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Kidney Biopsy : किडनी बायोप्सी क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/09/2020

Kidney Biopsy : किडनी बायोप्सी क्या है?

परिचय

किडनी बायोप्सी (Kidney Biopsy) क्या है?

किडनी बायोप्सी (Kidney Biopsy) के दौरान डॉक्टर किडनी में आई किसी खराबी या बीमारी के बारे में पता लगाते हैं। इन लक्षणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी किडनी के टिशू का एक छोटा टुकड़ा निकालते हैं, जिसका एक माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं। इसे गुर्दे की बायोप्सी भी कहते हैं।

किडनी बायोप्सी की जरूरत कब होती है?

निम्न स्थितियों में गुर्दे की बायोप्सी की जरूरत पड़ सकती है:

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  • अज्ञात किडनी की समस्याओं का पता लगाने और उसका उपचार करने के लिए
  • किड़नी को स्वस्थ्य रखने के लिए उसकी स्थिति के आधार पर उसका उपचार करने के लिए
  • गुर्दे की बीमारी कितनी तेजी से फैल रही है उसका पता लगाने के लिए
  • गुर्दे की बीमारी या किसी अन्य बीमारी के कारण किडनी को कितना नुकसान हुआ है उसकी जांच करने के लिए
  • किडनी की बीमारी के लिए लिया जा रहा उपचार किस तरह काम कर रहा है इसका पता लगाने के लिए
  • प्रत्यारोपित यानी ट्रांसप्लाट किया गया गुर्दा स्वास्थ्य तरीके से काम कर रहा है या नहीं इसकी निगरानी करने के लिए
  • आपका डॉक्टर रक्त या मूत्र परीक्षण के परिणामों के आधार पर किडनी बायोप्सी के निर्देश दे सकते हैं:

    • मूत्र में खून (हेमाट्यूरिया) आने पर, जो किडनी से आता है
    • मूत्र में प्रोटीन (प्रोटीनूरिया) आने पर, जो कि गुर्दे की बीमारी के अन्य लक्षणों के साथ तेजी से बढ़ रहा है
    • किडनी के काम में बाधा होने पर।

    इन समस्याओं वाले हर व्यक्ति को किडनी बायोप्सी की जरूरत होती है। इस टेस्ट की सिफारिश आपके शरीर के संकेतों और लक्षणों के आधार पर तय किया जाता है।

    और पढ़ेंः Semen Analysis : वीर्य विश्लेषण क्या है?

    जोखिम

    किडनी बायोप्सी करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?

    किडनी बायोप्सी टेस्ट कराने से पहले आपको इसके बाद होने वाली समस्याओं और स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता होना चाहिए। आमतौर पर इसके बाद इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इसकी समस्या हर किसी के साथ नहीं देखी जाती है। इसलिए उन लक्षणों के लिए सतर्क रहना चाहिए जो गुर्दे की बायोप्सी के बाद संक्रमण के संकेत हो सकते हैं। निम्न स्थितियां या लक्षण दिखाई देने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करेंः

    • बायोप्सी के बाद 24 घंटे से अधिक समय तक आपके मूत्र में खून की बूंदे या खून के थक्के आ रहे हों
    • पेशाब नहीं कर सकते
    • ठंड लगना या बुखार होना
    • बायोप्सी की जगह पर तेज दर्द
    • बायोप्सी की जगह पर सूजन, लालिमा, खून आना
    • बेहोशी या कमजोर महसूस करना

    इंफेक्शन के अलावा, गुर्दे की बायोप्सी के कारण उसके आस-पास के अंगों और त्वचा में भी जोखिम का खतरा बन सकता है। इसलिए किसी भी तरह की स्थिति होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

    और पढ़ेंः Kidney Function Test : किडनी फंक्शन टेस्ट क्या है?

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    प्रक्रिया

    किडनी बायोप्सी के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?

    आमतौर पर किडनी बायोप्सी के आपको किसी खास तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है।

    हालांकि, इस टेस्ट को कराने से पहले, अपने डॉक्टर को बताएं अगर आप किसी भी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं, ओवर-द-काउंटर दवाओं और हर्बल सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं। साथ ही, परीक्षण के पहले, दौरान या बाद में आपको किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए इसके बारे में भी अपने डॉक्टर से बात करें।

    अगर आप ऐसी दवाएं ले रहे हैं जो गुर्दे की बायोप्सी के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं, तो आपका डॉक्टर उन दवाओं के इस्तेमाल को बंद करने की सलाह दे सकते हैं। जिनमें इन दवाओं के रूप शामिल हो सकते हैं:

    • एंटीकोआगुलंट्स (खून को पतना करने की दवा)
    • एस्पिरिन या आइबूप्रोफेन (नॉनस्टेरॉइडल एंटीइनफ्लेमेटरी ड्रग्स)
    • खून के थक्कों को प्रभावित करने वाली कोई दवा
    • हर्बल या किसी तरह के भोजन

    अगर आप प्रेग्नेंट हैं या प्रेग्नेंट होने की योजना बना रही हैं, तो किडनी बायोप्सी करने से पहले इसके बारे में अपने डॉक्टर को बताएं। साथ ही, किडनी बायोप्सी से पहले आपको अपने खून और मूत्र के नमूनों की जांच करानी होगी। जिससे इस बात का पता लगाया जाएगा कि आपको कोई इंफेक्शन है या नहीं।

    गुर्दे की बायोप्सी से कम से कम आठ घंटे पहले आपको कुछ भी खाने या पीने से मनाही होगी।

    किडनी बायोप्सी में होने वाली प्रक्रिया क्या है?

    किडनी बायोप्सी टेस्ट किसी अस्पताल या क्लिनिक में किया जाएगा। जहां पर टेस्ट करने से पहले आपकी नशों में ग्लूकोज दिया जाएगा।

    बायोप्सी के दौरान, आपको आपने पेट या एक तरफ की करवट करके या उलटा होकर लेटना होगा। अधिकतर लोग पीठ के बल लेटते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है आपकी किडनी की जांच करने की सबसे अच्छी अवस्था कौन सी है।

    पर्क्यूटेनीअस किडनी बायोप्सी (Percutaneous kidney biopsy) में कम से कम एक घंटे का समय लग सकता है, इस दौरान निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं:

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    • अल्ट्रासाउंड- किडनी की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन का उपयोग किया जा सकता है।
    • जहां से टिशू निकालना होगा, उस त्वचा पर डॉक्टर निशान बनाते हैं। फिर उसे साफ करके सुन्न करने वाली दवा लगाते हैं।
    • डॉक्टर एक छोटा चीरा लगाते हैं जिसके अंदर एक सुई डालते हैं। फिर अल्ट्रासाउंड डिवाइस की मदद से जहां से टिशू निकालने हैं उस स्थान पर सुई ले जाते हैं।
    • आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता आपको को अपनी सांस रोककर रखने के लिए कहेंगे। इसके बाद वो बायोप्सी सुई को आपके अंदर डालेंगे और गुर्दे के ऊतकों को हटा देंगे।
    • इसके बाद डॉक्टर स्प्रिंग-लोडेड इंस्ट्रूमेंट का उपयोग करके किडनी के टिशू का नमूना निकालेंगे। इस दौरान डॉक्टर आपको सांस रोक कर रखने के लिए कहेंगे। आपको दवाब का भी एहसास हो सकता है।
    • टिशू की सही मात्रा निकालने के लिए आपका डॉक्टर आपके अंदर कई बार सुई डाल सकते हैं।
    • टिशू का टुकड़ा लेने के बाद डॉक्टर सुई बाहर निकाल लेते हैं और टांके को बंद कर देते हैं।

    पर्क्यूटेनीअस किडनी बायोप्सी की प्रक्रिया हर किसी के सुरक्षित विकल्प नहीं हो सकती है। अगर आपको रक्तस्राव की समस्याएं हैं, तो आपका डॉक्टर आपके लिए लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी का विकल्प चुन सकते हैं।

    इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक छोटा चीरा लगाते हैं और एक पतली, रोशनी वाली ट्यूब लेप्रोस्कोपिक को शरीर के अंदर डालते हैं। यह डिवाइस डॉक्टर को आपके गुर्दे को वीडियो स्क्रीन पर देखने और ऊतक के नमूने को निकालने में मदद करती है।

    और पढ़ेंः Double Marker Test : डबल मार्कर टेस्ट क्या है?

    किडनी बायोप्सी के बाद क्या होता है?

    • आपको कुछ समय के लिए रिकवरी रूम में रखा जाएगा। जहां डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर और सांस की निगरानी करेंगे।
    • रक्तस्राव और अन्य स्थितियों की जांच के लिए यूरिन एनालिसिस (urine analysis) और CBC टेस्ट भी कर सकते हैं।
    • कई घंटों के लिए आपको आराम करने की सलाह दी जाएगी।
    • बायोप्सी की जगह पर दर्द का एहसास होने पर डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाओं की सलाह दे सकते हैं।

    टेस्ट होने के कुछ ही घंटो बाद आप घर जा सकते हैं। हालांकि, आपको एक से दो दिनों तक घर पर आरान करने की जरूरत होगी। किसी भी तरह का शारीरिक काम को करने से परहेज भी करना होगा।

    आपके किडनी के टिशू को डॉक्टर द्वारा जांच किया जाएगा। जहां पर पैथोलॉजिस्ट गुर्दे के ऊतकों में असामान्य फैट, स्कारिंग, संक्रमण या अन्य असामान्यताओं की जांच करते हैं।

    अगर टेस्ट होने के बाद आपको इस तरह का अनुभव होता है, तो आपको अपने डॉक्टर को फोन करना चाहिए:

    • बायोप्सी के 24 घंटे से अधिक समय बाद आपके मूत्र में खून या खून के थक्के आ रहे हो
    • पेशाब करने में परेशानी
    • बायोप्सी वाले स्थान पर तेज दर्द
    • 38 डिग्री से अधिक बुखार
    • बेहोशी या कमजोरी
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    अगर किडनी बायोप्सी के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

    और पढ़ेंः Glucose Tolerance Test : ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट क्या है?

    परिणाम

    मेरे टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?

    पैथोलॉजिस्ट आपके टेस्ट को परिणामों को इक्ठ्ठा करेंगे और आपके डॉक्टर को इसकी रिपोर्ट देंगे। इस टेस्क के परिणाम आमतौर पर लगभग एक हफ्ते में आते हैं।

    अगर गुर्दे के ऊतक एक सामान्य संरचना दिखाते हैं जो किसी भी तरह के फैट या इंफेक्शन से सुरक्षित हैं, तो आपके टेस्ट का परिणाम सामान्य माना जाता है।

    लेकिन अगर गुर्दे की ऊतकों में परिवर्तन पाया जाता है, तो गुर्दे की बायोप्सी के परिणामों को असामान्य माना जाता है। जो यह संकेद दे सकते हैं कि आपको गुर्दे के रोगों का खतरा हो सकता है।

    टेस्ट के असामान्य परिणाम होने के संकेत:

    • किडनी इंफेक्शन 
    • किडनी में खून के प्रवाह में कमी या कोई बाधा
    • कनेक्टिव टिशू
    • असफल किडनी ट्रांसप्लाट
    • किडनी कैंसर
    • मूत्र मार्ग में इंफेक्शन
    • किडनी के अन्य रोग

    निम्न लक्षण पाए जाने पर आपका डॉक्टर इनके उपचारों के बारे में आपके साथ सलाह कर सकते हैं।

    प्रयोगशाला और अस्पताल के आधार पर, किडनी बायोप्सी की परिणाम भिन्न हो सकते हैं। अगर अपने टेस्ट के परिणामों को लेकर आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने चिकित्सक से बात करें।

    डिस्क्लेमर

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