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क्या कोरोना वायरस म्यूटेशन बन रहा है भारत में होने वाली मौतों की वजह?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/05/2021

    क्या कोरोना वायरस म्यूटेशन बन रहा है भारत में होने वाली मौतों की वजह?

    आज देश में कोरोना (Corona) के जो हालात हैं वे किसी से छुपे नहीं है। देश के लगभग सभी राज्य इस खतरनाक वायरस की चपेट में हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और मध्यप्रदेश इन राज्यों में कोरोना भयावह स्थिति में पहुंच चुका है। शायद आपको जानकारी ना हो भारत अब कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला दूसरा देश बन चुका है। भारत ने ब्राजील को भी पीछे छोड़ दिया है। पहले स्थान पर अमेरिका है। कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona) भारत में लोगों की मौत का कारण बन रही है। 25 अप्रैल को भारत में 3, 52,991 लाख नए मामले सामने आए हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ी चिंता है कोरोना वायरस म्यूटेशन ( Corona Virus Mutation)।

    वायरस का थर्ड म्यूटेशन (Third Mutation Of Corona Virus) B.1.617 स्ट्रेन भारत के चार राज्यों में पाया गया है। जिसमें महाराष्ट्र, दिल्ली, वेस्ट बंगाल और छत्तीसगढ़ शामिल है। भारत में कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.167 था। जिसके दो म्यूटेशन E484Q और L452R हैं। जिसके बारे में पिछले साल अक्टूबर में पता चला था। एक्सपर्ट के अनुसार कोविड-19 की बेहद तेज दूसरी लहर के लिए यही म्यूटेंट जिम्मेदार हो सकता है। आइए जानते हैं कोरोना वायरस म्यूटेशन के बारे में विस्तार से।

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    कोरोना वायरस म्यूटेशन क्या है? (Corona Virus Mutation)

    कोरोना वायरस (Corona Virus) में दूसरे वायरस की तरह एक से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने पर बदलाव हो रहा है। साधारण भाषा में इसे ही म्यूटेशन (Mutation) कहा जाता है। हालांकि, कई म्यूटेशन खतरनाक नहीं होते और वायरस के व्यवहार में परिवर्तन नहीं करते, लेकिन कुछ म्यूटेशन प्रोटीन के स्पाइक (Protein Spike) में बदलाव करते हैं जिनका उपयोग वायरस ह्यूमन सेल्स (Human cells) में एंटर करने में करते हैं। ट्रिपल म्यूटेंट (Triple Mutant) का मतलब उन वेरिएंट्स (Variants) से है जिनमें तीन अलग-अलग स्ट्रेन्स (Strains) होते हैं और जो मिलकर एक नया वेरिएंट (Variant) बनाते हैं। अब तक कई SARS-CoV-2 वेरिएंट्स ग्लोबली सर्क्युलेट हो रहे हैं और यह ट्रिपल म्यूटेंट (Triple Mutant) इंडिया के लिए एक नई चुनौति है।

    अमृता इंस्टि्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में क्लिनिक वायरोलोजी (VIROLOGY) लेबोरेटरी के फैकल्टी इंचार्ज डॉ वीना पी मेनन ने आईएएनस (IANS) से बात करते हुए कहा कि, जब वायरस का फैलाव होता है तो इसके म्यूटेट होने की संभावना बढ़ जाती है। यह वायरस का नैचुरल लाइफ सायकल है, लेकिन यह जरूरी है कि हम वायरस में होने वाले इन बदलावों पर नजर रखें और म्यूटेशन से जुड़ी इसकी विशेषताओं को मॉनिटर करें।

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    कोरोना वायरस म्यूटेशन और नए वेरिएंट्स (Corona Virus Mutation And New Variants)

    सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, कोविड-19 वेरिएंट्स की तीन क्लासिफिकेशन को मॉनिटर किया जा रहा है। जिसमें वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI), वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) और वेरिएंट ऑफ हाय क्वेंसिक्विंसेस (VOHC) शामिल है।

    • B.1.1.7 जिसे यूके वेरिएंट कहा जाता है इंग्लैंड के साउथ ईस्ट में मिला था। इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न (Variant of Concern) कहा गया। एक्सपर्ट ने पाया कि यह वायरस दूसरे वेरिएंट्स की तुलना में 40-70% ज्यादा संक्रामक था और इसका डेथ रिस्क 60% से अधिक था।
    • ब्राजील वेरिएंट जो P1 के नाम से जाना जाता है। पुराने म्यूटेशन से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक था। E484K म्यूटेशन एंटीबॉडीज से भी बच निकलता है।
    • B.1.351, दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट यूनाइटेड किंगडम सहित कम से कम 20 देशों में पाया गया था।
    • ब्राजील वेरिएंट E484K म्यूटेशन इस वेरिएंट को एंटीबॉडी को चकमा देने वाला बनाता है। इसके अतिरिक्त, N501 म्यूटेशन इसे और अधिक संक्रामक बनाता है।

    सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) (CDC) के अनुसार यह नए वेरिएंट्स और ज्यादा संक्रामक होने के साथ ही गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बन सकते हैं। वेरिएंट के बारे में पता लगाने के लिए एक्सपर्ट जिनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की मदद लेने की सलाह लेते हैं। जान लेते हैं कि जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है?

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    कोरोना वायरस म्यूटेशन के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing)

    जीनोम सीक्वेंसिंग एक प्रकार की स्टडी है जिसमें किसी भी जीव (organism) के जेनेटिक स्ट्रक्चर (Genetics Structure) और उसमें होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जाता है। इससे कोरोना वायरस के ऑरिजिन, उसके रूट, उसमें होने वाले बदलाव जिससे वायरस स्ट्रॉन्ग या वीक हो रहा है के बारे में जानकारी मिलती है।

    इस साल जनवरी में ही सरकार ने 10 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रयास को तेज करने के लिए भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की थी।

    क्या नए वेरिएंट्स और कोरोना वायरस म्यूटेशन गंभीर लक्षणों का कारण बन रहे हैं? (Do New Variants Cause Severe Symptoms)

    कोविड के कैसेज लगातार होने वाली हालिया वृद्धि और युवाओं में होने वाले कॉम्प्लिकेशन्स इस बात का संकेत है कि नए वेरिएंट्स लोगों के स्वास्थ्य के अधिक जोखिम पैदा करते हैं। साथ ही इनका संबंध ओरिजनल स्ट्रेन की तुलना में डेथ रिस्क से ज्यादा है। कोरोना वायरस के सबसे कॉमन लक्षण बुखार, कफ, थकान और स्मेल और टेस्ट ना आना हैं। कुछ लोगों को सीवियर रेस्पिरेटरी कॉम्प्लिकेशन्स का भी सामना करना पड़ता है जिसमें सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, सीने में भारीपन आदि हैं। ये लक्षण ऑक्सिजन डेप्रिवेशन (Oxygen deprivation) के हैं।

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    क्या ट्रिपल म्यूटेंट (Triple Mutant) से डबल मास्किंग (Double Masking) से बचा जा सकता है?

    कोरोना वायरस म्यूटेशन

    कोरोना से बचाव के लिए मास्क को हमेशा कारगर माना गया है। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने एक मास्क नहीं दो मास्क पहनना ज्यादा असरकारक बताया है। इसे ही ‘डबल मास्किंग’ कहा जा रहा है। ये शरीर में जाने वाले संक्रमण के ड्रॉपलेट को प्रवेश करने से रोकने में 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी है। डबल मास्किंग में पहले सर्जिकल मास्क और उसके ऊपर कपड़े के मास्क को पहनना है। इसके अलावा कपड़े के मास्क को भी एक ऊपर एक पहना जा सकता है। मास्क को पहनने बाद चेक करना जरूरी होता है कि मास्क कहीं से ढीला तो नहीं है। ढीला होने या नाक के नीचे होने पर इसका असर नहीं होता है। एक साथ दो सर्जिकल मास्क नहीं पहनने चाहिए। इससे सांस लेने में समस्या हो सकती है। कॉटन के दो मास्क एक साथ पहने जा सकते हैं। इसके अलावा आप एक सर्जिकल मास्क और दूसरा कॉटन का मास्क पहन सकते हैं। अगर डबल मास्क पहनने के बाद सांस लेने में मुश्किल हो रही हो तो एक ही मास्क पहनना सही होगा।

    बता दें कि ड्रॉपलेट को रोकने में सर्जिकल मास्क 56.1% तक प्रभावी है। वहीं सर्जिकल मास्क की इलास्टिक में गांठ बांधने और किनारों को मोड़ने पर यह 77% तक कारगर है। ड्रॉपलेट को रोकने में डबल मास्क 85.4 प्रतिशत तक कारगर है।

    मास्क से जुड़ी ये जानकारी है बेहद काम की! 

    जब बात हो रही मास्क की, तो मास्क से ही जुड़ी एक खास जानकारी हम आपके साथ शेयर करना चाहते हैं। आत्मनिर्भर भारत के सपने के अनुरूप वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन पिछले तीन सालों से खास चीजों के निर्माण में मदद कर रहा है और मास्क भी इन खास चीजों में से एक है। कोविड-19 की पहली लहर के दौरान पीपीई किट का खास डिज़ाइन यही बनाया गया था और अब सेकंड वेव के दौरान मास्क का निर्माण कर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन भारत के लोगों को सपोर्ट करने कर रही है।

    साधारण कॉटन कपड़े की दो परतों के साथ बनाया गए इस मास्क को ट्रायल के बाद अपने अंतिम संस्करण तक पहुंचने में एक सप्ताह का समय लगा। इस मास्क के बारे में अधिक जानकारी देते हुए प्रोफेसर उमैर खान से बताया, “हमने इस मास्क को बनाने के लिए एक खास तरह के कॉटन का उपयोग किया है, जो काफ़ी प्रभावी है। हालांकि मेन्यूफेक्चरर चाहें, तो वे इस खास सर्जिकल मास्क को बनाने के लिए २ लेयर कॉटन-सिल्क मिक्स या ३ प्लाय लाइटवेट नॉन वूवन मटेरियल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये हर एवरेज इंडियन फेस पर फिट होने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन लोग इसे अपनी जरूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा कर सकते हैं।’

    इसकी जानकारी देते हुए वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के वाइस चांसलर ने बताया, “आप कह सकते हैं कि इनोवेशन हमारी यूनिवर्सिटी के DNA में है। इस इनोवेशन के साथ मास्क का एक खास रूप हमने लोगों को दिया है, जो अपने आप में बेहतरीन रूप से और पूरी तरह से फ़ंक्शनल है। हम WUD टीम को इस इनोवेशन के लिए बधाई देते हैं।’ 

    इस तरह ये खास तरह का डबल मास्क, लोगों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है। ये न सिर्फ कोविड-19 की दूसरी लहर में आपके काम आएगा, बल्कि आपको सुरक्षित भी रखेगा।

    उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में कोरोना वायरस म्यूटेशन से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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