अलटीटुड-इन्दुस्डेड पेरिओडिक ट्रेडिंग (Altitude-Induced Periodic Breathing)- इस तरह के सेंट्रल स्लीप एप्निया विशेष रूप से ऑक्सिजन की कमी के कारण होता है। जब व्यक्ति सो रहा होता है, तो सांस लेने की गति तेज और ज्यादा समय की होने लगती है।
ट्रीटमेंट-इमर्जेंट सेंट्रल स्लीप एप्निया (Treatment-Emergent Central Sleep Apnea)- इस स्लीप एप्निया को कॉम्प्लेक्स स्लीप एप्निया (Complex sleep apnea) भी कहा जाता है। यह एक तरह की ब्रीदिंग प्रॉब्लम होती है और यह ओबस्त्रक्तिव स्लीप एप्निया के इलाज के दौरान हो सकती है। हालाँकि अच्छी बात ये है कि यह परेशानी अपने आप ठीक भी हो सकती है ।
आइडिओपथिक सेंट्रल स्लीप एप्निया (Idiopathic Central Sleep Apnea)- आइडिओपथिक सेंट्रल स्लीप एप्निया के कारण साफ नहीं हैं।
इस आर्टिकल में आगे समझेंगे सेंट्रल स्लीप एप्निया के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं और इसका निदान क्या है।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
इन ऊपर बताये कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं, क्योंकि यह व्यक्ति के हेल्थ और मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है।
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सेंट्रल स्लीप एप्निया का निदान कैसे किया जाता है?
सेंट्रल स्लीप एप्निया का निदान पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री जानते हैं। इसके साथ ही स्लीप स्टडी के लिए ब्रीदिंग, सांस लेने के दौरान व्यक्ति को कितनी मेहनत करनी पड़ती है के अलावा हार्ट रेट, ऑक्सिजन लेवल, आई मूवमेंट एक्टिविटी एवं मसल्स एक्टिविटी समझते हैं। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। टेस्ट के दौरान डॉक्टर पेशेंट को 24 घंटे के लिए ऑब्जर्वेशन में भी रख सकते हैं।
सेंट्रल स्लीप एप्निया कई अन्य बीमारियों से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। इसलिए डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट जैसे ब्रेन स्कैन या इकोकार्डियोग्राम भी करवाने की सलाह दे सकते हैं।