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हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट में किस तरह से होता है बदलाव, जानिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/02/2022

    हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट में किस तरह से होता है बदलाव, जानिए

    हार्ट अटैक तब होता है, जब हार्ट तक ब्लड फ्लो ब्लॉक हो जाता है। यह ब्लॉकेज आमतौर पर फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य सब्सटांसेस के बिल्डअप की वजह से होती है, जो आर्टरीज में प्लाक का कारण बनती है। इसे मायोकार्डियल इन्फार्कशन (Myocardial infarction) भी कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है और जानलेवा हो सकती है। कई मरीजों का हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) सामान्य रहता है जबकि कई लोगों का हार्ट रेट बढ़ जाता है। हालांकि, बढ़ी हुई हार्ट रेट को हार्ट अटैक का लक्षण नहीं माना जा सकता है। किंतु, इसे नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए। आज हम आपको हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) के बारे में ही जानकारी देने वाले हैं। आइए, जानें इसके बारे में विस्तार से।

    हार्ट अटैक (Heart attack) के दौरान हार्ट को क्या होता है?

    मायोकार्डियल इन्फार्कशन (Myocardial infarction) यानी हार्ट अटैक के दौरान, हार्ट मसल्स को कम ब्लड मिलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान हमारी एक या अधिक आर्टरीज हार्ट मसल्स तक रक्त का पर्याप्त प्रवाह नहीं कर पाती हैं या फिर हार्ट को जितनी ऑक्सीजन मिल रही होती है, उससे अधिक चाहिए होती है। ब्लॉकेज और आर्टरी स्पाज्म दोनों से हार्ट तक ब्लड फ्लो रिस्ट्रिक्ट हो सकता है। ब्लड फ्लो में रिडक्शन के कारण कुछ ही मिनटों में हार्ट मसल्स में डैमेज शुरू हो जाता है। ऑक्सीजन की यह कमी सेलुलर लेवल पर हार्ट मसल्स के ब्रेक-डाउन का कारण बनती है। जैसे-जैसे ऑक्सीजन की कमी होती है, यह नुकसान जारी रहता है। हार्ट अटैक के दौरान हार्ट को कितना नुकसान पहुंचता है, यह इन सब चीजों पर निर्भर करता है:

    • मरीज को कितनी जल्दी ट्रीटमेंट मिलता है
    • ब्लॉकेज कितना रक्त प्रवाह बंद कर देती हैं
    • ब्लॉकेज के कारण प्रभावित होने वाले क्षेत्र का आकार

    हालांकि हार्ट मसल्स आसानी से अपने आप को रिजनरेट नहीं कर सकते हैं, लेकिन एक हार्ट अटैक के बाद हार्ट स्कार टिश्यू बना कर हील हो जाता है। ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित न होने वाले हार्ट टिश्यू समय के साथ बड़े हो सकते हैं, और हार्ट का आकार बदल सकता है। अब जानते हैं हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) में आने वाले परिवर्तनों के बारे में।

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     हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) में क्या परिवर्तन आते हैं?

    हार्ट रेट यानी वो संख्या जितनी बार एक मिनट में हमारा दिल धड़कता है। वयस्कों में हेल्दी रेस्टिंग हार्ट  रेट एक मिनट में 60 और 100 बीट्स के बीच में रहती है। सामान्यतया अगर आपका हार्ट रेट कम है, तो आपका हार्ट उतनी ही अच्छे से पंप कर पाता है। हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) में परिवर्तन आ सकता हैं। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि इसमें कोई भी बदलाव न हो।

    कुछ प्रकार के राइट कोरोनरी आर्टरी इन्फार्क्शन (Right coronary artery infarctions) हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं और हार्ट अटैक के दौरान स्लो हार्ट रेट का कारण बन सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप कोई दवा ले रहे हैं जो हार्ट रेट स्लो करती है जैसे बीटा ब्लॉकर्स (Beta-blockers), तो हार्ट अटैक के दौरान आपकी हार्ट रेट कम हो सकती है। इसके विपरीत, अगर आपको टैकीकार्डिया (Tachycardia) की समस्या है (यह वो रोग है जिसमें हार्ट असामान्य रूप से तेजी से धड़कता है), तो हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) अधिक हो सकती है।

    ट्रीटमेंट के समय रोगी की हार्ट रेट इस बात का इंडिकेटर हो सकती है कि रोगी हार्ट अटैक से कितनी अच्छी तरह से उबर पायेगा। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि इलाज के समय 80 बीट प्रति मिनट से ऊपर की हार्ट बीट वाले लोगों में हार्ट अटैक के कारण मृत्यु का जोखिम अधिक था। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) की मानें तो हालांकि, फास्ट हार्ट बीट हमेशा हार्ट अटैक का लक्षण नहीं होती है। अब जानते हैं कि हार्ट रेट को कौन से विभिन्न तरह के हार्ट अटैक प्रभावित करते हैं।

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    हार्ट रेट को प्रभावित करने वाले हार्ट अटैक्स

    तीन तरह के हार्ट अटैक अलग-अलग तरह से हार्ट रेट को प्रभावित करते हैं। हार्ट अटैक के यह प्रकार इस प्रकार हैं:

    • एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्कशन (ST-segment elevation myocardial infarction) (STEMI)
    • नॉन एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्कशन (Non-ST segment elevation myocardial infarction) (NSTEMI)
    • कोरोनरी आर्टरी स्पाज्म (Coronary artery spasm)

    एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्कशन को हार्ट अटैक का सबसे गंभीर प्रकार माना जाता है। इसमें आमतौर पर हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) बढ़ जाती है। लेकिन, कुछ तरह के STEMIs हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को डैमेज कर सकते हैं और हार्ट रेट को स्लो कर सकते हैं। नॉन एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्कशन हार्ट को कम नुकसान पहुंचता है। लेकिन, यह भी हार्ट रेट को बढ़ा सकता है। कोरोनरी आर्टरी स्पाज्म (Coronary artery spasms) की समस्या तब होती है जब आर्टरी वॉल्स टाइट हो जाती हैं और रिस्ट्रिक्ट ब्लड हार्ट तक फ्लो करता है। इससे भी हार्ट रेट पर प्रभाव पड़ता है। अब जानते हैं कि दवाईयां कैसे हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट को प्रभावित करती हैं?

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    दवाइयां इस दौरान हार्ट रेट को कैसे प्रभावित करती हैं?

    हार्ट अटैक, हार्ट के हिस्से के डैमेज होने का कारण बन सकता है। यह डैमेज किसी भी उस क्षेत्र में हो सकता है, जहां ब्लॉक्ड आर्टरी आमतौर पर रक्त की आपूर्ति करती है। कुछ दवाईयां हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) पर असर ड़ाल सकती हैं, यह इस प्रकार हैं:

    • बीटा-ब्लॉकर्स Beta-blockers. यह मेडिसिन एड्रेनालाईन adrenaline के प्रभावों को ब्लॉक करती हैं और हार्ट रेट को कम करने में मददगार हैं।
    • नाइट्रेट्स Nitrates. नाइट्रेट्स आर्टरीज को रिलेक्स और वाइड करने में मदद कर के ब्लड फ्लो को सही बनाए रखने में मदद करती है।
    • एंटीप्लेटलेट एजेंट्स Antiplatelet agents. इस तरह की दवाइयां ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोकने में मदद करती हैं।
    • एंटीकौयगुलांट (Anticoagulant) एंटीप्लेटलेट एजेंट्स की तरह, यह दवाइयां भी ब्लड क्लॉट्स को बनाने से रोकती हैं।
    • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स Calcium channel blockers. यह दवाइयां ब्लड प्रेशर को कम कर सकती हैं और एब्नार्मल हार्ट रिदम के उपचार में मददगार हैं।

    कुछ बीमारियां भी हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) पर असर डाल सकती हैं जैसे टैकीकार्डिया (Tachycardia)। जबकि ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia) के कारण यह कम हो सकती है। यही नहीं, हार्ट अटैक के दौरान हार्ट मसल्स में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी नुकसान हो सकता है। इससे हार्ट कमजोर हो सकता है। जिसके कारण हार्ट अटैक के दौरान या बाद में ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। लो ब्लड प्रेशर हार्ट के ब्लड फ्लो को प्रभावित करता है।

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    हार्ट अटैक के दौरान स्ट्रेस से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। एक बार जब ट्रीटमेंट शुरू हो जाता है, तो डॉक्टर ब्लड प्रेशर मॉनिटर करते हैं और अगर जरूरत हो तो इसे स्टेबल करने की कोशिश करते हैं। हाय ब्लड प्रेशर हार्ट की ऑक्सीजन की मांग को बढ़ा सकता है। यह तो थी जानकारी हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) की। अब जानते हैं हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में।

    हार्ट अटैक के लक्षण (Symptoms of Heart attack)

    मायोकार्डियल इन्फार्कशन (Myocardial infarction) यानी हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। ताकि, समय पर इनकी पहचान हो सके और मेडिकल ट्रीटमेंट लिया जा सके। हार्ट अटैक के लक्षण इस प्रकार हैं:

    • शरीर के विभिन्न भागों में समस्या होना जैसे दोनों बाजुओं, गर्दन, पीठ या पेट में
    • छाती में प्रेशर या कसाव का अनुभव होना
    • छाती में समस्या या सांस लेने में समस्या होना
    • चक्कर आना
    • जी मिचलाना

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    यह लक्षण पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग हो सकते हैं। किंतु, इसके हर मरीज को छाती में दर्द का अनुभव होता ही है। हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत मेडिकल हेल्प की सलाह दी जाती है। उम्मीद है कि हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट (Heart Rate During Heart Attack) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हार्ट अटैक के दौरान रोगी की हार्ट रेट बढ़ सकती है। लेकिन, ऐसा होना जरूरी नहीं है। केवल हार्ट रेट में बढ़ोतरी होना, जरूरी नहीं है कि हार्ट अटैक का ही लक्षण हो। ऐसे में इसके अन्य लक्षणों पर भी ध्यान दें और तुरंत मेडिकल हेल्प लें। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो तुरंत डॉक्टर से इस बारे में जानें।

     

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