backup og meta

Tachycardia (टैकीकार्डिया) क्या है? क्यों बेवजह बढ़ जाती है दिल की धड़कन, जानें यहां

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/09/2023

Tachycardia (टैकीकार्डिया) क्या है? क्यों बेवजह बढ़ जाती है दिल की धड़कन, जानें यहां

आरामदायक स्थिति में भी हार्ट बीट का सामान्य से ज्यादा तेज धड़कना टैकीकार्डिया (Tachycardia)  कहलाता है। प्रायः दिल की धड़कन एक्सरसाइज, फिजिकल एक्टिविटी, तनाव, मानसिक आघात या फिर बीमारी के दौरान बढ़ जाती है। लेकिन, आरामदयाक स्थिति में भी हृदय के अपर या लोअर चेंबर या दोनों में ही हृदय गति तेज होती है और यही टैकीकार्डिया की समस्या है।

टैकीकार्डिया (Tachycardia) को ऐसे समझें

हृदय गति इलेक्ट्रिकल सिग्नल की मदद से कंट्रोल होती है और हार्ट में किसी तरह की परेशानी होने पर ट्रायकिकार्डिया की स्थिति शुरू होती है। हार्ट रेट 60 से 100 के बीच सामान्य होता है। 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को ट्रायकिकार्डिया की समस्या हो सकती है। लेकिन, अगर परिवार में किसी को यह समस्या है तो इसके होने के खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, परेशानी समझकर इसे कम या ठीक किया जा सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह जरूर लें।

और पढ़ें- Chest Pain : सीने में दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

टैकीकार्डिया के लक्षण क्या हैं? (Tachycardia symptoms)

दिल के बहुत तेजी से धड़कने पर यह आपके शरीर के बाकी हिस्सों में सही तरह से ब्लड फ्लो नहीं पाता है। ऐसा होने पर ऑक्सिजन कम होने लगता है। टैकीकार्डिया (Tachycardia) के लक्षण:

  • सांस लेने में परेशानी महसूस होना
  • सिर दर्द होना
  • पल्स रेट का बढ़ना
  • दिल का तेजी से धड़कना ( नॉर्मल 60-100/मिनट)
  • छाती में दर्द होना
  • बेहोश होना
  • कुछ ऐसे भी लोग हो सकते हैं जिनमे ऐसे लक्षण न हों। लेकिन, हार्ट चेकप या शारीरिक जांच के दौरान इसकी जानकरी मिल सकती है।

    और पढ़ें- Anemia chronic disease: एनीमिया क्रोनिक डिजीज क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय

    टैकीकार्डिया (Tachycardia) को लेकर कब डॉक्टर से मिलें? 

    शुरुआती जांच से और इलाज से किसी भी खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा। अगर आपके मन में भी टायकिकार्डिया से जुड़े सवाल हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग है और इलाज भी उसी अनुसार किया जाता है।

    [mc4wp_form id=”183492″]

    और पढ़ें- G6PD Deficiency : जी6पीडी डिफिसिएंसी या ग्लूकोस-6-फॉस्फेट डीहाड्रोजिनेस क्या है?

    टैकीकार्डिया (दिल की धड़कन तेज होना) के प्रकार (Tachycardia types)

    टैकीकार्डिया (Tachycardia) के कई प्रकार होते हैं। इन सभी को कई ग्रुप में विभाजित किया गया है जो कि हृदय के उस अंग पर निर्भर करते हैं जिसके कारण दिल की धड़कन तेज होती है और असामान्य दिल की धड़कन की स्थिति उतपन्न होती है। टैकीकार्डिया के सामान्य प्रकार में शामिल हैं –

    वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन

    वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन तब होती है जब हृदय के निचले चेंबर के कारण इलेक्ट्रिकल इम्पल्स शरीर में पर्याप्त खून पहुंचाने की बजाए कांपने लगती है। यदि दिल की धड़कन कुछ मिनटों में ही सामान्य नहीं होती है तो यह परिस्थिति जानलेवा हो सकती है। धड़कन को सामान्य बनाने के लिए इलेक्ट्रिक शॉक का इस्तेमाल किया जा सकता है, इस प्रकिया को डीफिब्रिलेशन कहा जाता है।

    वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन हार्ट अटैक के दौरान या बाद में हो सकती है। टैकीकार्डिया (Tachycardia) के इस प्रकार यानी वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन से ग्रस्त ज्यादातर लोगों को अन्य हृदय संबंधी रोग होते हैं या वह किसी प्रकार का गंभीर ट्रामा झेल चुके होता हैं जैसे की बिजली का झटका लगना।

    एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation)

    एट्रियल फिब्रिलेशन एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें हृदय गति तेजी से बढ़ने लगती है। इसका कारण हृदय की धमनियों में हुई असामान्य इम्पल्स होती हैं। इस प्रकार के संकेत असामान्य और तेज होते हैं जिसके कारण एट्रिया का संकोच कमजोर होने लगता है।

    एट्रियल फिब्रिलेशन केवल कुछ समय के लिए ही होती है लेकिन इसके कुछ अटैक इलाज के बिना ठीक नहीं हो पाते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन टैकीकार्डिया (Tachycardia) का सबसे सामान्य प्रकार है।

    और पढ़ें – Onabotulinumtoxina : ओनबोटुलिनमटोक्सिना क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

    सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया

    सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया दिल की असामान्य धड़कन होती है जो कि हृदय की वेंट्रिकल के निचले चेंबर में शुरू होती है। यह आमतौर पर हृदय में हुई असामान्य सरक्यूटरी के कारण होता है। यह लोगों में जन्म से ही मौजूद होता है और लगातार लूप में संकेतों को ओवरलैप करता रहता है।

    और पढ़ें – Cervical Dystonia : सर्वाइकल डिस्टोनिया (स्पासमोडिक टोरटिकोलिस) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    एट्रियल फ्लटर (फड़फड़ाना)

    एट्रियल फ्लटर में हृदय की एट्रिया तेजी से धड़कने लगती हैं। तेज दिल की धड़कन के कारण एट्रिया का संकुचन कमजोर हो जाता है। एट्रियल फ्लटर का कारण एट्रिया के अंदर हुई असामान्य सरक्यूटरी होता है।

    एट्रियल फ्लटर के अटैक अपने आप जा सकते है तो कई बार इसके लिए इलाज की भी जरूरत पड़ सकती है। जिन लोगों को टैकीकार्डिया (Tachycardia) की एट्रियल फ्लटर की कंडीशन होती है उन्हें कभी-कभी एट्रियल फिब्रिलेशन का भी सामना करना पड़ सकता है।

    वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया

    इस स्थिति में दिल की धड़कन से बढ़ने लगती है जिसका कारण हृदय के निचले चेंबर से निकले असामान्य इलेक्ट्रिक्ल संकेत होते हैं। दिल की तेज धड़कन वेंट्रिकल को पर्याप्त रूप से कॉन्ट्रैक्ट और भरने नहीं देती है जिसके कारण शरीर में रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है।

    वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का अटैक केवल कुछ ही सेकंड के लिए रहता है और बिना कोई हानि पहुंचाए अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ सेकंड से ज्यादा देर तक रहने वाले अटैक जानलेवा हो सकते हैं जिनके लिए आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है।

    और पढ़ें – Chronic Fatigue Syndrome (CFS): क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

    किन कारणों से होता है टैकीकार्डिया? (Tachycardia Causes)

    टैकीकार्डिया (Tachycardia) आमतौर पर तब होता है जब इलेक्ट्रिकल इंपल्स बाधित होता है। इससे दिल की धड़कन और पंपिंग कंट्रोल होती है।

    कुछ स्थितियां हार्ट के इलेक्ट्रिकल इंपल्स को बाधित करती हैं। इसमें शामिल हैं:

    • हार्ट डिजीज होने के कारण हार्ट टिश्यू को नुकसान पहुंचना
    • जन्म के समय हृदय में असामान्य एलेट्रिकल पाथवे
    • जन्म से ही हार्ट का एब्नॉर्मल होना
    • खून की कमी होना
    • एक्सरसाइज की वजह से
    • अचानक तनाव महसूस करना या किसी कारण डर लगना
    • हाई या लो ब्लड प्रेशर होना
    • सिगरेट पीना
    • बुखार आना
    • अत्यधिक एल्कोहॉल पीना
    • कैफीन का अत्यधिक सेवन करना
    • शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलित होना
    • थायरॉइड का ओवरएक्टिव होना (हायपोथायरोडिज्म)
    • कभी-कभी ट्रायकिकार्डिया होने का सही कारण पता नहीं चलता है।

    और पढ़ें- Deep Vein Thrombosis (DVT): डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    किन कारणों से बढ़ता है टैकीकार्डिया का खतरा? (Tachycardia risk factors)

    यदि आप निम्नलिखित कारणों का सामना कर रहे हैं, तो खतरा बढ़ सकता है:

    और पढ़ें – Diabetes insipidus: डायबिटीज इंसिपिडस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

    निदान और उपचार (Tachycardia diagnosis)

    दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

    टैकीकार्डिया का निदान कैसे किया जाता है?

    टैकीकार्डिया (Tachycardia) यानी दिल की धड़कन की समस्या होने पर डॉक्टर आपको डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। जिससे बीमारी कितनी गंभीर है इसकी जानकारी मिल सकती है। इन टेस्ट में शामिल हैं:

    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG)

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम को ECG भी कहा जाता है। यह सबसे सामान्य टेस्ट है जिससे टायक्रिकार्डिया की स्थिति को जाना जा सकता है। इस टेस्ट में मरीज को किसी तरह की परेशानी या दर्द नहीं होता है।

  • हॉल्टर मॉनिटर

  • हॉल्टर मॉनिटर एक छोटा-सा डिवाइस है। इस डिवाइस को आप अपने पॉकेट में भी कैरी कर सकते हैं। इसे 24 घंटे के लिए चेस्ट से चिपकाया जाता है। इससे 24 घंटे का एक रिकॉर्ड मिलता है की आपकी दिल की धड़कन की गति क्या है

    • इवेंट मॉनिटर

    इस पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस का उद्देश्य कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक आपकी हृदय गतिविधि की निगरानी करता है।

    और पढ़ें – डायबिटिक किडनी डिजीज (Diabetic Kidney Disease): जानें क्या है इसका कारण, बचाव और इलाज

    • कार्डिएक इमेजिंग

    इमेजिंग की मदद से हार्ट के स्ट्रक्चर एब्नॉर्मलटीज की जानकारी ली सकती है। इससे ब्लड फ्लो की स्थिति भी समझी जाती है।

    • इकोकार्डियोग्राम (echo)

    इसे ह्रदय को सोनोग्राफी भी कहा जाता है। इससे ह्रदय के गति और ब्लड फ्लो को समझना आसान हो जाता है।

    • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI)

    कार्डिएक MRI टेस्ट से भी हार्ट के स्थिति समझी जा सकती है।

    •  कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (CT)

    CT स्कैन में कई तरह के X-ray होते हैं, जिनकी मदद से हार्ट का क्रॉस-सेक्शन देखा जाता है।

    और पढ़ें- Asperger syndrome: एस्पर्जर सिंड्रोम क्या है?

    टैकीकार्डिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Tachycardia treatment)

    • वगल मन्युवेर्स

    वगल मन्युवेर्स की मदद से हार्ट बीट को नॉर्मल किया जा सकता है।

    • दवाएं

    हार्ट बीट को नॉर्मल करने के लिए आपको दवा या इंजेक्शन दिया जा सकता है।

    • कार्डिओवर्जन

    ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डेफिब्रिलेटर (AED) की मदद से हार्ट पर इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है। जिससे हार्ट के इलेक्ट्रिक इंपल्स पर प्रभाव पड़ता है और हार्ट की नॉर्मल रिदम वापस आ जाती है। इमरजेंसी की स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

    और पढ़ें- Anal Fistula : भगंदर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    टैकीकार्डिया (Tachycardia) के लिए जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार

    • कुछ लोगों में टैकीकार्डिया की वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक या फिर ब्लड क्लॉट होने की संभावना हो सकती है। परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर आपको ब्लड-थिनिर लेने की सलाह दे सकते हैं।
    • व्यायाम और वजन कम करने से उच्च रक्तचाप और नींद की बीमारी के नकारात्मक प्रभावों को कम करके टैकीकार्डिया से जुड़े कुछ स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।
    • टैकीकार्डिया को कम करने के लिए सबसे पहले आप अपने डायट पर ध्यान दें। इसके साथ ही आप स्ट्रेस न लें।
    • अगर आपको कभी स्ट्रेस हो जाए तो आप ध्यान (Meditation) कर सकते हैं।
    • टैकीकार्डिया में पोटैशियम से भरपूर फूड्स का सेवन करें। जैसे- केला, एवोकाडो, आलू, दूध. संतरे आदि।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    और द्वारा फैक्ट चेक्ड

    Nikhil deore


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/09/2023

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement