प्लेग के बचाव (Prevention of Plague)
नीचे बताए गए तरीकों से प्लेग रोग से बचाव किया जा सकता है।
- प्लेग से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आपके घर में चूहें न हों।
- चूहों को छूने से बचें। ऐसे जानवरों को न छुएं, जो कि मरे हुए जानवरों को अपना भोजन बनाते हों।
- घर में चूहें न आएं, इसके लिए घर में बिल व अन्य दरारों को भर दें।
- अपने घर के पेट (पालतू जानवरों) को पिस्सुओं (एक प्रकार का छोटा कीड़ा) से मुक्त रखें।
- जिन घरों में प्लेग के मामले पाए गए हों, वहां जाने से बचें।
- जहां पक्षियां अपना घोंसला बना सकती हैं, उन जगहों को साफ रखें।
प्लेग का इलाज (Plague Treatment)
प्लेग का इलाज कई दवाइयों से किया जाता है। हालांकि, डॉक्टर से सलाह लिए बगैर कोई भी मेडिसिन नहीं लेनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। प्लेग बीमारी को एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से ठीक किया जाता है।
लाइम रोग (Lyme Disease)
इंसेक्ट से होने वाले इन्फेक्शन की बात करें, तो उसमें लाइम डिजीज (बीमारी) का भी नाम आता है। लाइम रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो एक कीट (कीटाणु) के काटने से फैलती है। यह बीमारी होने पर सूजन व लालिमा जैसी समस्या होने लगती है। लाइम रोग को ‘लाइम बोरेलियोसिस (Lyme Borreliosis)’ के नाम से भी जानते हैं। बैक्टीरिया ‘बोरेलिया बर्गडोरफेरी (Borrelia Burgdorferi)’ के काटने से यह रोग फैलता है। व्यक्ति की त्वचा से चिपक कर ये छोटे जीव उनका खून चूसते हैं, जिसका पता खुद व्यक्ति को भी नहीं चल पाता। ये कीट इतने छोटे होते हैं कि इन्हें देखना लगभग नामुमकिन होता है।
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लाइम रोग के लक्षण (Lyme Symptoms)
- शरीर पर मच्छर के काटने जैसा निशान हो जाना।
- लाइम रोग में व्यक्ति को बुखार भी आता है।
- हाथ पैर सुन्न होना व झुनझुनी महसूस होना।
- लिंफ नोड्स का बढ़ना।
- लाइम रोग में गले में दर्द भी होता है।
- इस रोग में नाड़ी की गति असामान्य हो जाती है।
- आंखों की रौशनी में बदलाव आना।
- सिरदर्द व हद से ज्यादा थकान महसूस होना।
- मांसपेशियों में दर्द होना।
लाइम रोग से बचाव (Prevention of Lyme)
हालांकि, कोई निश्चित तरीका अपनाकर लाइम रोग से बचा नहीं जा सकता, लेकिन जो कीट रोग का कारण बनते हैं, उनसे बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
- अधिक कीट पाए जाने वाले क्षेत्रों में ध्यानपूर्वक रहें। छायादार जगह, नम धरती, लंबी घास, पेड़ और झाड़ियों में कीट अधिक पाए जाते हैं।
- बाग व घास आदि के मैदानों में जाने से बचें।
- पहनने के लिए हल्के रंग के कपड़ों का चुनाव करें, ताकि कीट ऊपर चढ़े तो आसानी से नजर में आ सके।
- कीट वाली जगह से आने के बाद शरीर, कपड़े व बाल की सफाई अच्छे से करें।
- ऐसी क्रीम का इस्तेमाल करें, जो कीट को दूर भगाने का काम करती हो।
- फुल बाजू वाले या शरीर के अधिकतर हिस्सों को ढंकने वाले कपड़ों का चुनाव करें।
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लाइम रोग का इलाज (Lyme Treatment)
यदि आपको शरीर पर कोई कीट चिपका हुआ मिले, तो उसे चिमटी की मदद से निकाल दें, पर यह जरूर सुनिश्चित करें कि कीट को स्किन से आपने पूरी तरह से निकाल लिया हो। लाइम रोग का इलाज शुरूआती चरणों में सबसे बेहतर किया जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रेसक्राइब्ड 14 से 21 दिनों का एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स चलाया जाता है, जो कि संक्रमण को शरीर से खत्म कर देता है।
चगास रोग (Chagas Disease)
कीड़ों से होने वाले इंफेक्शनमें चगास रोग भी आता है। इंसेक्ट से होने वाले इन्फेक्शन की बात करें, तो प्रोटोजोन पैरासाइट की वजह से चगास रोग का संक्रमण फैलता है। ट्रायटोमिन बग (Triatomine Bug) नाम के इंसेक्ट से होने वाले इन्फेक्शन होता है। यह कीड़ा व्यक्ति के चेहरे को काटता है, जिस वजह से इसे ‘किसिंग बग’ के नाम से भी जाना जाता है। चगास रोग को ‘अमेरिकी ट्रिपैनोसोमियासिस (American Trypanosomiasis)’ के नाम से भी जानते हैं।
चगास रोग के लक्षण (Chagas Symptoms)
चगास रोग के लक्षण दो चरणों में देखने को मिलते हैं।
- तीव्र (जो कम समय तक रहता है)
- मध्यम (जो लंबे समय तक रहता है)
तीव्र चरण के लक्षण
तीव्र चरण के लक्षण मध्यम चरण की तुलना में कम गंभीर होते हैं। इसमें आमतौर पर आपको नीचे बताए गए लक्षण देखने को मिलते हैं।
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मध्यम चरण के लक्षण
रोग गंभीर होने पर दूसरा चरण आता है, जिसे मध्यम चरण कहते हैं। मध्यम चरण व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-
- व्यक्ति का हार्ट फेल होना।
- रक्त का थक्का जम जाना।
- कार्डिएक अरेस्ट पड़ना।
- हृदयगति (Heart rate) का असामान्य होना।
- ग्रासनली (Esophagus) बड़ी हो जाती है, जिस वजह से निगलने में परेशानी होती है।
- कोलोन के बड़ा होने पर पेट दर्द और कब्ज की समस्या होना।
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चगास रोग से बचाव (Prevention of Chagas)
फिलहाल अभी तक इस रोग की कोई वैक्सीन (टीका) नहीं आई है। ऐसे में बचाव का सबसे बेस्ट तरीका है कि खुद को ट्रायटोमिन नाम के कीट से दूर रखें। यदि आप उस इलाके में रहते हैं, जहां चगास रोग होने का खतरा है, तो संक्रमण से बचाव के लिए नीचे बताए गए कदम उठा सकते हैं-
- कच्ची ईंट, मिट्टी व घास-फूस में न सोएं, क्योंकि इन जगहों पर ट्रायटोमिन कीड़े के होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
- ऐसी जगहों पर यदि किसी कारणवश सोना पड़ भी जाए, तो मच्छरदानी जरूर लगाएं।
- कीड़ा मारने वाली दवा या स्प्रे को छिड़काव करें।
- त्वचा पर कीट से बचाव करने वाली क्रीम लगाएं।
चगास रोग का इलाज (Chagas Treatment)
इंसेक्ट से होने वाले इन्फेक्शन में चगास रोग काफी गंभीर माना जाता है। चगास रोग के इलाज के दौरान सबसे पहले व्यक्ति के शरीर में मौजूद पैरासाइट को खत्म करते हैं, जिससे कि लक्षणों व अन्य कारकों को नियंत्रित किया जा सके। चगास रोग के गंभीर होने पर दवाइयां बीमारी का इलाज नहीं कर पातीं। हालांकि, जिन लोगों की उम्र 50 से कम है, उन्हें दवाइयां दी जा सकती हैं। दवाई बीमारी के लक्षण को बढ़ने नहीं देते, जिससे कि गंभीर जटिलताएं होने की संभावना कम हो जाती है।
तो देखा आपने इंसेक्ट से होने वाले इन्फेक्शन कितने गंभीर होते हैं। ध्यान न देने पर से इंसेक्ट से इन्फेक्शन व्यक्ति को हो सकते हैं। इनमें से कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।