के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ग्लूकोमा में आंखों की ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे अंधापन होने का खतरा होता है। आमतौर पर यह आंखों पर उच्च दबाव पड़ने के कारण होता है। ऑप्टिक नर्व, नर्व फायबर्स का एक बंडल है जो रेटिना को मस्तिष्क से जोड़ता है। जब ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो जो संकेत आपके मस्तिष्क को बताते हैं कि आप क्या देख रहे हैं, बाधित हो जाते हैं।
इसके कई प्रकार हैं। इनमें ओपन-एंगल, एंगल क्लोजर, नॉर्मल टेंशन, पिगमेंटरी, कंजेनिटल और सेकेंडरी ग्लूकोमा शामिल हो सकते हैं। इसमें सबसे आम ओपन-एंगल या मोतियाबिंद है।
यह बेहद आम बीमारी है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन, 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में इसकी संभावना ज्यादा होती है। यह अंधेपन के कुछ मुख्य कारणों में से एक है।
और पढ़ें : Bulging Eyes : कुछ लोगों की आंखें उभरी हुई क्यों होती है?
ओपन-एंगल ग्लूकोमा: शुरुआत में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन, बढ़ने पर आंखों के किनारे या बीच में एक धब्बा दिखता है।
एंगल क्लोजर ग्लूकोमा: इसके लक्षणों में गंभीर सिर दर्द, आंखों में दर्द, मितली और उल्टी, कम दिखना, आंखें लाल होना आदि हैं।
कंजेनिटल ग्लूकोमा: यह जन्मजात शिशु में होता है और पहले वर्ष के अंदर ही इसके लक्षण समझ में आने लगते हैं।
सेकेंडरी ग्लूकोमा: यह मोतियाबिंद बीमारियों के शरीर पर पड़े प्रभाव के कारण होता है। इसके लक्षण भी ऊपर दिए गए लक्षणों जैसे ही होते हैं।
और पढ़ें : आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय
यदि इसका इलाज न कराया जाए तो इससे दृष्टि हानि और अंधापन हो सकता है। जो लोग 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, उन्हें इसका कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसका मुख्य कारण आपकी ऑप्टिक नर्व का डैमेज होना है। आमतौर पर ज्यादा प्रेशर पड़ने से ऑप्टिक नर्व डैमेज होती है। यह दबाव आंखों में ज्यादा तरल जमने से होता है। साथ ही इसके कारण इसके प्रकार पर भी निर्भर करता है। इनमें से कुछ सामान्य कारण यह हैं :
ओपन-एंगल ग्लूकोमा: यह सबसे आम है। इसमें आंखों में ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ जमने के आंख के पिछले हिस्से पर दबाव पड़ता है। उस दबाव के कारण आइरिस और कॉर्निया के बीच एक बड़ा सा एंगल बन जाता है।
एंगल क्लोजर ग्लूकोमा: इस तरह के मोतियाबिंद में भी आंखों में बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ जम जाता है। इसके कारण आंखों पर दबाव पड़ने के कारण छोटा एंगल बनता है या बनता ही नहीं है।
और पढ़ें : Jaundice : क्या होता है पीलिया ? जाने इसके कारण लक्षण और उपाय
नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा: इस तरह के मोतियाबिंद में किसी भी तरह का दबाव इसका कारण नहीं होता है बल्कि ऑप्टिक नर्व में कम ब्लड सप्लाई इसका मुख्य कारण होता है।
सेकेंडरी ग्लूकोमा: यह किसी अन्य बीमारी या दवाइयों के शरीर पर पड़े बुरे असर के कारण होता है। खासकर कि उच्च रक्तचाप या डायबिटीज इसके मुख्य कारण होते हैं।
कंजेनिटल ग्लूकोमा: इस तरह का मोतियाबिंद जन्म या गर्भावस्था के दौरान हुई किसी कमी के कारण शिशु में हो सकता है।
पिगमेंटरी ग्लूकोमा: इस तरह के मोतियाबिंद में आंखों में तरल पदार्थ की आपूर्ति के कारण एक धब्बा सा बन जाता है जो कि धीरे धीरे बढ़ने लगता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
और पढ़ें : आंख से कीचड़ आना हो सकता है इन बीमारियों का संकेत, जान लें इनके बारे में
इसका इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। ग्लूकोमा का इलाज इन चीजों द्वारा किया जा सकता है।
आई ड्रॉप (Eye drop): इन दवाओं में प्रोस्टाग्लैंडिंस (लैटानोप्रोस्ट, बिमाटोप्रोस्ट), बीटा ब्लॉकर्स (टिमोल, बीटैक्सोलोल), अल्फा एड्रीनर्जिक एगोनिस्ट (एप्राक्लोनिडिन, ब्रिमोनिडाइन), कार्बोनिक एनहाइड्रेज इनहिबिटर (डोरजोलैमाइड, ब्रिनजोलैमाइड) और माइओटाइपरिन शामिल हैं। ये दवाएं मुख्य रूप से आंख में दबाव को कम करने का काम करती हैं।
ओरल (Oral) चिकित्सा: कई डॉक्टर आई ड्रॉप के साथ ओरल चिकित्सा भी देते हैं। इसमें से एसिटाजोलैमाइड भी एक है।
लेजर ट्रैबेकोप्लास्टी : इस ट्रीटमेंट के इस्तेमाल से आंखों की नसों में द्रव्य के बहाव को सीमित किया जाता है। यह ट्रीटमेंट लेजर द्वारा आई क्लीनिक में दिया जा सकता है।
और पढ़ें : : Ulcerative colitis : अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है? जाने इसके कारण ,लक्षण और उपाय
इसके अलावा ग्लूकोमा का इलाज सर्जरी के द्वारा भी होता है :
ग्लूकोमा सर्जरी को मेडिकल भाषा में ट्रेबैक्यूलेक्टमी कहते हैं। ये ऑप्टिक नर्व के डैमेज होने के खतरे को कम करने के लिए किया जाता है। आप जानते हैं ग्लूकोमा के बारे में, इस बीमारी में आंखों में फ्लूइड्स अनियमित रूप से स्रावित होते रहते हैं, जिस वजह से आंखों में प्रेशर बढ़ जाता है। आगे चल कर फ्लूइड्स की अनियमितता के कारण ऑप्टिक नर्व इंजरी हो जाती है। जिससे सही तरह से चीजें दिखाई नहीं देती है। ग्लूकोमा 40 साल से ऊपर के लोगों में होता है और 50 में से किसी 1 इंसान को होता है।
और पढ़ें : घर पर आंखों की देखभाल कैसे करें? अपनाएं ये टिप्स
अगर ग्लूकोमा का समय से इलाज नहीं किया गया तो आगे चल कर ये अंधापन (Blindness) में बदल जाता है। आपके एनेस्थेटिस्ट ने आपको एनेस्थेटिक (सुन्न या बेहोश) करने के कई तरीके बताए होंगे। सर्जरी को करने में लगभग 45 से 75 मिनट का समय लगता है। क्योंकि, सर्जन ऑपरेशन के दौरान आंखों में इकट्ठा तरल (Fluid) को निकालते हैं। अगर आपके मन में सर्जरी के दौरान भी कोई भ्रम या सवाल हो तो सर्जन से जरूर पूछ लें।
और पढ़ें : Eye allergies: आंख में एलर्जी क्या है?
ग्लूकोमा का इलाज यानी ट्रीटमेंट लेने के दौरान अगर आप अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देते हैं तो समस्या अधिक बढ़ सकती है। ग्लूकोमा के इलाज के दौरान आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यदि आपके कोई सवाल हों तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।