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फेबीफ्लू
फेबीफ्लू का निर्माण मुंबई स्थित ग्लेनमार्क फ़ार्मास्युटिकल्स द्वारा किया जाएगा, जो फेवीपिराविर (Favipiravir) के जेनेरिक वर्जन के रूप में होगा। यह एंटी-वायरल दवा जापान में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए दी जाती है। बता दें यह दवा ओरल मेडिकेशन के रूप में केवल हल्के से मध्यम कोविड-19 मामलों में आपातकालीन स्थिति में ही उपयोग की जाती है।
वर्तमान में कोविड-19 के इलाज के लिए 18 नैदानिक परीक्षणों में इसका टेस्ट किया जा रहा है और दो स्टडीज के परिणामों ने सकारात्मक परिणाम मिले हैं जबकि अन्य टेस्ट के डेटा का इंतजार है। ग्लेनमार्क ने दावा किया है कि कोविड-19 में फेवीपिरवीर ने 88 प्रतिशत तक क्लीनिकल इम्प्रूवमेंट दिखाया है, जिसमें चार दिनों में वायरल लोड में तेजी से कमी भी दर्ज की गई है।
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इसकी एक टैबलेट की कीमत 103 रूपए है जो कि सिर्फ डॉक्टर द्वारा प्रेस्क्राइब करने पर ही उपलब्ध होगी। ट्रीटमेंट शुरू होने के पहले दिन 1800 mg दिन में दो बार उसके बाद 14 दिनों तक दिन में दो बार 800 मिलीग्राम लेने की सिफारिश की गई है। द कॉउन्सिल ऑफ साइंटिफिक और इंडस्ट्रियल रिसर्च ने अप्रैल में फेवीपिराविर (Favipiravir) का एंड-टू-एंड सिंथेसिस भी किया था और अब एक मल्टी-सेंटर फेज-II ड्रग ट्रायल भी किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा है कि दवा की कीमत में 20-30 प्रतिशत की कमी भी हो सकती है।
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कोविड-19 के इलाज के लिए टोसीलीजुमैब (Tocilizumab)
‘टोसीलीजुमैब’ Tocilizumab दवा आमतौर पर गठिया के इलाज के लिए उम्रदराज रोगियों में इस्तेमाल की जाती है। जिसका इस्तेमाल अब कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में किया जा रहा है। भारत में कई केंद्रों पर इस पर रैंडमाइज़्ड कंट्रोल ट्रायल (randomized control trial) भी जारी है।
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कोविड-19 के इलाज के लिए इटोलिज़ुमैब (Itolizumab)
इटोलिज़ुमैब (Itolizumab) आमतौर पर त्वचा विकार सोरायसिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ऑटोइम्यून विकारों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इस दवा का परीक्षण कोरोना के मरीज पर दिल्ली और मुंबई में अभी भी किया जा रहा है।