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इबोला वायरस (Ebola Virus) के इलाज के लिए FDA ने दी वैक्सीन को मंजूरी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/02/2021

    इबोला वायरस (Ebola Virus) के इलाज के लिए FDA ने दी वैक्सीन को मंजूरी

    अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मर्क एंड को (Merck & Co’s) के इबोला वैक्सीन इरवेबो (Ervebo) को मंजूरी दे दी है। इबोला के खिलाफ लड़ने वाला यह पहला वैक्सीन है, जिसे एफडीए ने मंजूरी दी है। इस वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन और कोंगो गणराज्य ने एक जांचीय वैक्सीन के रूप में इबोला वायरस बीमारी (EVD) को कम करने के लिए इस 2014-16 बीच इस्तेमाल किया गया है।

    पहले ही हो चुका है ट्रायल

    इस वैक्सीन का इस्तेमाल पश्चिमी अफ्रीका के कुछ अन्य देशों में भी किया गया है। इबोला वायरस से डेडली बुखार होता है। यह किसी व्यक्ति के बॉडी फ्लूड के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। अफ्रीकी राष्ट्र कोंगे में यह मिडल ईयर से अब तक 2,100 लोगों की जान ले चुका है। इतिहास में यह दूसरा सबसे बड़ा इबोला फैलने का मामला बन चुका है।

    एफडीए ने कहा कि इस वैक्सीन को एक सिंगल डोज के रूप में दिया गया। 18 और इससे अधिक उम्र के लोगों में जायरे इबोला वायरस (Zaire Ebolavirus) ईवीडी का कारण बनता है। नवंबर में कंपनी को यूरोपीय कमिशन से इरवेबो को बेचने के लिए मंजूरी मिली थी। एक महीने से कम अवधि के भीतर यूरोपीय दवाइयों में इस वायरस के खिलाफ लड़ने वाला पहला वैक्सीन था।

    आइए जानते हैं कि आखिर इबोला वायरस क्या है? और दुनियाभर में यह एक गंभीर बीमारी क्यों बना हुआ है। अफ्रीकी देशों में हजारों लोग इबोला से अपनी जान गंवा चुके हैं।

    जानिए क्या होता है इबोला वायरस?

    इबोला को डेडली फीवर के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का बुखार है, जो इबोला वायरस से फैलता है। इसके 6 अलग-अलग प्रकार हैं, जिसमें से 4 ऐसे वायरस हैं जिससे लोग पीड़ित हो सकते हैं। जब इबोला वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो यह इम्यून सिस्टम और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इबोला वायरस खून के थक्के बनाने वाली कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे ब्लीडिंग बढ़ जाती है। इस ब्लीडिंग को रोकना कठिन होता है।

    इबोला इंफेक्शन की वजह से लगभग 90% लोगों की मौत हो जाती है। इबोला के लक्षण समझ आने पर तुरंत डॉक्टर से संर्पक करें।

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    इबोला वायरस कितना सामान्य है?

    इबोला एक दुर्लभ और बेहद खतरनाक बीमारी है। आमतौर पर इबोला वायरस अफ्रीकी देशों में पाया जाता है, लेकिन विश्व के कई इलाकों में इबोला के फैलने के मामले सामने आए हैं। इस वायरस का संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके लक्षणों को समझकर इबोला से बचाव किया जा सकता है।

    इबोला वायरस के लक्षण क्या हैं?

    इबोला या मारबर्ग वायरस के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण 5 से 10 दिनों में नजर आने लगते हैं। शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं-

  • आंखों का लाल होना।
  • शरीर पर दाने आना।
  • सीने में दर्द और खांसी होना।
  • पेट दर्द होना।
  • वजन कम होना।
  • अत्यधिक ब्लीडिंग होना।
  • गंभीर स्थिति में आंखों से खून आना।
  • नाक और कान से खून आने की स्थिति में मरीज की मौत भी हो सकती है।
  • इन लक्षणों के अलावा और अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बुखार आना।
  • सिरदर्द होना।
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना।
  • ठंड लगना
  • कमजोरी महसूस होना।
  • समय के साथ, लक्षण तेजी से गंभीर हो जाते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
  • मतली और उल्टी होना।
  • डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

    उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होने पर सबसे पहले डॉक्टर से मिलें:

    • एक्सपर्ट्स के अनुसार फ्लू जैसे लक्षण होने पर यह समझा जाता है कि आप वायरस के संपर्क में हैं।
    • इबोला वायरस के संपर्क में अगर कोई व्यक्ति है और आप उसके संपर्क में आते हैं, तो आप भी संक्रमित हो सकते हैं।

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    इबोला वायरस के क्या कारण हो सकते हैं?

    अफ्रीकी बंदरों, चिंपाजी और इनकी अन्य प्रजातियों में इबोला वायरस पाया गया है। फिलीपींस में बंदरों और सुअरों में इबोला के एक हल्के प्रारूप की खोज की गई है।

    जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण

    एक्सपर्ट्स के अनुसार दोनों वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। उदाहरण के लिए-

    • संक्रमित मांस खाने से भी इबोला वायरस होने की संभावना बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों ने अन्वेषण के जरिए इस बात को सिद्ध किया है।
    • अफ्रीकी गुफाओं में पर्यटकों और कुछ भूमिगत खदान में काम करने वाले लोगों को संक्रमित चमगादड़ों के मल की वजह से इबोला होने के मामले सामने आ चुके हैं।
    • एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस पहुंचना।
    • संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जबतक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
    • सर्जिकल मास्क और दस्ताने का उपयोग न करने पर चिकित्सा कर्मी संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, कीड़े-मकोड़े के काटने से इबोला वायरस हो सकता है या नहीं, इस बात की पुष्टि होना अभी तक बाकी है।

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    किन कारणों से बढ़ता है इबोला वायरस का खतरा?

    • ज्यादातर लोगों में इबोला वायरस होने की संभावना कम होती है। खतरा कुछ कारणों से बढ़ सकता है:
    • अफ्रीका की यात्रा: अगर आप इबोला वायरस या मारबर्ग वायरस के संपर्क में आते हैं, तो आप जोखिम में पड़ सकते हैं या उन क्षेत्रों में अगर आप काम करते हैं।
    • इबोला वायरस अफ्रीकी जानवरों के संपर्क में आने के कारण ये हो सकता है।
    • संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जब तक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
    • इबोला वायरस की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में भी मृत व्यक्ति के शरीर में वायरस रहता है और ऐसे में डेड बॉडी के संपर्क में रहने से भी खतरा बढ़ जाता है।

    इबोला वायरस को कैसे पता किया जाता है?

    इबोला का निदान करना मुश्किल है, क्योंकि शुरुआती लक्षण अन्य बीमारियों जैसे टायफॉइड और मलेरिया से मिलते जुलते हैं। यदि डॉक्टरों को संदेह होता है कि आप इबोला वायरस से पीड़ित हैं, तो ब्लड टेस्ट कर फिर इलाज करते हैं।

    • ELISA टेस्ट
    • PCR टेस्ट

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    इबोला वायरस (Ebola Virus) का इलाज कैसे किया जाता है?

    इबोला वायरस से कैसे आसानी से बचा जाए, इस पर अभी भी शोध जारी है। उपचार में एक प्रयोगात्मक सीरम का उपयोग किया जाता है जो संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

    डॉक्टर इबोला के लक्षणों को ध्यान रखकर इलाज शुरू कर सकते हैं। इनमें शामिल है:

    • तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स।
    • ऑक्सिजन।
    • ब्लड प्रेशर की दवाएं।
    • ब्लड ट्रांस्फ्यूजन।
    • दूसरे इंफेक्शन से बचने के लिए इलाज।
    • जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार, जिनकी मदद से इबोला वायरस से बचा जा सकता है।

    इबोला वायरस से बचने के लिए निम्नलिखित टिप्स को अपनाएं:

    • इबोला बीमारी से बचे रहने का एकमात्र तरीका यह है कि जैसे ही किसी वायरस के संपर्क में आएं या कम से कम जब लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

    निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें:

    • अगर आप अफ्रीकन देश जैसे किसी अन्य देश की यात्रा पर जा रहें हैं, जहां इबोला वायरस का खतरा हो।
    • यदि आप इबोला वायरल संक्रमण वाले व्यक्ति के संपर्क में आते हैं।
    • अगर आप इबोला बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं।

    यदि आपमें इबोला वायरस के लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

    अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

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