ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (Human Papillomavirus) को एचपीवी भी कहा जाता है। ये सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की मानें तो भारत में साल 2012 में करीब एक लाख से भी ज्यादा केस इस संक्रमण के थे। एचपीवी अक्सर जानलेवा नहीं होता है लेकिन ये कुछ लोगों में गंभीर समस्याएं भी खड़ी कर सकता है। एचपीवी के कारण हाथ (Hand), पैर (Feet) और प्राइवेट ऑर्गेन (Genital Organ) में समस्या उत्पन्न होने लगती है। इन स्थानों में मस्से के साथ ही रैशेज की समस्या भी हो सकती है। ये संक्रमण प्रेग्नेंसी के दौरान मां से बच्चे में भी हो सकता है। एचवीपी संक्रमण (HPV Infection) कैंसर के खतरे को भी बढ़ाने का काम करता है। प्राइवेट पार्ट्स में जेनिटल वार्ट्स (Genital Warts) के साथ ही कॉमन वार्ट्स (Common Warts) और फ्लैट वार्ट्स (Flat Warts) की समस्या भी हो जाती है। सुरक्षित यौन संबंध से इस संक्रमण को दूर रखा जा सकता है।
एसटीडी के प्रकार में शामिल है सिफिलिस (Syphilis)
ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया (Treponema pallidum) के कारण सिफिलिस का संक्रमण होता है। एसटीडी के प्रकार (STDs types) में सिफिलिस संक्रमण शामिल है। ये इंफेक्शन एनल सेक्स, वजाइनल सेक्स और ओरल सेक्स के दौरान संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ महिला को हो सकता है। जेनिटल पार्ट्स में अल्सर की समस्या के साथ ही ये संक्रमण शरीर के कुछ ऑर्गन्स को डैमेज करने का काम भी कर सकता है। अगर बीमारी के लक्षणों जैसे कि मुंह में घाव, सेक्स के दौरान दर्द, हेयर फॉल आदि पर ध्यान देकर इस बीमारी का इलाज करवाया जाए, तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। ये हेडएक और थकान की समस्या भी पैदा कर सकता है। जननांगों में किसी भी तरह का परिवर्तन संक्रमण का लक्षण भी हो सकता है। अगर इस संक्रमण का पहली स्टेज में ट्रीटमेंट करा लिया जाए, तो इससे छुटकारा मिल जाता है। डॉक्टर कुछ एंटीबायोटिक दवाएं जैसे कि एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन आदि दे सकते हैं।
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एचआईवी (HIV) होता है जानलेवा संक्रमण
एचआईवी का संक्रमण न केवल व्यक्ति को संक्रमित करता है बल्कि इम्यून सिस्टम को भी डैमेज करने का का काम करता है। एचआईवी के संक्रमण का इलाज न कराया जाए, तो ये एड्स का रूप ले लेता है। एचआईवी की बीमारी वायरस के कारण सेक्स के दौरान फैलती है। अगर एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ इंसान के साथ यौन संबंध बनाता है, तो भी आसानी से संक्रमित हो सकता है। इस संक्रमण के कारण सिरदर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन (swollen lymph nodes), गले में खराश आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। संक्रमित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल की गई सुई अगर अन्य व्यक्ति इस्तेमाल करता है, तो भी संक्रमण फैलने की पूरी संभावना रहती है। एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति आसानी से किसी भी इंफेक्शन से ग्रसित हो सकता है। इससे बचने के लिए सेक्स के दौरान कॉन्डोम का इस्तेमाल जरूरी है। साथ ही बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराना चाहिए और ट्रीटमेंट भी लेना चाहिए।
एसटीडी के प्रकार: गोनोरिया (Gonorrhea)
एसटीडी के प्रकार (STDs types) में गोनोरिया की बीमारी भी शामिल है। गोनोरिया (Gonorrhea) सेक्स के दौरान फैलने वाली बीमारी (एसटीआई) है। गोनोरिया का इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति ओरल सेक्स (Oral sex), एनल सेक्स (Anal sex) या फिर वजायनल सेक्स (Vaginal sex) बिना सेफ्टी के करता है, तो गोनोरिया का खतरा बढ़ जाता है। गोनोरिया का संक्रमण होने पर यूरिन पास करने के दौरान समस्या होती है। ये संक्रमण एनल, यूरेथ्रा के साथ ही गले को भी संक्रमित कर सकता है। महिलाओं को अगर ये संक्रमण हो जाए, तो उनके सर्विक्स में भी समस्याएं शुरू हो जाती है। महिलाओं को वजायना से बदबू की समस्या के साथ ही पीला पानी निकलने की समस्या भी हो सकती है। अगर आपको इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे इग्नोर न करें बल्कि टेस्ट कराएं। डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक टैबलेट देने के साथ ही कुछ सावधानियां अपनाने के लिए भी कहेंगे। सेक्स के दौरान सेफ्टी बहुत अहम है।