[mc4wp_form id=’183492″]
अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस से संक्रमित हो जाती है, तो अधिक संभावना है कि उसका होने वाला बच्चा एचएसवी के दोनों प्रकार के वायरस से संक्रमित हो जाए। ऐसे में बच्चे को सीरयस कॉम्प्लीकेशन होने की संभावना बढ़ जाती है। बेहतर होगा कि संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और संक्रमण का इलाज कराएं।
और पढ़ें: Chlamydia In Throat: कैसे गले तक पहुंच सकता है सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन?
हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस को कैसे किया जाता है डायग्नोस? (Diagnosis Of Herpes Simplex Virus)
हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन (physical examination) करते हैं। डॉक्टर आपसे जननांगों में हुए घावों के बारे में जानकारी लेंगे। साथ ही डॉक्टर एचएसवी टेस्टिंग भी करेंगे। इसे हर्पीस कल्चर के नाम से भी जाना जाता है। फिर डॉक्टर घाव के फ्लूड को टेस्ट के लिए लेबोरेट्री भेजते हैं। HSV-1 और HSV-2 की जांच के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है। आप इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी ले सकते हैं।
हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस ट्रीटमेंट (Herpes Simplex Virus Treatment)
हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस का कोई इलाज नहीं है। संक्रमण के कारण हुए घावों को दवा के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर आपको कुछ दवाएं जैसे कि एसाइक्लोविर (acyclovir), फेमसाइक्लोविर (famciclovir), वालासाइक्लोविर (valacyclovir) आदि खाने की सलाह दे सकते हैं। दवा का सेवन वायरस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है और अन्य लोगों के संक्रमित होने के खतरे को कम करता है। दवाओं के साथ ही आपको घाव में लगाने के लिए क्रीम भी दी जाएगी, जो प्रभावी असर दिखाती हैं। डॉक्टर आपको इन्जेक्शन भी दे सकते हैं। हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस जीवनभर रहता है। वायरस संक्रमित व्यक्ति की नर्व में रहता है। हो सकता है कि व्यक्ति को कुछ समय बाद वायरस के लक्षण नजर न आएं। कुछ लोगों को समय-समय पर वायरस के लक्षण नजर आ सकते हैं। धूप में जाने से, स्ट्रेस, मेंस्ट्रुअल पीरियड्स के दौरा या फीवर आदि को ये वायरस ट्रिगर कर सकता है।
और पढ़ें: क्लैमाइडिया वैक्सीन: वैक्सीन के अलावा क्या हैं घरेलू उपाय
हर्पीस इन्फेक्शन (Herpes Infection) से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान