न्यूट्रोपेनिक बुखार (Neutropenic fever)
न्यूट्रोपेनिक बुखार में सही कारणों का पता नहीं है। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि यह सामान्य गट बैक्टीरिया के कारण होता है। संक्रमण के कारण का पता न होने के बाद भी न्यूट्रोपेनिक बुखार का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जाता है।
बुजुर्गों में इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in Seniors) कौन से हैं?
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) किसी भी उम्र में हो सकती हैं। लेकिन, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए, इन बीमारियों का निदान करना बहुत कठिन हो सकता है। बुजुर्गों में इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in seniors) इस प्रकार हैं।
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia)
कई बुजुर्गों को निमोनिया की शिकायत रहती है। इसके कई कारण हैं जैसे फेफड़ों की क्षमता का बदलना, कमजोर इम्युनिटी आदि। अन्य गंभीर बीमारियां होने पर इन्फ्लुएंजा का जोखिम बढ़ जाता है जैसे निमोनिया। यह समस्या होने पर फेफड़ों में मवाद या तरल पदार्थ भर जाता है। इससे सूजन, बुखार, सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
स्किन इंफेक्शंस (Skin Infections)
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) में आगे है बुजुर्गों में स्किन इंफेक्शन। उम्र के बढ़ने पर स्किन इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है जैसे:
- बैक्टीरियल या फूड़ इंफेक्शंस (Bacterial or fungal infections)
- ड्रग-रेसिस्टेंट इंफेक्शंस (Drug-resistant Infections)
- वायरल इंफेक्शन (Viral infections)
- वायरल इंफेक्शन जैसे हर्पीस जोस्टर (herpes zoster )
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन (Gastrointestinal infection)
उम्र के बढ़ने पर पाचन संबंधी समस्याओं के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इनमें से सबसे आम है हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori), जिससे बुखार, मतली और ऊपरी पेट में दर्द के साथ-साथ दीर्घकालिक बीमारी जैसे गैस्ट्रिटिस हो सकती है।
यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शंस (Urinary tract infections)
यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शंस भी बुजुर्गों में होने वाला आम इंफेक्शन है। डायबिटीज जैसी समस्या होने पर इस रोग का जोखिम और भी बढ़ जाता है।
बच्चों में सामान्य इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in Kids) कौन से हैं?
छोटे बच्चे बहुत जल्दी बीमार पड़ते हैं और उनका कारण बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी हो सकते हैं। कुछ बीमारियां एक बच्चे से दूसरे में बहुत तेजी से फैलती हैं। जानिए कौन सी संक्रामक रोग (Infectious diseases) बच्चों को प्रभावित करते हैं।

सर्दी-जुकाम (Cold)
सर्दी-जुकाम बच्चों में होने वाली सबसे आम बीमारी है। ऐसा माना जाता है कि दो सौ से भी अधिक वायरस सर्दी-जुकाम या सांस संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। बच्चों में यह सर्दी-जुकाम सीधे तौर पर बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने या किसी की छींक या खांसी से भी हो सकता है।
पेट का फ्लू (Stomach Flu)
बहुत से वायरस पेट में फ्लू का कारण या वायरल आंत्रशोथ (Viral Gastroenteritis) का कारण बनते हैं। इसके लक्षण हैं डायरिया, उलटी, बुखार और पेट में दर्द। पांच साल से छोटे बच्चे इस समस्या से अधिक पीड़ित होते हैं। पेट का फ्लू किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में होने से फैलता है, जिसे यह समस्या हो या दूषित भोजन या पेय से भी यह फैल सकता है। इसे रोकने का सबसे अच्छा तरीका है लगातार हाथ धोना।
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पिंकऑय (Pinkeye)
पिंकऑय या कंजंक्टिवाइटिस (conjunctivitis) होने पर आंखें गुलाबी हो जाती है। इसके साथ ही आंखों में खुजली, जलन या आंसू आ सकते हैं। इस समस्या का कारण है वायरस और बैक्टीरिया। यह एक से दूसरे बच्चे में फैल सकता है। हालांकि, इसमें किसी खास उपचार की जरूरत नहीं होती, लेकिन डॉक्टर ऑय ड्राप दे सकते हैं।
हाथ, पैर और मुंह के रोग (Hand, Foot and Mouth Disease)
इस इंफेक्शस डिजीज का नाम ऐसा इसलिए पड़ा है क्योंकि यह रोग होने पर बच्चे के हाथ, पैर और मुंह पर रेशेज हो जाते है। दस साल तक की उम्र के बच्चों में यह सामान्य है। इसका कारण वायरस है और यह रोग होने पर बच्चे को बुखार, नाक का बहना और गले में समस्या हो सकती है।
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