इनका समावेश होता है। इन टेस्ट के बाद डॉक्टर हार्ट फेलियर (Heart failure) से जुड़ी तकलीफों के बारे में पता लगा सकते हैं। इसके अलावा हार्ट रिदम प्रॉब्लम और उससे संबंधित ट्रीटमेंट के बारे में आपको जानकारी भी दे सकते हैं।
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हार्ट फेलियर और सीओपीडी की स्थिति में हार्ट को संभालना है जरूरी! (Heart failure and COPD)
हार्ट फेलियर के लक्षण दिखाई देने के बाद डॉक्टर कुछ टेस्ट के जरिए इस समस्या का निदान कर सकते हैं और इसके बाद बारी आती है हार्ट फेलियर (Heart failure) के ट्रीटमेंट की। इस स्थिति में डॉक्टर न सिर्फ मेडिकेशन शुरू करते हैं, बल्कि कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने के लिए दवाओं के साथ ही डायट में कोलेस्ट्रॉल युक्त खाना खाने से परहेज की सलाह भी देते हैं। इसके साथ-साथ आपको आपके लाइफस्टाइल में बड़े बदलाव करने की जरूरत पड़ती है, जिसमें सही खानपान के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज़ की भी जरूरत पड़ती है। यदि इसके बाद भी आपको इस समस्या में राहत नहीं मिलती, तो आपको सर्जरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है।
इन सर्जरी में डिवाइज इंप्लांट, हार्ट रिपेयर या फिर हार्ट ट्रांसप्लांट (Device implant, heart repair or heart transplant) जैसी सर्जरीज का समावेश होता है। इसके अलावा कुछ केस में पेसमेकर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे हार्ट वेंट्रीकल सामान्य रूप से कॉन्ट्रैक्ट हो सके। इस तरह हार्ट फेलियर की समस्या का निदान करके आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। हार्ट फेलियर और सीओपीडी (Heart failure and COPD) की समस्या में आपको खास तौर पर अपने हार्ट का ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब दवाओं के साथ-साथ लाइफ़स्टाइल में बदलाव भी लाएं।
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यदि आप अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान दें, तो आप हार्ट फेलियर और सीओपीडी (Heart failure and COPD) की समस्या के लक्षणों को पहचान सकते हैं। जल्द से जल्द इन लक्षणों को पहचान कर यदि इसका ट्रीटमेंट शुरू करवाया जाए, तो व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार होने से बच सकता है। इ