IPV2 वैक्सीन क्या है? (IPV2 Vaccine)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (Inactivated polio vaccine) पोलियो वायरस टाइप्स 1, 2, और 3 से बचाती है। ऐसे ही IPV वैक्सीन की सेकंड डोज भी जरुरी है, जिसे IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) कहा जाता है। ओरल पोलियो वैक्सीन के बाद IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) की सलाह दी जाती है। IPV2 वैक्सीन से पोलियो वायरस से प्रोटेक्शन बढ़ती है, जिसमें पैरालिसिस के प्रति प्रोटेक्शन भी शामिल है। अगर किसी व्यक्ति की कुछ साल पहले पोलियो वैक्सीनेशन (Polio Vaccination) हुई है, तो उसे ओरल पोलियो वैक्सीन दी गई होगी, जिसे लाइव पोलियो वायरस (Live Polio Virus) से बनाया जाता था। हालांकि, लाइव वायरस का टीका पोलियो से बचाव में अत्यधिक प्रभावी था, लेकिन ऐसा पाया गया कि इस बीमारी के कुछ मामलें ओरल टीके के कारण ही होते थे।
उसके बाद से इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन का ही प्रयोग किया जाता है। वायरस के इनएक्टिव फॉर्म के प्रयोग से पोलियो की संभावना कम रहती है। IPV और IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) की शॉट बाजू और टांग में शॉट दिया जाता है। IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) को कब लगवाना चाहिए, इसके बारे में डॉक्टर आपको सही सलाह दे सकते हैं। उम्मीद है कि IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) के बारे में आप समझ गए होंगे। अब जानते हैं कि IPV2 वैक्सीन (IPV2 Vaccine) की जरूरत किन लोगों को होती है?

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IPV2 वैक्सीन की जरूरत किन्हें होती है?
अगर बात की जाए पोलियो वैक्सीन की, तो अधिकतर लोगों को पोलियो वैक्सीन तब लेनी चाहिए, जब वो बच्चे होते हैं। बच्चों को इनएक्टिव पोलियो वैक्सीन (Inactive polio Vaccine) की चार खुराकें इन उम्र में दी जाती हैं:
- दो महीने की उम्र में
- चार महीने की उम्र में
- 6-18 महीने की उम्र में
- 4-6 साल में बूस्टर डोज
क्योंकि, अधिकतर वयस्क बचपन में इस टीकाकरण को करा चुके होते हैं। इसलिए, अठारह साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को रूटीन पोलियो वैक्सीनेशन की सलाह दी जाती है। लेकिन, अगर किसी व्यक्ति का पोलियो वायरस के कांटेक्ट में आने की संभावना हो तो उसे पोलियो वैक्सीनेशन दी जाती है। इन लोगों को यह वैक्सीनेशन दी जा सकती है: