देश में कोरोना वायरस (COVID-19) की दूसरी लहर थमती नजर नहीं आ रही है, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते चेन पर ब्रेक लगाने के लिए तमाम कोशिशें जारी हैं। ऐसे वक्त में डॉक्टर्स के हौसले और उनकी कड़ी मेहनत ने कई लोगों को एक बार फिर से नई जिंदगी दिलाई है। हालांकि इन तमाम कोशिशों के बावजूद कई कोविड-19 (Coronavirus) पेशेंट्स की जान ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) कम होने की वजह से हुई है। ऐसी स्थिति में ऑक्सिजन लेवल बैलेंस रखनेके लिए ऑक्सिजन सिलिंडर की मांग बढ़ती जा रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई बार एंग्जाइटी (Anxiety) की वजह से भी ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) कम होने लगता है, जिससे लोगों को बचना चाहिए।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार COVID-19 रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory Disease) है, जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट और लंग्स में इंफेक्शन (Lung Infection) में तेजी से फैलता है। लंग्स में इंफेक्शन (Lungs infection) फैलने की वजह से सांस लेने में समस्या शुरू होने लगती है, जिसे अगर शुरुआती स्टेज में इग्नोर किया जाए या इस परेशानी की वजह से एंग्जाइटी की समस्या भी शुरू हो सकती है, जो कोविड पेशेंट के लिए खतरनाक साबित है। इस दौरान ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) धीरे-धीरे कम होने लगता है और कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज जिंदगी और मौत की इस लड़ाई को हार जाते हैं। कोविड के कारण जिन लोगों की जान गई उनके लिए हम शोक व्यक्त करते हैं और जो लोग इस लड़ाई को लड़ रहें हैं, वो जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं, यही हमारा ईश्वर से विनती है। इस आर्टिकल में आगे जानेंगे कोविड-19, फेफड़ों और ऑक्सिजन लेवल से जुड़ी पूरी जानकारी।
COVID-19 लंग्स कॉम्प्लिकेशन जैसे निमोनिया (Pneumonia) और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Acute Respiratory Distress Syndrome) की समस्या पैदा कर सकता है। यही नहीं कोरोना वायरस के कारण सेप्सिस (Sepsis) जैसी समस्या भी हो सकती है, जो लंग्स (Lungs) को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ बॉडी के अन्य ऑर्गेन को भी नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं।
किन कारणों से कोरोना वायरस लंग्स को डैमेज (Coronavirus damage lungs) करने में सक्षम है?
द जोहन्स हॉपकिंस हॉस्पिटल एंड जोहन्स हॉपकिंस हेल्थ सिस्टम (The Johns Hopkins Hospital and Johns Hopkins Health System) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस (COVID-19 infections) लंग डैमेज lung damage कर सकते हैं, जिसके 3 मुख्य कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. बीमारी की गंभीरता (Disease severity)- अगर कोरोना वायरस का इंफेक्शन (coronavirus infection) अत्यधिक फैल जाए, तो लंग के टिशू (lung tissue) को नुकसान पहुंचाने में सक्षम होता है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक साबित होता है। अगर इंफेक्शन माइल्ड हो, तो इलाज की सहायता से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है।
2. हेल्थ कंडिशन (Health conditions)- अगर कोई व्यक्ति हार्ट प्रॉब्लम या सीपीओडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) जैसी बीमारियों से पीड़ित है, तो ऐसे में कोरोना वायरस लंग्स को और भी ज्यादा तेजी से नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हार्ट पेशेंट या सीपीओडी पेशेंट का इम्यून पावर कमजोर (Weak immunity) होता है।
3. इलाज (Treatment)- तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण। बीमारी के दौरान चल रहे इलाज के बाद अगर व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होने लगे और ऐसी स्थिति में इलाज और पेशेंट की देखभाल ठीक से नहीं हुई, तो फिर से व्यक्ति की सेहत बिगड़ सकती है। दरअसल बीमारी की वजह से मरीज का इम्यून पावर कमजोर होने लगता है और इंफेक्शन एक बार से लंग्स को डैमेज (Lung damage) करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
ये तीन कारण अहम माने जाते हैं फेफड़े को नुकसान पहुंचाने के लिए। इसलिए अगर आप किसी हेल्थ कंडिशन यानी किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो अपना ख्याल ज्यादा रखिए। अगर आप कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं, तो समझदारी से इलाज शुरू करवाएं और सभी नियमों का पालन करें। कोविड 19 रिपोर्ट पॉजिटिव (Covid-19 report +ve) से नेगेटिव (-ve) होने के बावजूद लापरवाह ना रहें। कोरोना वायरस के लंग्स को डैमेज करने की वजह से लोगों को सांस लेने में परेशानी महसूस होने लगती है और ऑक्सिजन लेवल कम होने लगता है। ऑक्सिजन लेवल कम होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
मुंबई के मसीना हॉस्पिटल के सीईओ डॉ विस्पी जोखी का मानना है कि कोरोना वायरस वायरस के पहले वेभ यानि पिछले साल की तुलना में कोविड मरीजों को अब ऑक्सिजन की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। वहीं इस बार युवा वर्ग कोविड 19 इंफेक्शन के शिकार ज्यादा हो रहें हैं। मुंबई में फिलाल कोविड के केसेस में कमी आई है, लेकिन अभी भी हर रोज कोविड के नय मरीजों को अस्पताल में एडमिट किया जा रहा है। इसलिए इस दौरान सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है।
इन ऊपर बताये कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए अगर आप इनमें से किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो अपना ध्यान रखें। पौष्टिक आहार का सेवन करें, योग, एक्सरसाइज या टहलने की आदत डालें।
दिल की धकड़न (Rapid heartbeat) सामान्य से ज्यादा होना
अगर आपको ऐसी कोई परेशानी महसूस होती है, तो इसे सीधे कोरोना वायरस से जोड़कर ना देखें, बल्कि ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करें। अगर आपमें कोरोना वायरस के लक्षण भी नजर आ रहें हैं, तो डॉक्टर आपको जल्द से जल्द कोविड टेस्ट (Covid Test) करवाने की सलाह देंगे और रिपोर्ट के अनुसार आपका इलाज शुरू करेंगे।
नोट: अगर आपको कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव (COVID-19 Report) आती है, तो पैनिक ना करें यानी डरे नहीं ऐसे में समझदारी से काम करें। पैनिक या डर की वजह से भी ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसलिए डॉक्टर से कंसल्ट करें और उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करें और अपने आपको आइसोलेट करें। ध्यान रखें यह बीमारी एक व्यत्कि से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलती है।
इस आर्टिकल को लिखने के दौरान कोरोना वायरस से जुड़ी जितनी भी रिपोर्ट्स दिखाई जाती है या ऑक्सिजन, प्लाज्मा, दवा या बेड की तलाश में दर-दर भटकते मरीजों के परिजन और अस्पताल या घर में ऑक्सिजन की कमी की वजह से दम तोड़ती तस्वीरें आंखों के सामने घूमने लगती हैं, लेकिन कहते हैं ना हिम्मत और प्रयास करते रहना चाहिए। इसलिए आज इस आर्टिकल में ऑक्सिजन (Oxygen) और ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) से जुड़ी सभी जानकारी आपसे शेयर करेंगे, जिससे आप अपना और दूसरे लोगों की मदद कर पाएंगे, लेकिन सबसे पहले जानते हैं दूसरे लहर के इस कोरोना (Second wave of COVID-19) के लक्षणों के बारे में।
क्या है कोरोना वायरस के लक्षण? (Symptoms of Coronavirus)
कोरोना वायरस की दूसरी लहर या कोविड 2.0 के लक्षणों पर गौर करना बेहद जरूरी हैं। इसलिए इसके नय और पुराने लक्षणों को समझने के लिए हमने मुंबई के एसीएस हेल्थ के फिजीशियन डॉ. आशीष तिवारी से बात की।
कोरोना वायरस लक्षण, जो साल 2020 में सबसे ज्यादा देखे जा रहें थें-
डॉ. तिवारी का कहना है कि मरीजों में ये सभी लक्षण एक साथ भी हो सकते हैं या सिर्फ कोई एक लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे वक्त में सतर्क रहना सबसे ज्यादा जरूरी है और इन लक्षणों को इग्नोर ना कर डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूर करें, क्योंकि डायग्नोसिस से और इलाज से इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है।
ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) बैलेंस और लंग्स को हेल्दी रखने के लिए क्या करें?
लंग्स और बॉडी में ऑक्सिजन लेवल नॉर्मल या बैलेंस बनाये रखने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे:
हेल्दी डायट (Healthy Diet)
रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार इंटेस्टाइन में मौजूद माइक्रोबायोटा बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाये रखने में मदद करती है। इसलिए हेल्दी डायट की लिस्ट में ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, राजमा, स्ट्रॉबेरी, प्लम और ब्लैकबेरी जैसे खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। दरअसल इनमें एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) की मात्रा ज्यादा होती है, ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) को बेहतर बनाये रखने में सहायक हो सकते हैं। कोरोनो वायरस के दौरान या किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए बॉडी में हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) लेवल भी बेहतर होना चाहिए। इसलिए सोयाबीन, अखरोट (Walnut) और फ्लैक्ससीड्स जैसे अन्य खाद्य पदार्थों का भी सेवन करना जरूरी है।
हेल्दी रहने के लिए सिर्फ हेल्दी खाना ही काफी नहीं है, बल्कि बॉडी में ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) नॉर्मल रहे, इसके लिए रेग्यूलर वर्कआउट भी जरूरी है। नियमित रूप से वर्कआउट करने से ऑक्सिजन लेवल में सुधार आता है। यह ध्यान रखें कि थकाने वाले व्यायाम से बेहतर है आप फिटनेस एक्सपर्ट और डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी बॉडी के अनुसार वर्कआउट करें। अगर आप वर्कआउट करने में सक्षम नहीं हैं, तो आप वॉक भी कर सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार आधे घंटे नियमित टहलने से भी शरीर को लाभ मिलता है। वॉकिंग से आप मेंटल स्ट्रेस (Mental stress) को भी कम करने में मदद मिलती है। इसलिए आप वॉकिंग (Walking), वर्कआउट (Workout) या योग (Yoga) में से किसी एक विकल्प अपना सकते हैं। इससे आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस बेहतर होगा और फेफड़ें भी स्वस्थ (Lungs health) रहेंगे।
प्रोन पोजिशन (Prone Position)-
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रोनिंग की मदद (Prone Position) भी इस महामारी के दौरान ली जा सकती है। दरअसल स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रोनिंग की आवश्यकता उस वक्त पड़ती है, जब पेशेंट को सांस लेने में कठिनाई महूसस हो। अगर ऑक्सिजन लेवल नॉर्मल से कम होने लगे, तो प्रोनिंग तकनीक की मदद ली जा सकती है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक एडवाइजरी जारी की गई है कि खाने के बाद एक घंटे तक प्रोन पॉजिशन (Prone Position) में बॉडी को ना लाएं और जब आप आसानी से इस प्रक्रिया को कर पाएं तभी करें। वहीं गर्भवती महिलाओं (Pregnant lady) और हार्ट पेशेंट (Heart patients) को प्रोनिंग प्रक्रिया से दूर ही रहने की सलाह दी है। क्योंकि इस पुजिशन की दौरान पेट के बल लेटना पड़ता है, जो गर्भवती महिला और हार्ट पेशेंट दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
इस महामारी के दौरान बॉडी में ऑक्सिजन लेवल बैलेंस रखने के लिए इन ऊपर बताये 3 बातों को ध्यान रखें, लेकिन इसके साथ यह भी समझें की ऑक्सिजन लेवल डाउन क्यों हो सकता है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें-
जरूरत ना हो, तो घर पर रहें।
बाहर डबल मास्क (Mask) लगाकर निकालें।
बाहर जानें के दौरान सैनेटाइजर अपने साथ रखें और किसी भी चीज को छूने बाद हाथ सैनेटाइज करें।
सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) का पालन करें।
अगर सर्दी-जुकाम (Cold and Cough) की समस्या होती है, तो घर के अन्य सदस्यों से दूरी बनायें रखें।
सेहत के प्रति कोई भी लापरवाही ना बरतें।
इन बातों को ध्यान में रखकर आप अपने और अपने परिवार वालों का आसानी से ध्यान रख सकते हैं और कोरोना वायरस से खुद को बचा सकते हैं।
ऑक्सिजन और ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां-
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड ऑक्सिजन लेवल 96 से 100 प्रतिशत होना चाहिए। अगर किसी वयक्ति का ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) इससे कम जाता है, तो यह परेशानी का कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर जल्द से जल्द ऑक्सिजन सप्लीमेंट यानी मरीज का ऑक्सिजन लेवल नॉर्मल लाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। शरीर को ऑक्सिजन प्रदान करने का काम मुख्य रूप से ब्लड से होता है और अगर किसी भी कारण ऑक्सिजन लेवल कम होने लगे, तो ऐसी स्थिति में पेशेंट को सेल, टिशू या बॉडी के अन्य ऑर्गेन से ऑक्सिजन नहीं मिल पाता है, जिसे मेडिकल टर्म में हाइपोजेमिया (Hypoxemia) कहते हैं।
ऑक्सिजन से संबंधित SpO2 क्या है, यह इस आर्टिकल में आगे जानेंगे। मेडिकल टर्म में बोले जाने वाला टेक्निकल शब्द SpO2 का अर्थ है सैचुरेटेडऑफ पेरीफेरल ऑक्सिजन (Saturation of Peripheral Oxygen [SpO2]), जिससे हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) में ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) समझा जाता है। बॉडी में ऑक्सिजन लेवल चेक करने के लिए ऑक्सीमीटर (Oximetry) की मदद ली जाती है या डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood tests) करवाने की सलाह देते है। अब महामारी के इस वक्त में फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कई बातों को ध्यान रख ऐसे वक्त में भी हेल्दी रहा जा सकता है।
नोट: अगर आप ऑक्सिजन लेवल घर पर खुद से चेक कर रहें और ऑक्सीमीटर (Oximetry) का प्रयोग कर रहें हैं, तो जिस उंगली से रीडिंग ले रहे हैं, तो उस उंगली के नाखून पर नेल पेंट (Nail paint) या कोई अन्य रंग ना लगा हो, हाथ ठंडे नहीं होने चाहिए और नाखून भी लंबे न हों।इन बातों को ध्यान में रखकर ही ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करें, जिससे ऑक्सिजन लेवल (Oxygen level) की सही जानकारी आपको मिल पाएगी।