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किडनी की बीमारी कैसे होती है? जानें इसे स्वस्थ रखने का तरीका

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/11/2021

    किडनी की बीमारी कैसे होती है? जानें इसे स्वस्थ रखने का तरीका

    किडनी को हिंदी में गुर्दा भी कहा जाता है। किडनी (Kidney) हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर में मौजूद रक्त को फिल्टर करने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करती है। किडनी के अतिरिक्त कार्यों में रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन पर प्रभाव और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी के मेटाबॉलिज्म का जिम्मा भी होता है। हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं, जो कि कमर के ठीक ऊपर स्पाइन के दोनों तरफ स्थित होती हैं। किडनी की बीमारी के कारण आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जो कि गंभीर होने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है।

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    किडनी की बीमारी (Kidney disease) से पहले जानें ये क्यों जरूरी है?

    शरीर में किडनी का स्वास्थ्य ठीक होने पर कई शारीरिक कार्य सही से होते हैं। आइए, जानते हैं कि किडनी शरीर में मुख्य रूप से क्या-क्या करती हैं और यह क्यों जरूरी है।

    1. किडनी पाचन, मसल्स एक्टिविटी और दवाई या कैमिकल के संपर्क में आने के बाद रक्त से वेस्ट मटेरियल बाहर निकालने में मदद करती है।
    2. शरीर में मौजूद खून में पानी और सोडियम, पोटैशियम और फोस्फोरस के संतुलन को बनाने में मदद करती है।
    3. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी रेनिन (Renin) का उत्पादन करती है।
    4. स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिए जरूरी विटामिन-डी (Vitamin D) का मेटाबॉलिज्म करके उसे सक्रिय रूप में लाती है।
    5. किडनी या गुर्दा अरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) नाम के केमिकल का उत्पादन भी करती है, जो शरीर को रेड ब्लड सेल्स (RBC) का उत्पादन करने के लिए संकेत भेजता है।

    किडनी की बीमारी (Kidney disease) या गुर्दा खराब होने से क्या होता है?

    जब आपको किडनी की बीमारी या गुर्दा खराब होने लगता है, तो शरीर के वेस्ट मटेरियल और फ्लूड बाहर नहीं निकल पाते और अंदर ही जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में या किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा भी बना रहता है। इसकी वजह से टखनों में सूजन, जी मिचलाना, शारीरिक कमजोरी, अस्वस्थ नींद और सांस फूलने की समस्या होने लगती है। इसके अलावा, शरीर में पानी और मिनरल्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे आपका खून स्वस्थ नहीं रहता। दूसरी तरफ, गुर्दा विटामिन-डी का मेटाबॉलिज्म नहीं कर पाता और हड्डियों को पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण हड्डियों (Bone) की समस्या भी हो सकती है। यह सभी समस्या गंभीर रूप लेने के बाद जानलेवा साबित हो सकती हैं।

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    किडनी की बीमारी (Kidney disease) होने का खतरा कब बढ़ जाता है?

    किडनी की बीमारी या गुर्दा खराब होने का खतरा निम्नलिखित स्थितियों में बढ़ जाता है। जैसे-

    1. अगर आपका ब्लड प्रेशर हाई रहता है, तो यह किडनी (Kidney) के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे किडनी की बीमारी (Kidney disease) हो सकती है।
    2. इसके अलावा, अगर आपकी फैमिली में किसी को पहले या अभी क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) है, तो जेनेटिक फैक्टर के कारण आपको यह समस्या होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
    3. अगर आपको डायबिटीज (Diabetes) है, तो आपको किडनी की बीमारी होने का खतरा होता है।
    4. दिल की बीमारी (Heart problem) शरीर में ऑक्सिजन युक्त रक्त का उत्पादन नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिसके कारण धीरे-धीरे किडनी की समस्या भी बन सकती है।
    5. मोटापा (Obesity) शरीर में कई बीमारियों के पनपने का कारण बन सकता है और यह सीधे आपकी किडनी के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।

    किडनी की बीमारी (Kidney disease) कौन-कौन सी हो सकती है?

    क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease)

    क्रोनिक किडनी डिजीज गुर्दे की बीमारी का सबसे आम प्रकार है। यह बीमारी मुख्य रूप से हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है, जो कि काफी लंबे समय तक ठीक नहीं हो पाती है। हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) आपकी किडनी में मौजूद छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त प्रेशर डालता है। इन रक्त वाहिकाओं को ग्लोमेरुली (Glomeruli) कहा जाता है, जो शरीर में खून की सफाई करती हैं। लंबे समय तक यह प्रेशर रहने के कारण किडनी डैमेज (Kidney damage) हो जाती है और अपना कार्य करना बंद कर देती है। जिसके बाद मरीज को डायलिसिस (Dialysis) पर जाना पड़ता है। डायलिसिस में शरीर के खून से अतिरिक्त फ्लूड और वेस्ट मटेरियल को बाहर निकाला जाता है। डायलिसिस किडनी की स्थिति सुधारने में मदद करती है, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकती। जरूरत पड़ने पर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) का विकल्प उपयोग में लाया जा सकता है।

    इसके अलावा, मधुमेह भी क्रोनिक किडनी डिजीज का बड़ा कारण है। जिससे शरीर में ब्लड शुगर (Blood sugar) का स्तर बढ़ जाता है। हाई ब्लड शुगर भी लंबे समय रहने पर किडनी की इन रक्त वाहिकाओं को खराब कर सकते हैं।

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    किडनी से जुड़ी आवश्यक जानकारी के लिए नीचे दिए इस 3 D मॉडल पर क्लिक करें।

    किडनी में पथरी (Kidney Stones)

    किडनी में पथरी या गुर्दे की पथरी होने भी बड़ी समस्या है। किडनी में पथरी की समस्या तब बनती है, जब मिनरल और अन्य तत्व सही तरीके से अवशोषित नहीं हो पाते और क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगते हैं। किडनी स्टोन आमतौर पर पेशाब (Urine) के सहारे शरीर से बाहर निकल आते हैं, लेकिन कई बार यह आकार में बड़े होने के कारण बहुत दर्द करते हैं और किडनी स्टोन (Kidney stone) का उचित इलाज मांगते हैं।

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    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI)

    यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में बैक्टीरियल संक्रमण होने को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) कहा जाता है। इन बीमारियों में ब्लैडर या यूरेथ्रा में संक्रमण होना आम है। इन बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है और इनके फैलने की आशंका बहुत कम ही होती है, लेकिन अगर इनका इलाज नहीं किया गया, तो यह इंफेक्शन (Infection) फैलकर किडनी फैलियर भी कर सकते हैं।

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    किडनी की बीमारी का इलाज क्या है? (Treatment for Kidney disease)

    किडनी की बीमारी का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। आइए, जानते हैं कि गुर्दे की बीमारी के इलाज के क्या-क्या विकल्प हैं।

    दवाइयां

    अगर आपको क्रोनिक किडनी डिजीज हैं, तो इसके होने का सबसे संभावित कारण हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाइयों का सुझाव दे सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर यूरिन में प्रोटीन की मात्रा कम करने के लिए दवाई दे सकता है, जो कि किडनी को स्वस्थ करने में मदद करती है

    दवाइओं से दूरी

    कुछ ओवर द काउंटर दवाई या कुछ दवाइयां आपकी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। ऐसी स्थिति में अगर आपके द्वारा ली जा रही कोई दवाई आपकी किडनी पर प्रभाव डाल रही है, तो डॉक्टर उन दवाइयों को बंद कर सकता है।

    डायट

    आप किडनी की बीमारी को सही करने के लिए अपनी डायट (Diet) को भी सुधार सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी डायट में सोडियम, प्रोटीन (Protein), पोटैशियम (Potassium) और फोस्फेट (Phosphate) की मात्रा कम करनी होगी। ऐसा करने से आपकी किडनी को इन मिनरल को नियंत्रित करने या शरीर से बाहर निकालने में अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती है। जिससे किडनी पर प्रेशर कम होता है और वह थोड़े समय में स्वस्थ होने लगती है। इसके अलावा, आपको अपने आहार में पानी की मात्रा को भी संयमित करना होता है। किडनी के लिए स्वस्थ डायट बनाने में आप किसी डायटीशियन की मदद भी ले सकते हैं।

    डायलिसिस

    जब किडनी सही से कार्य नहीं कर पाती, तो आपको डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत हो सकती है। डायलिसिस में आपके शरीर में मौजूद अतिरिक्त फ्लूड और वेस्ट मैटीरियल निकाला जाता है, जिसे किडनी नहीं निकाल पाती। लेकिन, डायलिसिस की मदद से आप किडनी पर दबाव कम कर सकते हैं, लेकिन उसका इलाज नहीं कर सकते।

    किडनी ट्रांसप्लांट

    जब किडनी की बीमारी गंभीर हो जाती है और किडनी फेलियर (Kidney failure) हो जाता है, तो आपका डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के लिए सुझाव दे सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आप किसी फैमिली मेंबर या अन्य किसी अनजान व्यक्ति या फिर किसी मृत ऑर्गन डॉनर से किडनी ले सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ किडनी दान करने की स्थिति में ही किया जा सकता है।

    ध्यान रहे कि भारत में किडनी की खरीद फरोख्त करना कानूनी अपराध है और इसके लिए भारतीय दंड संहिता में सजा का प्रावधान है।

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    किडनी की बीमारी को दूर करने के टिप्स (Tips for Kidney disease)

    किडनी या गुर्दे की बीमारी का खतरा दूर करने के लिए आप इन टिप्स की मदद भी ले सकते हैं। जैसे-

    1. नियमित एक्सरसाइज (Workout) करें। जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा कम होता है।
    2. शरीर में मौजूद ब्लड शुगर का स्तर संयमित रखें और नियमित जांच करते रहें।
    3. पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करें।
    4. स्मोकिंग (Smoking) न करें
    5. ओवर द काउंटर (OTC) दवाओं का सेवन न करें।
    6. अगर आपको किडनी की बीमारी का खतरा है, तो इसकी नियमित जांच करवाते रहें।

    किडनी से जुड़ी बीमारियों में क्या करें और क्या ना करें? जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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