गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोरमाइकोसिस (Gastrointestinal mucormycosis): गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोरमाइकोसिस होने पर इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- पेट दर्द होना
- जी मिचलाना या उल्टी आना
- गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग होना
वहीं डिसेमिनेटेड म्यूकोरमाइकोसिस (Disseminated mucormycosis) किसी खास मेडिकल कंडीशन की वजह से बीमार हुए लोगों में होने की संभावना बनी रहती है।
अगर आप ऊपर बताय लक्षण महसूस कर रहें हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि कोरोना वायरस के लक्षण जैसे चेस्ट पेन, नाक बंद होना या ब्रीदिंग प्रॉब्लम म्यूकोरमाइकोसिस से मिलते हैं। इसलिए भले ही म्यूकोरमाइकोसिस जानलेवा और रेयर डिजीज हो, लेकिन वक्त पर अगर इलाज शुरू किया जाए, तो किसी भी बीमारी को हराना आसान हो सकता है।
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म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के रिसर्च के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस का निदान लक्षणों को समझने के साथ-साथ पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री समझने के बाद डॉक्टर ब्लैक फंगस का डायग्नोसिस करते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट
साइनस, लंग्स या स्किन से जुड़ी कुछ टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। अगर इस फंगल इंफेक्शन की वजह से स्किन भी डैमेज हुई है, तो ऐसी स्थिति में पेशेंट की
बायोप्सी भी की जा सकती है। बायोप्सी टेस्ट के लिए इंफेक्टेड एरिया की स्किन लैब टेस्ट के लिए भेजी जाती है। अगर सायनस या लंग्स से इंफेक्शन फैला है, तो कफ टेस्ट भी हेल्थ एक्सपर्ट कर सकते हैं।
म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) का इलाज कैसे किया जाता है?
ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस सीरियस इंफेक्शन डिजीज की श्रेणी में शामिल है। इसका इलाज डॉक्टर से ही करवाना चाहिए। डॉक्टर एम्फोटेरेसिन बी (Amphotericin B), पोसाकोनाजोल (Posaconazole) या आइसावूकोनाजोल (Isavuconazole) पेशेंट्स की स्थिति को देखते हुए प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। इन दवाओं को वेन या माउथ से दिया जा सकता है। फंगल इंफेक्शन के लिए फ्लुकोनाजोल (Fluconazole), वोरिकोनाजोल (Voriconazole), और एकेनोकैंन्डिस (Echinocandins) दी जा सकती है, लेकिन म्यूकोरमाइकोसिस होने की स्थिति में ये दवाएं परेशानी को कम करने में सफल नहीं हो पाती हैं।
म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) के कारण किन-किन बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है?
म्यूकोरमाइकोसिस बेहद ही खतरनाक बीमारी है, क्योंकि यह पूरे शरीर में काफी तेजी से फैलता है। रिसर्च के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस के संक्रमण लंग्स और ब्रेन में फैल सकता है, जिस वजह से निम्नलिखित शारीरिक परेशानी हो सकती है। जैसे:
अगर वक्त पर इलाज शुरू नहीं किया गया, तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है, क्योंकि यह इंफेक्शन बेहद तेजी से फैलता है। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) से कैसे बचा जा सकता है?
भले ही यह बीमारी इन्फेक्शस हो, लेकिन कोविड-19 की तरह म्यूकोरमाइकोसिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता है। इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए सेल्फ-केयर उपाय सबसे बेस्ट ऑप्शन माना जाता है। इस बीमारी से कैसे बचा जाए? तो इस बारे में जब हमने मुंबई के एसीएस हेल्थ के फिजीशियन डॉ. आशीष तिवारी से बात की, तो उन्होंने कुछ खास टिप्स शेयर की, जो इस प्रकार हैं।
- वैसे एरिया में न जाएं जहां कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा हो।
- मास्क पहनकर बाहर निकलें।
- डैमेज्ड बिल्डिंग से निकलने वाले पानी के संपर्क में न आएं।
- मिट्टी या धूल से बचने की कोशिश करें।
- आउटडोर एक्टिविटी के दौरान ऐसे कपड़े और जूते पहनें जिनसे बॉडी पूरी तरह से कवर हो सके।
- दस्ताने (gloves) पहनकर ही मिट्टी या खाद उठाने का काम करें।
- स्किन इंफेक्शन से बचने के लिए साबुन से अच्छे तरह से साफ करें।
- आवश्यकता पड़ने पर एंटीफंगल मेडिकेशन प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
हाइजीन का ख्याल रखें और
हाथों की भी साफ-सफाई पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही हेल्दी डायट भी मेंटेन करें। अगर आप म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।