टॉन्सिल्स बीमारी के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। नाक और मुंह की मदद से बैक्टीरिया और वायरस शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। इन्हें रोकने में टॉन्सिल्स हेल्प करता है। टॉन्सिल में इंफेक्शन की समस्या कॉमन कोल्ड के जरिए, बैक्टीरिया के माध्यम से यानी स्ट्रेप थ्रोट (गले का संक्रमण) की वजह से हो सकती है।
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वायरस की वजह से टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन
कुछ वायरस टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन की समस्या को खड़ा कर देते हैं। कुछ वायरस कॉमन कोल्ड का कारण बन सकते हैं। हिनोवायरस (Hinovirus), एपस्टीन बार वायरस (Epstein-Barr virus), हेपेटाइटिस ए (hepatitis A), एचआईवी (HIV) आदि के कारण टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन यानी टॉन्सिलाइटिस की समस्या हो सकती है। कुछ लोगों में मोनोन्यूक्लिओसिस सेकेंड्री इन्फेक्शन के रूप में डेवलप हो सकता है। अगर आपको वायरस की वजह से टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन है तो कफ की समस्या या नाक भरा होने का एहसास हो सकता है। वैसे तो इस समस्या में एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते हैं लेकिन हाइड्रेटेड रहने और ओवर-द-काउंटर दवा लेने से शरीर को आराम मिल सकता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
बैक्टीरिया की वजह से टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन
लगभग 15 से 30 प्रतिशत टॉन्सिलाइटिस की समस्या बैक्टीरिया की वजह से उत्पन्न होती है। अक्सर स्ट्रेप बैक्टीरिया के कारण स्ट्रेप थ्रोट की समस्या होती है। इसके साथ ही अन्य बैक्टीरिया भी टॉन्सिलाइटिस के कारण बन सकते हैं। अगर बच्चों की बात की जाए तो 5 से 15 साल के बच्चों में बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस की समस्या आम होती है। बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस की समस्या से निपटने के लिए आपका डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ ही वहीं ट्रीटमेंट किया जाता है जो वायरल टॉन्सिलाइटिस में किया जाता है।
टॉन्सिल्स में इंफेक्शन का पता कैसे लगाया जाता है?
टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन का डायग्नोस शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। हो सकता है कि डॉक्टर जांच करने के लिए गले को थपथपाए। साथ ही डॉक्टर कम्प्लीट ब्लड काउंट की जांच के लिए सैंपल भी ले सकता है। सैंपल की जांच करने से ये पता लगाया जा सकता है कि इन्फेक्शन वायरल है या फिर बैक्टीरियल। इसी आधार पर ट्रीटमेंट तय किया जाता है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए ?
अगर आपको टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन की समस्या हुई है तो कुछ खास प्रकार के लक्षण नजर आएंगे। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से संपर्क तुरंत करना चाहिए।
- अगर तेजी से बुखार हो 103 °F((39.5°C)
- मसल्स वीकनेस फील होने पर।
- नेक स्टिफनेस महसूस होने पर ।
- गले में खराश की समस्या जो कि दो दिन के बाद भी सही न हो।
टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन के कारण अगर सांस लेने में समस्या हो रही हो तो भी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। वैसे तो कुछ टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन अपने आप ही चले जाते हैं, वहीं कुछ को ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है।
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टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है ?
अगर किसी भी व्यक्ति को टॉन्सिल्स में आम संक्रमण की समस्या है तो उसे किसी भी प्रकार के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। समस्या कुछ दिन बाद अपने आप ही सही हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति को कोल्ड की समस्या ही महसूस होती है। वहीं कुछ टॉन्सिलाइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स या टॉन्सिललेक्टमी की जरूरत होती है। अगर व्यक्ति को टॉन्सिल में इंफेक्शन की समस्या के कारण डिहाइड्रेशन की समस्या हो गई है तो उसे अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेने की जरूरत पड़ेगी। साथ ही गले में दर्द की समस्या से छुटकारा पाने के लिए मेडिसिन की जरूरत पड़ सकती है।
क्या होता है टॉन्सिललेक्टमी (Tonsillectomy) ?

टॉन्सिललेक्टमी में सर्जरी के माध्यम से टॉन्सिल को हटाया जाता है। जिन लोगों को क्रॉनिक या रीकरंट टॉन्सिलाइटिस की समस्या होती है, उनके लिए टॉन्सिललेक्टमी का प्रयोग किया जा सकता है। जब टॉन्सिल में इन्फेक्शन के लक्षणों में सुधार देखने को नहीं मिलता है और जटिलता बढ़ती जाती है तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। जिन लोगों को टॉन्सिलाइटिस की समस्या कई बार ( 5 से 7 बार) हो चुकी हैं, उनके लिए इस विधि का प्रयोग उचित रहता है। ऐसे लोगों को सांस लेने में समस्या भी महसूस हो सकती है।
अध्ययन के दौरान पाया गया कि बच्चों में सर्जरी के बाद एक साल के अंदर इंफेक्शन की संभावना में कमी पाई गई थी, वहीं एक अन्य स्टडी में पाया गया कि वयस्कों के टॉन्सिल्स को हाट देने पर श्वास और इंफेक्शन की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। टॉन्सिललेक्टमी होने से स्ट्रेप थ्रोट के जोखिम को कम किया जा सकता है। हो सकता है कि सर्जरी के बाद व्यक्ति के टॉन्सिल दोबारा बढ़ जाए, लेकिन ये ज्यादातर मामलों में असामान्य ही होता है। सर्जरी होने के बाद तुरंत अस्पताल से छुट्टी दे सकता है लेकिन आपको पूरी तरह से ठीक होने में एक से दो हफ्ते लग सकते हैं।
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एंटीबायोटिक्स का प्रयोग
अगर बैक्टीरिया ने टॉन्सिल्स में संक्रमण की समस्या पैदा की है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लिख सकता है। एंटीबायोटिक्स आपके लक्षणों को तेजी से दूर जाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन एंटीबायोटिक्स लेने से अन्य इंफेक्शन भी देखने को मिल सकते हैं जैसे की पेट खराब की समस्या आदि। जिन व्यक्तियों में अधिक कॉम्प्लीकेशन देखने को मिलते हैं, उन्हें एंटीबायोटिक्स लेना जरूरी हो जाता है।
डॉक्टर ए स्ट्रेप्टोकोकस के लिए पेनिसिलिन दे सकता है। अगर आपको पेनिसिलिन से समस्या है तो डॉक्टर अन्य एंटीबायोटिक्स भी लिख सकता है। डॉक्टर ने जो भी एंटीबायोटिक्स लिखी हैं, उनको रोजाना टाइम से लें। अगर आपको दवा खाने के बाद असहज महसूस हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन से बचने के घरेलू उपचार
जैसा कि आपको पहले भी बताया जा चुका है कि टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन की समस्या हो जाने पर कई बार ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। घरेलू उपचार के माध्यम से ही इसे ठीक किया जा सकता है। जानिए किन बातों का ध्यान रख और घरेलू उपचार के माध्यम से आप इस समस्या से निपट सकते हैं।
- डेली एक्टिविटी में शरीर की ऊर्जा खत्म होती है। अगर आपको इन्फेक्शन की समस्या हो गई है तो बेहतर होगा कि कुछ दिनों के लिए आराम करें।
- पूरा आराम लेने से शरीर को इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।
- गला न सूखने पाएं, इसके लिए पानी और अन्य तरल पदार्थो का सेवन करते रहे। साथ ही गले को गीला रखने के लिए कैफीन युक्त पेय पदार्थो से बचना सही रहेगा।
- अगर आपको सिर्फ पानी पीना अच्छा नहीं लग रहा है तो पानी में शहद मिलाकर भी पिया जा सकता है। ऐसे में गले में दर्द की समस्या से भी राहत मिल जाएगी।
- अगर गला अधिक भरा हुआ महसूस हो रहा है तो नमक वाले पानी से गरारा किया जा सकता है। आधे या 1-2 कप में आप आधा या 3/4 टी स्पून नमक मिलाकर इससे गरारा कर सकते हैं। ऐसा करने से गले को आराम मिलेगा।
- गले में सूखी हवा समस्या अधिक बढ़ा सकती है। बेहतर रहेगा कि ह्यूमिडिफायर या स्टीमी बाथरूम का यूज करें।
- जिन लोगों के पास ह्यूमिडिफायर नहीं है, वो स्टीम शॉवर लेकर राहत पा सकते हैं। स्टीम शॉवर के दौरान गहरी सांस लें। ऐसा करने से गले के सूजन में राहत मिलेगी।
- अगर टॉन्सिल्स में इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण हुआ है तो ऐसे में दालचीना का प्रयोग उचित रहेगा। दालचीनी का प्रयोग आप चाहे तो दूध के साथ कर सकते हैं। ऐसा करने से गले में दर्द से राहत मिलती है।
- इंफेक्शन अगर नहीं हुआ है तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। खाने के पहले और खाना बनाने के पहले हाथ अच्छे से साफ करें।
- तंबाकू और स्मोकी लोकेशन से बचना आपको लिए सही रहेगा। ऐसा करने से इन्फेक्शन के लक्षणों से राहत मिलती है।
- इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन को दर्द या बुखार की समस्या को कम करने के लिया जा सकता है।
टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन या टॉन्सिलाइटिस की समस्या आम होती है। अगर आपको भी खाना निगलने के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो तुरंत डॉक्टर से मिले। अगर ज्यादा समस्या नहीं हो रही है तो समस्या अपने आप ही कुछ दिनों में सही हो जाएगी। अगर आपको इस बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए हो तो बेहतर रहेगा कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें। बिना डॉक्टर की सलाह से कोई भी मेडिसिन न लें।