामिल है-

    • यदि सक्शन कप (Suction cup) बच्चे के सिर में सही तरीके से अटैच न किया जाए तो इससे मां के वजाइना (vagina) और सर्विक्स (cervix) को नुकसान पहुंच सकता है।
    • यदि महिला के वजाइना में कट है तो वैक्यूम डिलीवरी के दौरान उन्हें दर्द या खराश का अनुभव हो सकता है।
    • वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी का एक और जोखिम है मां को इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ना।

    डिलीवरी के दौरान कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी (Vacuum assisted delivery) जरूरी हो जाती है, फिर भी हर महिला को प्रेग्नेंसी (Pregnancy) की शुरुआत से ही सभी तरह की हिदायतों का ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए ताकि नॉर्मल डिलीवरी आसान हो सके। साथ ही शुरुआत से ही डायट और एक्सरसाइज का ध्यान रखने से मांसपेशियां लचीली हो जाती है और नॉर्मल डिलीवरी (Normal delivery) में ज्यादा परेशानी नहीं होती। नॉर्मल डिलीवरी मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छी होती है, इसलिए हमेशा इसे ही तवज्जो दी जानी चाहिए और इसके लिए ही कोशिश करनी चाहिए।

    डिस्क्लेमर

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