एपिग्लोटाइटिस के कारण एपिग्लॉटिस में सूजन की समस्या हो जाती है। एपिग्लॉटिस टंग यानी जीभ के नीचे के हिस्से को कहते हैं। इस कारण से ब्रीथिंग प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। ऐसा एपिग्लॉटिस संक्रमण के कारण होता है। पेशेंट को इस बीमारी के कारण खाना खाने में समस्या होती है और साथ ही वो बोलने में असमर्थ होता है। ये बीमारी वातावरण में फैले बैक्टीरिया, फंगस या वायरस के कारण होती है, जो सांस लेने के दौरान शरीर में फैलते हैं। डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से संक्रमण को कम करते है। बीमारी अधिक गंभीर होने पर डॉक्टर को ब्रीथिंग के लिए सांस की नली लगाने की जरूरत पड़ती है।
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लेरिंजोट्रेकाइटस (laryngotracheitis)
लेरिंजोट्राईटिस वायरल रेस्पायरेटरी इन्फेक्शन है, जिसके कारण गैलिस हर्पीसवायरस 1 (GaHV-1) के कारण होता है। लेरिंजोट्राईटिस के कारण साइनोसाइटिस, कफ के साथ खून आना, सांस लेने में समस्या, एग प्रोडक्शन में कमी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस संक्रमण के कारण सिरदर्द की समस्या, फीवर, एब्डॉमिनल पेन आदि की समस्या हो सकती है। बीमारी चिकन के कारण फैलती है। बीमारी से संक्रमित व्यक्ति को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ती है। आपको बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराना चाहिए।
लोअर रेस्पायरेटरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन होने पर निम्नलिखित बीमारियां हो सकती हैं।
ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
ब्रोंकियल ट्यूब में सूजन की समस्या के कारण ब्रोंकाइटिस की समस्या हो जाती है। ब्रोंकाइटिस की समस्या फ्लू या संक्रमण के कारण होती है। इस कारण से अधिक मात्रा में बलगम बनने लगता है। साथ ही सांस लेने में समस्या, सांस फूलना, बलगम में खून का आना, थकान का एहसास, खांसी और चेस्ट पेन की समस्या भी होती है। बीमारी के लक्षण दो से तीन सप्ताह तक रहते हैं। वायरल इंफेक्शन फ्लू के कारण पैदा होता है और फेफड़ों की समस्या पैदा कर सकता है। डॉक्टर आपको बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए दवा देंगे। समय पर दवा का सेवन करने से बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
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निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया फेफड़ों से संबंधित संक्रमण है। ये या तो एक फेफड़े या फिर पूरे फेफड़ों को प्रभावित करता है। जब फेफड़े संक्रमित होते हैं, जो ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं और शरीर को ब्लड से ऑक्सीजन मिलने में भी कठिनाई होती है। निमोनिया की समस्या बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia), वायरल निमोनिया (Viral Pneumonia), फंगल निमोनिया (Fungal Pneumonia), माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumonia) से हो सकती है। निमोनिया की समस्या किसी को भी हो सकती है।निमोनिया के कारण बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ, भूख न लगना, थकान महूसस होना, म्यूकस के साथ खांसी आना आदि लक्षण दिख सकते हैं।बैक्टीरियल निमोनिया का ट्रीटमेंट एंटीबायोटिक्स की हेल्प से किया जाता है। वहीं एंटीवायरल दवाएं वायरल निमोनिया के ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार फ्लू शॉट लेना चाहिए।
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ब्रोंकियोलाइटिस (Bronchiolitis)