के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा एक ऐसी बीमारी है जो आंखों के ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक तंत्रिका मस्तिष्क तक संदेश भेजने का काम करती है। इसी के द्वारा दिमाग में चित्र बनते हैं। आमतौर पर ग्लॉकोमा यानी मोतियाबिंद में आंखों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। लेकिन नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा की समस्या अलग होती है।
इस बीमारी में कोई तरल पदार्थ कई प्रकार के मोतियाबिंद के साथ आपकी आंख के सामने आ जाता है। यह तरल पदार्थ आंखों से बाहर नहीं निकल पाता है। यही तरल पदार्थ आंखों में जमा होता जाता है। इसके चलते आंखों पर दबाव बनना शुरू हो जाता है। समस्या गंभीर होती जाती है तो यह ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। तब यह आम मोतियाबिंद से नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा बन जाता है।
नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा सीधे तौर पर ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है। डॉक्टर इसे नॉर्मल टेंशन या लो टेंशन ग्लॉकोमा कहते हैं।
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धमनियों में वसा जमा होने पर भी खून का बहाव बाधित हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य कारण हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
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नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा के इलाज के पहले आंखों का परीक्षण जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले ऑप्टिक तंत्रिका को जांचते हैं। नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा का परीक्षण दो तरीकों से किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में, ऑफ्थेल्मोस्कोप नाम के उपकरण को आंख के करीब रखा जाता है। डॉक्टर ऑफ्थेल्मोस्कोप से लाइट को पुतली पर डालता है और उसके माध्यम से ऑप्टिक तंत्रिका के आकार और रंग की जांच की जा सकती है। तंत्रिका का आकार ठीक ना होना और रंग गुलाबी ना होना, इस बात का संकेत है कि आपमें नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा के लक्षण हैं। यह पूरी प्रक्रिया अंधेरे कमरे में होती है।
दूसरी प्रक्रिया विजुअल फील्ड टेस्ट की होती है। यह परीक्षण रोगी के आंख की रोशनी देखने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण का उपयोग करते हुए डॉक्टर दिखाई ना देने की वजह का परीक्षण करते हैं। डॉक्टर हर आंख के हर उस पार्ट का परीक्षण करते हैं जिससे ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंच सकता है। अगर मरीज की आंख की रोशनी में कोई भी बदलाव दिखाई देंगे तो नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा होने की संभावना है। ज्यादातर मामलों में ऐसा देखा गया है कि ऑप्टिक तंत्रिका के परीक्षण के बाद भी कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं।
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नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा को ठीक करना काफी मुश्किल होता है। डॉक्टर इसे बढ़ने से रोक सकते हैं जिससे आंख को ज्यादा नुकसान ना हो। वे आपको कुछ आई ड्रॉप दे सकते हैं। साथ ही लेजर ट्रीटमेंट और अन्य सर्जरी से नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा जैसी गंभीर समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा के दौरान दिए जाने वाले आई ड्रॉप के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जैसे:
इस इलाज को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को ये जरूर बताएं कि आप को अन्य दवा ले रहे हैं या नहीं। क्योंकि ये आई ड्रॉप अन्य दवा के साथ मिलकर भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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सर्जन आपकी आंख से द्रव को बाहर निकालने के लिए लेजर का इस्तेमाल करेंगे। इस तरह, द्रव अधिक आसानी से बाहर निकल सकता है और आंखों का दबाव भी कम हो जाएगा। आप अपने डॉक्टर के क्लिनिक का अस्पताल में जाकर लेजर ट्रीटमेंट आसानी से करवा सकते हैं।
यदि दवाइयां और लेजर उपचार आपकी आंखों के दबाव को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है तो डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की सलाह देंगे।
ट्रेबेक्यूलेक्टोमी नाम की एक प्रक्रिया होती है जिसमें तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए आंख में नया रास्ता बना दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर आंख के एक बेहद पतली नली लगाते हैं जिससे द्रव बाहर निकल सके। इससे आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है।
शोधकर्ता फिलहाल नॉर्मल टेंशन ग्लॉकोमा का एक सफल इलाज खोजने का प्रयास कर रहे हैं। जो ऑप्टिक तंत्रिका की रक्षा करने या तंत्रिका में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
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