इंफेक्शस या संक्रामक रोग (Infectious diseases) जीवों के कारण होने वाले विकार हैं, जैसे बैक्टीरिया (Bacteria), वायरस (Virus), कवक(Fungi) या परजीवी (Parasites)। यह जीव हमारे शरीर के अंदर या आसपास रहते हैं और आमतौर पर हमारे लिए लाभदायक होते हैं। लेकिन, कुछ स्थितियों में यह जीव इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) का कारण बन सकते हैं। कुछ इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पास हो सकती हैं। कुछ रोग इंसेक्ट्स और अन्य जानवरों के द्वारा फैलते हैं। आप किन्ही खाद्य पदार्थों या पानी के माध्यम भी इनका शिकार हो सकते हैं। हलके संक्रमण की स्थिति में घर में आराम या घरेलू नुस्खों का प्रयोग करके आप स्वस्थ हो सकते हैं। लेकिन गंभीर मामले में आपको अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत पड़ सकती है। जानिए, इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) के बारे में विस्तार से।
इंफेक्शस डिजीज का कारण (Causes of Infectious Diseases) क्या हैं?
इंफेक्शस डिजीज (Infectious diseases) के बारे में पूरी जानकारी पाना बेहद आवश्यक है। ताकि आप इसके लक्षणों को पहचान सके और सही समय पर आपका इलाज हो सके। सबसे पहले जानते हैं इसके कारणों के बारे में। संक्रामक रोगों (Infectious diseases) का कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।
बैक्टीरिया (Bacteria) : यह जीव खराब गला (Strep throat), यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शंस (urinary tract infections) और ट्यूबरक्लोसिस (tuberculosis) आदि रोगों का कारण बन सकते हैं।
वायरस (Virus) : वायरस बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं और यह सामान्य सर्दी-जुकाम (Cold) से लेकर AIDS तक का कारण बन सकते हैं।
कवक (Fungi) : बहुत से त्वचा के रोग जैसे रिंगवर्म (Ringworm) और एथलिट’स फुट (Athlete’s foot) कवकके कारण होते हैं। यही नहीं, कवक हमारे नर्वस सिस्टम और फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकती है।
इंफेक्शस डिजीज के लक्षण (Symptoms of Infectious Diseases) कौन से हैं?
यह संक्रामक रोग किसी भी उम्र या लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। हर इंफेक्शस डिजीज के लक्षण (Symptoms of Infectious Diseases) अगल होते हैं। लेकिन इन लक्षणों को पहचानना आवश्यक है। इन संक्रामक रोगों (Infectious diseases) के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
हालांकि, प्रभावित व्यक्ति में ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा कुछ अन्य सिम्प्टम भी देखने को मिल सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह बेहद आवश्यक है। कुछ स्थितियों में डॉक्टर की राय और सही उपचार जरूरी है। जानिए, इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) होने पर किन स्थितियों में आपको डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
पुरुषों और महिलाओं में होनेवाले सामान्य इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in Men and women) कौन से हैं?
पुरुषों में क्लैमाइडिया (Chlamydia) सूजाक (Gonorrhea), ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) जैसी इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) होना सामान्य है। वहीं महिलाओं में भी कुछ संक्रामक रोग आम हैं। हालांकि, कई इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) का उपचार बेहद आसान है लेकिन कुछ मामलों में स्थिति गंभीर हो सकती है। जानिए, कौन सी इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) हैं जो महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित कर सकती हैं।
क्लैमाइडिया (Chlamydia)
यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो उन युवा पुरुषों में सामान्य है, जो सेक्शुअली एक्टिव होते हैं। यह बैक्टीरियम क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Bacterium Chlamydia Trachomatis) के कारण होता है। क्लैमाइडिया संक्रमण का उपचार एज़िथ्रोमाइसिन (azithromycin) जैसी एंटीबायोटिक दवाओं से संभव है।
सूजाक (Gonorrhea)
सूजाक भी एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। सूजाक निसेरिया गोनोरिया बैक्टीरिया (Neisseria gonorrhoeae bacteria) के कारण होता है। एंटीबायोटिक्स, जैसे कि सेफ्क्सिम (cefixime) का उपयोग आमतौर पर गोनोरिया के इलाज के लिए किया जाता है।
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) वो वायरस है, जो मनुष्य के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं किसी को भी हो सकती है शारीरिक संबंधों । शेयर्ड सुइयों द्वारा यह फैलती है।
जेनिटल हर्पीस (Genital herpes)
जेनिटल हर्पीस भी एक इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) है। जेनिटल हर्पीस के कारण शरीर के यौन क्षेत्रों पर फफोले और घाव हो जाते हैं। यह समस्या महिलाओं या पुरुषों दोनों में हो सकती है।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV)
इंफेक्शस डिजीज में आगे है ह्यूमन पेपिलोमा वायरस। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) के कई प्रकार मौजूद हैं और यह विभिन्न स्थितियां पैदा करते हैं। एचपीवी संक्रमण पुरुषों और महिलाओं में जेनिटल वार्ट का कारण बनता है। यह घाव लिंग, योनि या गुदा क्षेत्र पर नरम, उभरे हुए फफोलो के रूप में दिखाई देते हैं।
सेल्युलाइटिस (Cellulitis)
यह एक आम किंतु गंभीर बैक्टीरियल त्वचा संक्रमण है। जिसमें सेल्युलाइटिस के साथ, बैक्टीरिया त्वचा में प्रवेश करते हैं। सेल्युलाइटिस तेजी से शरीर में फैल सकता है और प्रभावित त्वचा में सूजन और लालिमा दिखाई देती है। अगर इस इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) का एंटीबायोटिक के साथ इलाज नहीं किया जाता है, तो सेल्युलाइटिस जानलेवा हो सकता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से में हो सकता है जैसे आपके किडनी, मूत्रवाहिनी, ब्लैडर और मूत्रमार्ग। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन आमतौर पर तब होते हैं, जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्र पथ में प्रवेश करते हैं और मूत्राशय में बढ़ना शुरू हो जाते हैं।
ऑस्टियोमाइलाइटिस हड्डी में संक्रमण है। यह संक्रमण ब्लड स्ट्रीम के माध्यम से या पास के ऊतक से फैलकर हड्डी तक पहुंच सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में दर्द, बुखार और ठंड लगना आदि शामिल हैं।
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बुजुर्गों में इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in Seniors) कौन से हैं?
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) किसी भी उम्र में हो सकती हैं। लेकिन, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए, इन बीमारियों का निदान करना बहुत कठिन हो सकता है। बुजुर्गों में इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in seniors) इस प्रकार हैं।
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia)
कई बुजुर्गों को निमोनिया की शिकायत रहती है। इसके कई कारण हैं जैसे फेफड़ों की क्षमता का बदलना, कमजोर इम्युनिटी आदि। अन्य गंभीर बीमारियां होने पर इन्फ्लुएंजा का जोखिम बढ़ जाता है जैसे निमोनिया। यह समस्या होने पर फेफड़ों में मवाद या तरल पदार्थ भर जाता है। इससे सूजन, बुखार, सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
स्किन इंफेक्शंस (Skin Infections)
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) में आगे है बुजुर्गों में स्किन इंफेक्शन। उम्र के बढ़ने पर स्किन इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है जैसे:
बैक्टीरियल या फूड़ इंफेक्शंस (Bacterial or fungal infections)
उम्र के बढ़ने पर पाचन संबंधी समस्याओं के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इनमें से सबसे आम है हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori), जिससे बुखार, मतली और ऊपरी पेट में दर्द के साथ-साथ दीर्घकालिक बीमारी जैसे गैस्ट्रिटिस हो सकती है।
यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शंस भी बुजुर्गों में होने वाला आम इंफेक्शन है। डायबिटीज जैसी समस्या होने पर इस रोग का जोखिम और भी बढ़ जाता है।
बच्चों में सामान्य इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases in Kids) कौन से हैं?
छोटे बच्चे बहुत जल्दी बीमार पड़ते हैं और उनका कारण बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी हो सकते हैं। कुछ बीमारियां एक बच्चे से दूसरे में बहुत तेजी से फैलती हैं। जानिए कौन सी संक्रामक रोग (Infectious diseases) बच्चों को प्रभावित करते हैं।
सर्दी-जुकाम (Cold)
सर्दी-जुकाम बच्चों में होने वाली सबसे आम बीमारी है। ऐसा माना जाता है कि दो सौ से भी अधिक वायरस सर्दी-जुकाम या सांस संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। बच्चों में यह सर्दी-जुकाम सीधे तौर पर बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने या किसी की छींक या खांसी से भी हो सकता है।
पेट का फ्लू (Stomach Flu)
बहुत से वायरस पेट में फ्लू का कारण या वायरल आंत्रशोथ (Viral Gastroenteritis) का कारण बनते हैं। इसके लक्षण हैं डायरिया, उलटी, बुखार और पेट में दर्द। पांच साल से छोटे बच्चे इस समस्या से अधिक पीड़ित होते हैं। पेट का फ्लू किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में होने से फैलता है, जिसे यह समस्या हो या दूषित भोजन या पेय से भी यह फैल सकता है। इसे रोकने का सबसे अच्छा तरीका है लगातार हाथ धोना।
पिंकऑय या कंजंक्टिवाइटिस (conjunctivitis) होने पर आंखें गुलाबी हो जाती है। इसके साथ ही आंखों में खुजली, जलन या आंसू आ सकते हैं। इस समस्या का कारण है वायरस और बैक्टीरिया। यह एक से दूसरे बच्चे में फैल सकता है। हालांकि, इसमें किसी खास उपचार की जरूरत नहीं होती, लेकिन डॉक्टर ऑय ड्राप दे सकते हैं।
हाथ, पैर और मुंह के रोग (Hand, Foot and Mouth Disease)
इस इंफेक्शस डिजीज का नाम ऐसा इसलिए पड़ा है क्योंकि यह रोग होने पर बच्चे के हाथ, पैर और मुंह पर रेशेज हो जाते है। दस साल तक की उम्र के बच्चों में यह सामान्य है। इसका कारण वायरस है और यह रोग होने पर बच्चे को बुखार, नाक का बहना और गले में समस्या हो सकती है।
Quiz: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन क्विज खेलें और जानें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) महिलाओं को ही क्यों होता है?
व्हूपिंग खांसी (Whooping Cough)
इस समस्या से बच्चे और बड़े दोनों प्रभावित हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया इंफेक्शन फेफड़ों और ब्रीदिंग ट्यूब्स को प्रभावित करता है। लेकिन, छोटे बच्चे इस समस्या के कारण गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। इस रोग के लक्षणों को कम करने में एंटीबायोटिक लाभदायक होते हैं।
इंफेक्शस डिजीज का निदान ( Diagnosis of Infectious Diseases) कैसे किया जा सकता है?
डॉक्टर आपके संक्रामक रोग (Infectious diseases) के लक्षणों के बारे में जानकार आपको कुछ टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। जिनमें लैब टेस्ट और ब्लड टेस्ट भी शामिल हैं। इन टेस्ट के बाद ही पता चल पाता है कि आप कौन से संक्रामक रोग से पीड़ित हैं। सही इलाज के लिए इन टेस्ट्स को कराना बेहद जरूरी है। जानिए, संक्रामक रोग (Infectious diseases) के निदान के लिए कौन से टेस्ट कराए जा सकते हैं:
इंफेक्शस डिजीज का उपचार (Treatment Infectious Diseases)
इस बात का पता लगने के बाद कि आपकी समस्या का कारण क्या है, उसके बाद आपका सही उपचार करने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर आपको उपचार के लिए इन चीज़ों कि सलाह दे सकते हैं:
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
यदि बीमारी का कारण बैक्टीरिया है, तो एंटीबायोटिक दवाओं के साथ उपचार करके आमतौर पर बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है है और इससे संक्रमण ठीक होने में मदद मिलती है। एंटीबायोटिक्स आमतौर पर बैक्टीरिया के संक्रमण के लिए होते हैं, क्योंकि इस प्रकार की दवाओं का वायरस से होने वाली बीमारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन कभी-कभी यह बताना मुश्किल होता है कि आपको जो बीमारी है वो किस जर्म के कारण है। उदाहरण के लिए, निमोनिया एक जीवाणु, एक वायरस, एक फंगस या एक परजीवी के कारण हो सकता है।
एंटीवायरल उपचार में एंटीवायरल दवाईयों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन, इनका प्रयोग केवल कुछ ही वायरस के उपचार के लिए किया जाता है। जैसे वो वायरस जो निम्नलिखित इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) का कारण होते हैं
टोपिकल एंटीफंगल दवाईयां स्किन या नाख़ून से जुड़े इंफेक्शंस को दूर करने में प्रभावी हैं, जो कवक के कारण होते हैं। अधिक गंभीर फंगल संक्रमण (विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में) इंट्रावेनस एंटिफंगल दवाओं (intravenous antifungal medications) की आवश्यकता हो सकती है।
एंटी-परजीवी उपचार (Anti-Parasites treatment)
मलेरिया, सहित कुछ रोग छोटे परजीवियों के कारण होते हैं। इन बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं मौजूद हैं।
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) से बचने के लिए बरते कुछ सावधानियां
इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) के जोखिम के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
अगर आप इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) से बचना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे जरूरी है अपने हाथों को धोना। खाना बनाने या खाने से पहले और बाद में, बाथरूम के प्रयोग के बाद अपने हाथों को धोना न भूलें। क्योंकि, हाथों के माध्यम से हो रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।
वैक्सीनेशन से आप कई रोगों के फैलने की संभावना को कम कर सकते हैं। बच्चों को भी सभी टीके लगवाएं।
अगर आपको कोई रोग है जैसे सर्दी-जुकाम, डायरिया, बुखार आदि तो घर पर ही रहें और बाहर जाने से बचे । बच्चों को भी स्कूल न भेजें।
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस से बचने के लिए हमेशा सेफ सेक्स तकनीक अपनाएं। हमेशा कंडोम का प्रयोग करें। इसके साथ ही, अपनी निजी चीजों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर न करें जैसे टूथब्रश, तौलिया, कंघी आदि।
अगर आप किसी दूसरे देश की यात्रा कर रहें हैं, तो अपने डॉक्टर से वैक्सीनेशन के बारे में अवश्य पूछें जैसे हेपेटाइटिस A या B (hepatitis A or B), हैजा (cholera), टाइफाइड (typhoid) आदि।
अगर आपको इंफेक्शस डिजीज (Infectious Diseases) का कोई भी लक्षण नजर आएं जैसे बुखार, उलटी या डायरिया आदि, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि, यह किसी गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकते हैं। यदि आपको लगातार संक्रमण हो रहा है, तो आपके लिए इसका सही उपचार और भी अधिक जरूरी है, ताकि आपकी स्थिति खराब न हो और आप जल्दी स्वस्थ हो सके।
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