डायबिटिक रेटिनोपैथी के साथ ग्लूकोज लेवल में बदलाव रेटिना के ब्लड वेसल्स को कमजोर कर सकता है। जिससे वे डैमेज हो सकती हैं। यह धीरे-धीरे ग्लॉकोमा का कारण बनता है। जब रेटिना की ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं, तो यह आंख में असामान्य ब्लड वेसल्स के ग्रोथ का कारण बनता है। जिसे न्यूरोवैस्कुलर ग्लॉकोमा (Neurovascular glaucoma) कहते हैं। यह ब्लड वेसल्स आंख के नैचुरल ड्रेनेज सिस्टम को ब्लॉक कर देता है। जब ऐसा होता है तो आंख पर प्रेशर बढ़ता है जो कि ग्लॉकोमा का कारण बनता है। इस तरह ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) संबंधित हैं।
ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) का संबंध एक दूसरी थ्योरी में भी बताया गया है। इसके अनुसार डाय ब्लड शुगर लेवल स्पेसिफिक ग्लायकोप्रोटीन (Glycoprotein) को बढ़ाने का कारण बनता है। जिसे फाइब्रोनेक्टिन (Fibronectin) कहा जाता है। इसका आंख में निमार्ण हो जाता है। आंख में इसकी अधिक मात्रा होने पर आंख का नैचुरल ड्रैनेज सिस्टम ब्लॉक हो जाता है, जो ग्लॉकोमा का कारण बनता है। इस प्रकार यह थ्योरी ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) के बीच संबंध स्थापित करती है।
और पढ़ें: बच्चों में यह लक्षण हो सकते हैं टाइप 2 डायबिटीज का संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी!
ग्लॉकोमा के लक्षण (Glaucoma symptoms)

ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) के कनेक्शन को समझने के बाद ग्लॉकोमा के लक्षणों जानना बेहद जरूरी है। ग्लॉकोमा आंख के अंदर हाय प्रेशर का कारण बनता है, लेकिन अर्ली स्टेज में इसके बहुत कम लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए लोगों को इसके बारे में पता नहीं चल पाता। अगर आपको डायबिटीज है, तो हर साल ग्लॉकोमा के लिए टेस्ट करवाएं। अगर ग्लॉकोमा का इलाज ना किया जाए तो यह कम दिखाई देना या अंधेपन का कारण बन सकता है। इसके लक्षण ग्लॉकोमा के प्रकार और बीमारी की एडवांस स्टेज पर निर्भर करते हैं।
ओपन एंगल ग्लॉकोमा (Open-angle glaucoma)