यदि बच्चे में गंभीर एलर्जिक रिएक्शन के कोई संकेत दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
हर दो में से एक व्यस्क को PPSV वैक्सीन के बाद टीका लगाने वाली जगह पर लालिमा और दर्द का अनुभव होता है। 1 प्रतिशत से भी कम को गंभीर रिएक्शन जैसे बुखार या मांसपेशियों में दर्द की समस्या होती है।
और पढ़ें : बच्चों में टाइफाइड के लक्षण को पहचानें, खतरनाक हो सकता है यह बुखार
बच्चों को निमोनिया वैक्सीन लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
बच्चों को निमोनिया की वैक्सीन लगवानी जरूरी है, मगर कुछ स्थितियों में डॉक्टर उन्हें टीका न लगाने की सलाह देते हैं। औमतौर पर निम्न स्थितियों में न्यूमोकोकल वैक्सीन नहीं लगाने की सलाह दी जाती है यदि-
- यदि बच्चे को पिछली डोज से गंभीर (जानलेवा) एलर्जिक रिएक्शन हुआ हो।
- बच्चा यदि मध्यम या गंभीर रूप से बीमार है तो उसके ठीक होने के बाद ही टीका लगवाएं, हां सर्दी होने पर कोई समस्या नहीं है।
बच्चों को निमोनिया की वैक्सीन लगावाने के बाद कैसे करें उनकी देखभाल
PCV और PPSV वैक्सीन लगाने के बाद बच्चों को बुखार के साथ ही इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन, लालिमा आदि हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से पूछ लें कि क्या बच्चों को दर्द कम करने या बुखार के लिए कोई दवा दी जा सकती है और उसकी सही डोज क्या है।
निमोनिया वैक्सीन: कब जाएं डॉक्टर के पास
आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है यदि-
- यदि आपके बच्चे ने सीरीज की कोई डोज मिस कर दी है
- वैक्सीन लगवे के बाद उसे बहुत तेज बुखार या गंभीर एलर्जिक रिएक्शन हो गया हो।
खतरनाक है ये बीमारी- बच्चों में निमोनिया के लक्षण
बच्चों में निमोनिया के लक्षण उसकी गंभीरता के आधार पर दिखते हैं।
हल्के निमोनिया होने पर यह लक्षण दिखते हैं
एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से ऐसे निमोनिया का इलाज किया जा सकता है।
मॉडरेट निमोनिया के लक्षण
इसमें बच्चे में लक्षण थोड़ा गंभीर हो जाते हैं। ऐसे होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं इसे हल्के में लेने की गलती न करें।
गंभीर निमोनिया के लक्षण
बैक्टीरियल निमोनिया बच्चों में आम बात है। और इससे स्थिति अक्सर गंभीर हो जाती है।
- तेज बुखार
- पसीना आना या ठंडी लगना
- नाखून या होठों का नीला पड़ना
- सीने में घरघराहट होना
- सांस लेने में दिक्कत महसूस होना क्योंकि संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच जाता है।
- ऐसी स्थिति में तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया की वजह से होता है निमोनिया
न्यूमोकॉकल वैक्सीन बच्चे को लगवा दी जाए तो निमोनिया से होने वाली मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है। हालांकि निमोनिया के खिलाफ इस वैक्सीन का असर क्या और कितना है इस बारे में रिसर्च टीम सही आंकड़े नहीं दे पायी। साउथ ईस्ट एशिया का पहला देश है लाओस जहां साल 2013 में पहली बार न्यूमोकॉकल वैक्सीन की शुरुआत की गई थी जो एक नहीं बल्कि 13 तरह के सबसे कॉमन न्यूमोकॉकस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। निमोनिया वैक्सीन के बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर लें।