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डायबिटीज कैसे बन जाती है ग्लॉकोमा का कारण, जानिए इस लेख में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/12/2021

    डायबिटीज कैसे बन जाती है ग्लॉकोमा का कारण, जानिए इस लेख में

    ग्लॉकोमा (Glaucoma) एक आय कंडिशन है जो ऑप्टिक नर्व (Optic Nerve) के डैमेज का कारण बन सकती है। यह नर्व आय हेल्थ के लिए जरूरी है। इसका डैमेज होना परमानेंट विजन लॉस और कुछ मामलों में अंधेपन का कारण बन सकता है। जब टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज (Type 1 and Type 2 Diabetes) होती है तो आय प्रॉब्लम का रिस्क बढ़ जाता है। इसीलिए ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) मरीज को एक साथ प्रभावित करने लगती हैं। दरअसल हाय ब्लड शुगर लेवल (High Blood sugar level) आय में होने वाली छोटी-छोटी ब्लड वेसल्स को डैमेज कर देता है। इसके चलते आंखों से संबंधित बीमारियां होती हैं। हाय ब्लड शुगर लेवल ग्लॉकोमा के साथ ही मोतियाबिंद (Cataracts) का भी कारण बनता है। इसलिए डायबिटीज को मैनेज करना बेहद जरूरी है ताकि ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) का कनेक्शन ना बन पाएं।

    ग्लॉकोमा (Glaucoma) क्या है?

    आंखें लगातार मिडिल चैम्बर (Middle chamber) में क्लियर फ्लूइड प्रोड्यूस करती हैं जो वाटर की तरह होता है। यह लेंस के चारों और फ्रंट चैम्बर में बहता है। यह फ्लूइड एक ड्रैनेज नेटवर्क (Drainage network) का उपयोग करके आंख को छोड़ देता है और फिर ब्लडस्ट्रीम (Blood stream) में प्रवेश करता है। आमतौर पर ड्रैनेज सिस्टम का ब्लॉक होना ग्लॉकोमा (Glaucoma) का कारण बनता है। इससे आंख में दबाव बनता है जो आंख के पिछले हिस्से में नर्व तक जाता है। यह नर्व ग्लॉकोमा के कारण डैमेज हो सकती है। जैसे-जैसे यह नर्व डैमेज होती जाती है आंखों की रोशनी पर असर होने लगता है। ग्लॉकोमा दो प्रकार का होता है। ओपन एंगल (Open-angle) और क्लोज्ड एंगल (Closed-angle)।

    और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का यूज करने से हो सकता है हायपोग्लाइसिमिया, और भी हैं खतरे

    ओपन एंगल ग्लॉकोमा (Open-angle Glaucoma)

    ओपन एंगल ग्लॉकोमा (Open angle glaucoma) सबसे कॉमन प्रकार का ग्लॉकोमा है जिसमें आंख पर प्रेशर धीरे-धीरे बिल्ड होता है और दिखाई देना धीरे-धीरे बंद होने लगता है।

    क्लॉज्ड एंगल ग्लॉकोमा (Closed -angle Glaucoma)

    इस ग्लॉकोमा में लक्षण अचानक दिखाई देते हैं। यह ग्लॉकोमा का खतरनाक प्रकार है जिसे अर्जेंट मेडिकल अटेंशन की जरूरत पड़ती है। एनसीबीआई (NCBI) की एक स्टडी के अनुसार ओपन एंगल ग्लॉकोमा का रिस्क डायबिटीज के कारण बढ़ जाता है। वहीं क्लॉज्ड ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Closed angle Glaucoma and Diabetes) के बीच कोई संबंध नहीं है।

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज के बीच क्या संबंध है? (Glaucoma and Diabetes)

    डायबिटिक रेटिनोपैथी जो कि डायबिटीज का एक कॉम्प्लिकेशन है और डायबिटिक आय डिजीज का सबसे कॉमन कारण है। यह ग्लॉकोमा के रिस्क को बढ़ा सकता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करती है जिन्हें लंबे समय से डायबिटीज है। उम्र, मैनेज ना किया गया ब्लड शुगर लेवल्स और हाय ब्लड प्रेशर इस कंडिशन के रिस्क को बढ़ा सकता है।

    डायबिटिक रेटिनोपैथी के साथ ग्लूकोज लेवल में बदलाव रेटिना के ब्लड वेसल्स को कमजोर कर सकता है। जिससे वे डैमेज हो सकती हैं। यह धीरे-धीरे ग्लॉकोमा का कारण बनता है। जब रेटिना की ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं, तो यह आंख में असामान्य ब्लड वेसल्स के ग्रोथ का कारण बनता है। जिसे न्यूरोवैस्कुलर ग्लॉकोमा (Neurovascular glaucoma) कहते हैं। यह ब्लड वेसल्स आंख के नैचुरल ड्रेनेज सिस्टम को ब्लॉक कर देता है। जब ऐसा होता है तो आंख पर प्रेशर बढ़ता है जो कि ग्लॉकोमा का कारण बनता है। इस तरह ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) संबंधित हैं।

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) का संबंध एक दूसरी थ्योरी में भी बताया गया है। इसके अनुसार डाय ब्लड शुगर लेवल स्पेसिफिक ग्लायकोप्रोटीन (Glycoprotein) को बढ़ाने का कारण बनता है। जिसे फाइब्रोनेक्टिन (Fibronectin) कहा जाता है। इसका आंख में निमार्ण हो जाता है। आंख में इसकी अधिक मात्रा होने पर आंख का नैचुरल ड्रैनेज सिस्टम ब्लॉक हो जाता है, जो ग्लॉकोमा का कारण बनता है। इस प्रकार यह थ्योरी ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) के बीच संबंध स्थापित करती है।

    और पढ़ें: बच्चों में यह लक्षण हो सकते हैं टाइप 2 डायबिटीज का संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी!

    ग्लॉकोमा के लक्षण (Glaucoma symptoms)

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes)

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) के कनेक्शन को समझने के बाद ग्लॉकोमा के लक्षणों जानना बेहद जरूरी है। ग्लॉकोमा आंख के अंदर हाय प्रेशर का कारण बनता है, लेकिन अर्ली स्टेज में इसके बहुत कम लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए लोगों को इसके बारे में पता नहीं चल पाता। अगर आपको डायबिटीज है, तो हर साल ग्लॉकोमा के लिए टेस्ट करवाएं। अगर ग्लॉकोमा का इलाज ना किया जाए तो यह कम दिखाई देना या अंधेपन का कारण बन सकता है। इसके लक्षण ग्लॉकोमा के प्रकार और बीमारी की एडवांस स्टेज पर निर्भर करते हैं।

    ओपन एंगल ग्लॉकोमा (Open-angle glaucoma)

    इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं।

    • दोनों आंखों में ब्लाइंड स्पॉट आना।
    • एडवांड स्टेज में सामने की चीजें दिखाई ना देना इसे टनल विजन (Tunnel vision) भी कहते हैं।

    क्लॉज्ड एंगल ग्लॉकोमा (Closed-angle glaucoma)

    • यह एक मेडिकल इमरजेंसी कंडिशन जिसमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
    • अचानक आंख में तेज दर्द होना
    • सिर में तेज दर्द
    • धुंधला दिखाई देना
    • जी मिचलाना और उल्टी होना
    • आंखों का लाल होना

    न्यूरोवैस्कुलर ग्लॉकोमा (Neurovascular glaucoma)

    इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं।

  • आंखों में दर्द
  • आंखों का लाल होना
  • दिखाई कम देना
  • और पढ़ें: टाइप 2 डायबिटीज के मरीज कभी इग्नोर न करें इन स्किन कंडीशंस को

    ग्लॉकोमा के बारे में अधिक जानने के लिए देखें ये 3डी मॉडल:

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज: ग्लॉकोमा का पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis of Glaucoma)

    ग्लॉकोमा का निदान एक ऑफ़्थल्मॉलॉजिस्ट द्वारा आंखों के प्रेशर को मापने, ऑप्टिक नर्व पर प्रेशर को मापकर, आंखों के विजन को टेस्ट करके किया जा सकता है। इन दिनों एक सामान्य परीक्षण एक गैर-संपर्क टोनोमेट्री परीक्षण (Tonometry test) (NCT test) है जिसमें हवा को आंख के सामने निर्देशित किया जाएगा। आप जिस मशीन के सामने बैठते हैं, वह आपकी आंख से संपर्क किए बिना हवा के झोंके के लिए आपकी आंख के प्रतिरोध को मापती है। हवा के झोंके पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन यह पेनफुल प्रॉसेस नहीं है।

    ग्लॉकोमा का इलाज कैसे किया जाता है? (How is glaucoma treated?)

    ग्लॉकोमा का इलाज आमतौर पर आय ड्रॉप्स से किया जाता है जो आंख के प्रेशर को कम करने में मदद करती हैं। इसके ट्रीटमेंट के लिए बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers), प्रोस्टाग्लैंडिन एनालॉग्स (Prostaglandin analogues) और कार्बोनिक एनहीड्रेज इंहिबिटर्स (Carbonic anhydrase inhibitors) शामिल हैं। ड्रॉप्स और मेडिकेशन के काम ना करने पर डॉक्टर सर्जरी ऑप्शन चुनने की सलाह दे सकते हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं।

    • ब्लॉक हुए चैनल को खोलने के लिए लेजर थेरिपी
    • ड्रैनेज ट्यूब्स को इंसर्ट करना या आंख के फ्लूइड को ड्रेन करने के लिए स्टेंट्स का उपयोग
    • आय ड्रेनेज सिस्टम में डैमेज हुए हिस्से को निकालना

    और पढ़ें: डायबिटीज के मरीजों के लिए इन 5 तरह के आटों का सेवन फायदेमंद है!

    ग्लॉकोमा और डायबिटीज: क्या डायबिटीज दूसरी आंख से रिलेटेड बीमारियों का रिस्क बढ़ा देती है?

    डायबिटीज मैनेजमेंट और अन्य जोखिम कारकों के आधार पर, आंखों की अन्य समस्याएं भी विकसित होने का रिस्क हो सकता है। आपके ब्लड शुगर में शॉर्ट टर्म स्पाइक तब हो सकता है जब आप अपना ट्रीटमेंट बदल रहे हों। इसकी वजह से आंखों में सूजन या हाय फ्लूइड जमा हो सकता है। इससे अस्थायी धुंधली दृष्टि हो सकती है। एक बार आपका ब्लड शुगर स्थिर हो जाने पर यह संभवतः दूर हो जाएगा। लंबे समय तक ऊंचा रक्त शर्करा का स्तर आपकी आंखों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और निम्न स्थितियों को जन्म दे सकता है।

    • डायबिटिक मैक्युलर एडिमा (Diabetic macular edema)
    • मोतियाबिंद (cataract)
    उम्मीद करते हैं कि आपको ग्लॉकोमा और डायबिटीज (Glaucoma and Diabetes) के संबंध से जुड़ी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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