डायास्टोलिक हार्ट फेलियर की समस्या होने पर डॉक्टर इलाज से पहले कुछ आवश्यक टेस्ट यानि शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं, जो इस प्रकार है-
ब्लड टेस्ट (Blood tests)- डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के डायग्नोसिस के दौरान किये जाने वाले ब्लड टेस्ट से ब्लड में विशेष प्रकार मॉलिक्यूल की जानकारी मिलती है, जिसके बढ़ने से हार्ट फेलियर (Heart failure) की संभावना बढ़ जाती है। वहीं ब्लड टेस्ट से लिवर (Liver) और किडनी (Kidney) फंक्शन की भी जानकारी मिलती है कि वे ठीक तरह से अपना काम कर पा रहें हैं या नहीं।
इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)- इकोकार्डियोग्राफी एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जो हृदय के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से हृदय गति और हृदय ठीक तरह अपना कर पा रहा है या नहीं इसकी जानकारी मिलती है।
इन दो टेस्ट के अलावा अन्य टेस्ट करवाने की भी सलाह दी जाती है। जैसे सीटी स्कैन (CT scan), एमआरआई (MRI), न्यूक्लियर हार्ट स्कैन (Nuclear heart scan), इलेक्ट्रिकल टेस्ट (Electrical tests), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (Electrocardiography), हॉल्टर (Holter) एवं स्ट्रेस टेस्ट (Stress tests)।
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के निदान के लिए इन ऊपर बताये गए टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। हालांकि अगर पेशेंट किसी अन्य हेल्थ कंडिशन से पीड़ित है, तो अन्य टेस्ट (Test) करवाने की भी सलाह दी जा सकती है और फिर डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का इलाज शुरू किया जाता है।
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