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प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में अधिक थकावट महसूस होने पर अपनाएं ये टिप्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/09/2021

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में अधिक थकावट महसूस होने पर अपनाएं ये टिप्स

    गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy) में चक्कर आना एक बड़ी समस्या है। वैसे तो गर्भावस्था का हर चरण गर्भवती महिला के लिए बेहद अहम होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था पीरियड में छोटी सी गलती, महिलाओं और उनके होने वाले शिशु के लिए जोखिम भरी हो सकती है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में महिलाओं को कई समस्याओं से भी जूझना पड़ता है, लेकिन चक्कर आना जैसी समस्या उनके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। हेलो हेल्थ के इस लेख में हम प्रेग्नेंसी के दूसरे चरण में चक्कर आने के कारण, बचाव के उपाय और इससे जुड़ी कई जानकारियों को बारे में बताने जा रहे हैं। 

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     प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही का मतलब  (The Second Trimester of Pregnancy)

    गर्भावस्था को तीन-तीन महीनों के तीन चरणों में बांटा गया है। इसका दूसरा चरण, दूसरी तिमाही (13वें हफ्ते से 27वें हफ्ते तक) कहलाता है। इस चरण को हनीमून पीरियड (Honeymoon Period of Pregnancy) भी कहते हैं। इस चरण में ही कामकाजी महिलाएं अपनी छुट्टी के लिए प्लानिंग करने लग जाती हैं। पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस और थकान के लक्षण होते हैं, लेकिन दूसरी तिमाही गर्भवती महिलाओं के लिए एक आरामदायक पीरियड होता है। इस चरण में महिला पहली तिमाही की तुलना में अधिक ऊर्जावान महसूस करने लगती हैं। दूसरी तिमाही में भ्रूण (Fetus) का आकार भी बढ़ने लगता है और यही वो चरण जिसमें महिलाओं का पेट बाहर आने लगता है। बावजूद इसके गर्भावस्था की दूसरे तिमाही में भी महिलाओं को हर तरह से अपना ख्याल रखने जरुरत होती है। साथ ही इस चरण में आने वाली समस्याओं से भी रूबरू होना चाहिए। इस चरण में महिलाओं को शरीर में होने वाले बदलाव, भ्रूण का बढ़ना और डायट (Diet) के बारे में भी पता होना चाहिए।

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    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही (The Second Trimester of Pregnancy) में चक्कर आना क्या है?

    वैसे तो गर्भावस्था के पूरे काल में महिलाओं को सिर चकराने जैसी समस्या से जूझना पड़ता है, लेकिन दूसरे चरण से इसकी शुरुआत तेजी से होती है। इसमें गर्भवती महिलाओं की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है। वे समझ नहीं पाती हैं कि उनके साथ क्या हो रहा है। चक्कर आने पर उन्हें कमजोरी भी महसूस होने लगती है। साथ ही उनके आसपास की चीजें घूमती नजर आने लगती हैं। इस अवस्था में गर्भवती महिलाएं चक्कर खाकर गिर भी सकती हैं, जो कोख में मौजूद शिशु के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। सिर दर्द, उलझन, मतली और उलटी गर्भावस्था में चक्कर आने के आम लक्षण माने जाते हैं।

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    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में चक्कर आना (Dizziness in pregnancy) आम समस्या है?

    गर्भावस्था में चक्कर आना एक बड़ी और आम समस्या है। इस चरण में महिलाओं को सीढ़ी पर न चढ़ने-उतरने की सलाह दी जाती है। साथ ही उन्हें ड्राइविंग करने के लिए भी मना किया जाता है। कोई बड़ा हादसा न हो इसलिए इन पर रोक लगाने की सलाह दी जा सकती हैं। गर्भवती महिलाओं को इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, नहीं तो वे किसी बड़े हादसे शिकार हो सकती हैं, जो उनके और शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। गर्भावस्था में चक्कर आने के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। जानकर हैरानी होगी कि इस समस्या से भ्रूण के विकास में भी रुकावट हो सकती है। चलिए जानते हैं आखिर क्या है गर्भावस्था के हनीमून पीरियड में चक्कर आने के बड़े कारण।

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में चक्कर आने के कारण

    गर्भावस्था महिलाओं के लिए बहुत संवेदनशील पीरियड होता है। जो महिलाएं पहली बार मां बनने का अनुभव ले रही होती हैं, उनके लिए तो यह पीरियड और भी नाजुक और नया होता है। इसलिए चक्कर आना तो स्वभाविक ही है। चलिए जानते हैं आखिर क्या हैं इसके असल कारण..

    लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure)

    प्रेग्नेंसी के दूसरे चरण में शारीरिक बदलाव आने के कारण ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) में बदलाव महसूस होता है। इसमें लो ब्लड प्रेशर की शिकायत आने लगती है और कमजोरी महसूस होती है, जो चक्कर आने का कारण बनते हैं। शरीर में हाॅर्मोन लो ब्लड प्रेशर का कारण बनते हैं, जो रक्त धमनियों को फैला देती हैं और ऐसे में महिलाओं को उठने और बैठने में चक्कर महसूस होने लगते हैं।

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    शुगर की मात्रा कम होना (Low Sugar)

    इस चरण में अगर गर्भवती महिलाओं में शुगर की मात्रा घटती है तो यह भी चक्कर आने का बड़ा कारण बनता है।

    आयरन (Iron) की कमी

    गर्भवती महिलाओं के शरीर में जब आयरन की कमी होने लगती है तो चक्कर आने लगते हैं, जो एनीमिया का कारण बन सकता है। ऐसे में हेल्दी डायट (Healthy diet) पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है।

    पीठ के बल लेटने पर

    दूसरी और तिसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं का अधिकतर पीठ के बल लेटना भी चक्कर आने का कारण बनता है। क्योंकि इससे गर्भाशय की रक्त वाहिकाओं पर दवाब पड़ने लगता है।

    पानी की कमी ( Dehydration)

    गर्भावस्था में शरीर में पानी की कमी यानि डिहायड्रेशन होने से भी चक्कर आने लगते हैं। इसलिए गर्भावस्था काल में थोड़े-थोड़े समय में पानी पीते रहना चाहिए।

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    घुटन महसूस होने पर

    गर्भावस्था में कई महिलाओं को घुटन भी होने लगती है और वह खुद को बंधा हुआ सा महसूस करने लगती हैं जो चक्कर आने का कारण बनता है।

    अनहेल्दी डायट (Diet)

    प्रेग्नेंसी में महिलाओं को हेल्दी डायट लेने की सलाह दी जाती है, जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। हेल्दी डायट न लेने से शरीर में कमजोरी महसूस हो सकती है, जिसके कारण चक्कर आना आम हो जाता है।

    नियमित सिर दर्द (Headache)

    जिन महिलाओं में नियमित सिर सर्द की शिकायत होती है, उन्हें गर्भावस्था में चक्कर आने का जोखिम ज्यादा होता है। इसलिए सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में चक्कर आने पर करें ये काम

    गर्भावस्था में चक्कर आने पर महिलाएं नीचे दी गईं टिप्स पर गौर करें तो कुछ राहत मिल सकती हैं।

    • प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में शरीरिक वजन बढ़ने लगता है और इस स्थिति में अचानक चक्कर महसूस होने लगे तो, जहां खडे़ हो वहीं कुछ देर के लिए बैठ जाएं, क्योंकि गिरने पर दोनों को चोट पहुंच सकती है।
    • काम करने के दौरान चक्कर आने लगे तो तुरंत काम छोड़ बैठ जाएं। थोड़ी देर आराम करें और राहत महसूस होने पर ही काम करें।
    • भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें क्योंकि ऐसा वातावरण आपके लिए अनकंफर्टेबल हो सकता है। भीड़ वाली जगह पर जी घबराने से भी चक्कर आ सकते हैं।
    • शरीर में शुगर की मात्रा का संतुलन बनाएं रखें। शुगर युक्त चीजें खाने से शुगर की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है, जिस0से लो ब्लड शुगर के कारण आने वाले चक्कर की समस्या से निजात पाई जा सकती है। ध्यान रहे इस बारे में पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
    •  कमरे का वातावरण खुला हो, जहां शुद्ध हवा का आना-जाना हो। कुल मिलाकर गर्भवती महिला का कमरा इको फ्रेंडली होना चाहिए।
    • चक्कर आने की समस्या को दूर करने के उपाय
    • शरीर को हाइड्रेट रखें और इसके लिए समय-समय पर पानी पीते रहें
    • इस अवस्था में डॉक्टर से नियमित रूप से चेकअप कराते रहें
    • शरीर में शुगर की मात्रा का संतुलन बनाए रखें
    • खुले वातावरण में रहें और ताजी हवा को महसूस करें
    • फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें
    • जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज न करें
    • ज्यादा पीठ के बल लेटने से बचें
    • रोजाना पर्याप्त नींद लें
    • शराब और केफीन न लें
    • धूम्रपान करने से बचें

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में क्या खाएं

    हेल्दी डायट किसी के लिए भी जरूरी होती है, लेकिन जब बात गर्भवती महिलाओं की होती है तो थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत होती है। बता दें कि संपूर्ण आहार ही मां और शिशु के पोषण को पूरा करता है। इस अवस्था में महिलाओं को प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन, कार्बोहायड्रेट और वसा उचित मात्रा में लेने चाहिए। आपको यह भी बता दें कि सामान्य दिनों की तुलना में महिलाओं को प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में अधिक खुराक और कैलोरी लेने की जरूरत होती हैदूसरी तिमाही में खाएं ये चीजें…

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही: आयरन फूड

    आयरन का काम ऑक्सीजन को पूरे शरीर में संचारित करना होता है। वहीं, प्रेग्नेंसी में आयरन युक्त चीजें भ्रूण को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। आयरन की कमी से महिलाओं में एनीमिया और कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। इससे वह तनावग्रस्त भी हो सकती हैं। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए ड्राई फ्रूट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, बिना वसा वाला मीट और बीन्स को डायट में शामिल करना चाहिए।

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    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही: प्रोटीन वाला फूड (Protein)

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में प्रोटीन युक्त चीजें भ्रूण के मस्तिष्क और अन्य टिश्यू को बढ़ाने में मददगार होती हैं। प्रोटीन मां के गर्भाशय और स्तनों के विकास के लिए अहम होता है। प्रोटीन की मात्रा को पूरा करने के लिए गर्भवती महिला की खाने की थाली में मटर, नट्स, मछली, अंडे और टोफू शामिल होना चाहिए।

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही: फोलेट (Folate)

    जिन लोगों को विटामिन बीके बारे में पता है वो फोलेट के बारे में भी जानते होंगे। क्योंकि, फोलेट का दूसरा नाम विटामिन बी9 ही है। प्रेग्नेंसी में फोलेट अहम भूमिका निभाता है। फोलेट शिशु में जन्मजात होने वाले तंत्रिका नली दोष (Neural Tube Defects) जैसे स्पाइना बिफिडा (Spina Bifida) से बचाव करने में मददगार होता है। फोलेट की कमी को पूरा करने के लिए पत्ता गोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां और पालक को डायट में लें। इसके साथ ही साबुत अनाज और संतरे में भी विटामिन बी होता है।

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    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही: अन्य आवश्यक पोषक तत्व

    • कैल्शियम (Calcium) 
    • ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty acid) 
    • मैंगजीन (Manganese) 
    • फैट (Fat) 
    • विटामिन डी (Vitamin D) 
    • कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) 

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खाई जाने वाली चीजें

    • सूरजमुखी के बीज
    • पनीर
    • गाजर
    • कद्दू के बीज
    • दही
    • एवोकाडो
    • ब्रोकली

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में जिन महिलाओं को अधिक थकावट महसूस होती है, उनके लिए यह टिप्स  बहुत प्रभावकारी है। इसके अलावा  अधिक समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें।

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