प्रेग्नेंसी के ट्राईमेस्टर में नींद न आने के कारण
जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करने लगती हैं। इस कारण वे चाहकर भी शरीर को आराम नहीं दे पाती हैं। उनके लिए यह समस्या ज्यादा हावी हो जाती हैं, जो पहली बार मां बनने का अनुभव कर रही होती हैं और गर्भावस्था की पहली तिमाही में उन्हें अलग-अलग हलचल होने लगती हैं। आइए जानते हैं इस पीरियड में इनसोम्निया के क्या कारण हैं?
एसिडिटी (Acidity)
एसिडिटी एक आम समस्या है, जो महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान भी भुगतनी पड़ती है। इसमें महिला के सीने में जलन होने लगती है। रात के समय में प्रेग्नेंट महिलाओं को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal Reflux Disease) के कारण सीने मे जलन के कारण नींद नहीं आती है।
बार-बार पेशाब जाना (Urine Problem)
इस पीरियड में बार-बार पेशाब आना भी बड़ी समस्या है, जिसके कारण गर्भवती महिलाओं की नींद में खलल पैदा होती है। इसमें दरअसल, कोख में पल रहे शिशु का भार मूत्राशय और पेल्विक मांसपेशियों पर प्रेशर डालता है। यही कारण है कि इस अवस्था में महिलाओं को बार-बार वॉशरूम का रास्ता पकड़ना पड़ता है। बार-बार पेशाब आना अत्यधिक चिंता और मानसिक तनाव के कारण भी हो सकता है।
और पढ़ें: Quiz: स्तनपान के दौरान कैसा हो महिला का खानपान, जानने के लिए खेलें ये क्विज
शारीरिक वजन बढ़ना (Weight Gain)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का पेट बढ़ने से उनका वजन में भी बढ़ोतरी हो जाती है। अब बढ़े हुए पेट से आरामदायक नींद संभव नहीं हो पाती है। इस दौरान महिलाएं एक ही करवट पर लेटे-लेटे ऊब जाती हैं और परेशान होने लगती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए नींद में करवट लेना आसान नहीं होता हैं, क्योंकि इस दौरान शिशु को कोई हानि न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।
चिंता और तनाव (Depression)
प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में महिला को एहसास होने लगता है कि उनका वजन सामान्य दिनों से बढ़ता जा रहा है। इस दौरान उन्हें पेट में शिशु की हलचल होने का भी पता चलने लगता है। पहली बार मां बनने जा रही महिलाओं के लिए यह अनुभव नया होता है तो उनको चिंता होने लगती हैं और इस कारण उनपर तनाव भी हावी होने लगता है। साथ ही वे लेबर पेन को सोचकर भी घबराने लगती हैं। यह भी एक कारण जिसके चलते उन्हें नींद नहीं आती है।
स्लीप एपिनिया (Sleep apnea)
स्लीप एपिनिया सांस से जुड़ी समस्या है। इसमें प्रेग्नेंट महिला को खर्राटें आते हैं और सांस रुक-रुक आती है। वहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़े हुए वजन के कारण नींद में खलल पड़ती है। हैरानी की बात यह है कि इस समस्या को खुद गर्भवती महिलाओं को भी पता नहीं चलता है, जिसके कारण वे सो नहीं पाती हैं। उचित नींद न लेने के कारण गर्भवती महिलाएं पूरे दिन सुस्त और नींद में छाई रहती हैं। ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह ले ही लें।
और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे इस लेख में
रेस्ट लेस लेग सिंड्रोम
प्रेग्नेंसी में शरीर का सारा भार पैरो पर आ पड़ता है। इससे कारण पैरों में दर्द और बेचैनी की शिकायत उठने लगती है और जब पैरों में लगातार दर्द हो रहा हो तो नींद आना असंभव है। इस समस्या से 15 फीसदी गर्भवती महिलाएं जूझती हैं।
सोने की जगह में बदलाव