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सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज के बारे में क्या आपको हैं जानकारी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/04/2021

    सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज के बारे में क्या आपको हैं जानकारी?

    सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में यौन संबंध बनाने के दौरान फैलता है। अगर बिना प्रोटक्शन के वजायनल, एनल या फिर ओरल सेक्स किया जाए, तो स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से संक्रमित हो सकता है। अक्सर लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि क्या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज एक या दो प्रकार की ही होती है? ऐसा नहीं है कि सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज केवल सेक्स के माध्यम से ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हो। दोबारा इस्तेमाल की गई निडिल के माध्यम से भी संक्रमण आसानी से फैल सकता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी ये इंफेक्शन मां से बच्चों में फैल सकता है। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज पुरुष और महिलाओं दोनों को ही हो सकता हैं। जब एसटीडी की समस्या हो जाती है, तो विभिन्न प्रकार के लक्षण भी दिखने लगता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एसटीडी के प्रकार के बारे में जानकारी देंगे।

    महिलाओं और पुरुषों में एसटीडी के लक्षण (Symptoms of STDs in men and women)

    एसटीडी के प्रकार

    महिलाओं और पुरुषों में एसटीडी के विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार संक्रमण होने पर भी महिलाओं और पुरुषों को लक्षण नजर नहीं आते हैं, जो कि गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। अगर आपको अचानक से यूरिन पास करने के दौरान जलन का एहसास हो या फिर सेक्स के दौरान दर्द हो, तो इसे इग्नोर करने की भूल बिल्कुल न करें। जानिए पुरुषों में एसटीडी होने पर क्या लक्षण दिख सकते हैं।

    • सेक्स (sex) या यूरिन पास करने के दौरान दर्द या तकलीफ
    • पेनिस के चारों ओर सूजन या रैशेज, घाव या फिर लाल चकत्ते
    • टेस्टिकल्स में सूजन ( swollen testicles)

    महिलाओं में भी इंफेक्शन के दौरान निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।

    • सेक्स या पेशाब के दौरान दर्द होना
    • वजायना, जांघ या मुंह पर या उसके आसपास घाव, छाले या चकत्ते
    • वजायना से ब्लीडिंग होना
    • वजायना या उसके आसपास खुजली होना

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    जानिए एसटीडी के प्रकार (Types of STDs)

    जैसा कि हर आपको पहले ही बता चुके हैं कि बैक्टीरिया और वायरस इस बीमारी के संक्रमण का कारण बनते हैं और ये जानलेवा भी हो सकते हैं। एसटीडी के विभिन्न प्रकार आपको हानि पहुंचा सकते हैं। अगर सेक्स के दौरान सावधानी न रखी जाए, तो बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जानिए एसटीडी के प्रकार के बारे में।

    ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (Human Papillomavirus)

    ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (Human Papillomavirus) को एचपीवी भी कहा जाता है। ये सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की मानें तो भारत में साल 2012 में करीब एक लाख से भी ज्यादा केस इस संक्रमण के थे। एचपीवी अक्सर जानलेवा नहीं होता है लेकिन ये कुछ लोगों में गंभीर समस्याएं भी खड़ी कर सकता है। एचपीवी के कारण हाथ (Hand), पैर (Feet) और प्राइवेट ऑर्गेन (Genital Organ) में समस्या उत्पन्न होने लगती है। इन स्थानों में मस्से के साथ ही रैशेज की समस्या भी हो सकती है। ये संक्रमण प्रेग्नेंसी के दौरान मां से बच्चे में भी हो सकता है। एचवीपी संक्रमण (HPV Infection) कैंसर के खतरे को भी बढ़ाने का काम करता है। प्राइवेट पार्ट्स में जेनिटल वार्ट्स (Genital Warts) के साथ ही कॉमन वार्ट्स (Common Warts) और फ्लैट वार्ट्स (Flat Warts) की समस्या भी हो जाती है। सुरक्षित यौन संबंध से इस संक्रमण को दूर रखा जा सकता है।

    एसटीडी के प्रकार में शामिल है सिफिलिस (Syphilis)

    ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया (Treponema pallidum) के कारण सिफिलिस का संक्रमण होता है।  एसटीडी के प्रकार (STDs types) में सिफिलिस संक्रमण शामिल है। ये इंफेक्शन एनल सेक्स, वजाइनल सेक्स और ओरल सेक्स के दौरान संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ महिला को हो सकता है। जेनिटल पार्ट्स में अल्सर की समस्या के साथ ही ये संक्रमण शरीर के कुछ ऑर्गन्स को डैमेज करने का काम भी कर सकता है। अगर बीमारी के लक्षणों जैसे कि मुंह में घाव, सेक्स के दौरान दर्द, हेयर फॉल आदि पर ध्यान देकर इस बीमारी का इलाज करवाया जाए, तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। ये हेडएक और थकान की समस्या भी पैदा कर सकता है। जननांगों में किसी भी तरह का परिवर्तन संक्रमण का लक्षण भी हो सकता है। अगर इस संक्रमण का पहली स्टेज में ट्रीटमेंट करा लिया जाए, तो इससे छुटकारा मिल जाता है। डॉक्टर कुछ एंटीबायोटिक दवाएं जैसे कि एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन आदि दे सकते हैं।

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    एचआईवी (HIV) होता है जानलेवा संक्रमण

    एचआईवी का संक्रमण न केवल व्यक्ति को संक्रमित करता है बल्कि इम्यून सिस्टम को भी डैमेज करने का का काम करता है। एचआईवी के संक्रमण का इलाज न कराया जाए, तो ये एड्स का रूप ले लेता है। एचआईवी की बीमारी वायरस के कारण सेक्स के दौरान फैलती है। अगर एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ इंसान के साथ यौन संबंध बनाता है, तो भी आसानी से संक्रमित हो सकता है। इस संक्रमण के कारण सिरदर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन (swollen lymph nodes), गले में खराश आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। संक्रमित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल की गई सुई अगर अन्य व्यक्ति इस्तेमाल करता है, तो भी संक्रमण फैलने की पूरी संभावना रहती है। एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति आसानी से किसी भी इंफेक्शन से ग्रसित हो सकता है। इससे बचने के लिए सेक्स के दौरान कॉन्डोम का इस्तेमाल जरूरी है। साथ ही बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराना चाहिए और ट्रीटमेंट भी लेना चाहिए।

    एसटीडी के प्रकार: गोनोरिया (Gonorrhea)

    एसटीडी के प्रकार (STDs types) में गोनोरिया की बीमारी भी शामिल है।  गोनोरिया (Gonorrhea)  सेक्स के दौरान फैलने वाली बीमारी (एसटीआई) है। गोनोरिया का इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति ओरल सेक्स (Oral sex), एनल सेक्स (Anal sex) या फिर वजायनल सेक्स (Vaginal sex) बिना सेफ्टी के करता है, तो गोनोरिया का खतरा बढ़ जाता है। गोनोरिया का संक्रमण होने पर यूरिन पास करने के दौरान समस्या होती है। ये संक्रमण एनल, यूरेथ्रा के साथ ही गले को भी संक्रमित कर सकता है। महिलाओं को अगर ये संक्रमण हो जाए, तो उनके सर्विक्स में भी समस्याएं शुरू हो जाती है। महिलाओं को वजायना से बदबू की समस्या के साथ ही पीला पानी निकलने की समस्या भी हो सकती है। अगर आपको इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे इग्नोर न करें बल्कि टेस्ट कराएं। डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक टैबलेट देने के साथ ही कुछ सावधानियां अपनाने के लिए भी कहेंगे। सेक्स के दौरान सेफ्टी बहुत अहम है।

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    ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis)

    ट्राइकोमोनिएसिस भी एसटीडी के प्रकार (STDs types) में शामिल है। ये संक्रमण महिलाओं में अधिक होता है। वैसे जरूरी नहीं है कि इस संक्रमण के होने पर महिलाओं को कोई लक्षण नजर आएं लेकिन कुछ महिलाओं को वजायना से बदबू, पेशाब करते समय जलन, पेट के निचले हिस्से में दर्द, जेनिटल पार्ट में खुजली आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कॉन्डोम का इस्तेमाल इस बीमारी से बचाव में मदद कर सकता है। सेफ सेक्स आपको ज्यादातर एसटीडी से बचाने का काम करते हैं।

    हर्पीस (Herpes)

    सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज के टाइप में हर्पीस भी आता है। हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes simplex virus) इस संक्रमण का कारण बनता है। हर्पीस के संक्रमण के कारण जेनिटल पार्ट्स में खुजली की समस्या होती है और साथ ही पेशाब के दौरान दर्द का एहसास भी होता है। वजायना के आसपास अगर आपको छाले हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और बीमारी का ट्रीटमेंट भी कराएं। एंटीवायरल दवाओं का सेवन और सेफ सेक्स आपको इस बीमारी से दूर रखने में मदद करेगा।

    सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीजेज को रोकने के लिए आपको बहुत सावधानी की जरूरत है। सेक्स को एंजॉय करने के दौरान सेफ्टी को दांव पर लगाने की भूल न करें। कॉन्डोम आपको कई सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीजेज से बचाने का काम कर सकता है, इसलिए इसपर ध्यान देना बेहद जरूरी है। बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एसटीडी के प्रकार ( STDs types)  के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अगर आप लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जांच कराएंगे तो संक्रमण को जल्द खत्म करने में मदद मिलेगी। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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