1.ऑर्गैज्म (orgasm) के दौरान ज्यादा प्लेजर का होगा एहसास
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। जिससे यूटेरस (uterus) और वजायनल एरिया (vaginal area) बड़ा हो जाता है। जिससे सेंसेटिविटी ज्यादा होती है। यह अनुभव हर महिला के लिए अलग हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं के लिए यह अधिक आनंददायक होता है और ऐसे में ऑर्गैज्म तक पहुंचना भी आसान होता है।
2.ऑर्गैज्म के बाद क्रैम्प्स (cramps) अनुभव होना
ऐसा होना सामान्य है। ऐसा तब भी हो सकता है जब आप प्रेग्नेंट ना भी हो। इनको लेकर परेशान ना हो। यह लेबर पेन नहीं है और नाही इससे लेबर पेन शुरू होगा। क्रैम्प्स आराम करने के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं।
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3.पेट बहुत टाइट होने का एहसास
इससे भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसा सामान्य महिला को ऑर्गैज्म के दौरान भी एहसास हो सकता है। स्ट्रेच स्किन और बड़ी बेली के साथ चांसेज ज्यादा होते हैं कि आपको अधिक सेंसेशन महसूस हो।
4. हॉर्मोन्स (Hormones) का बढ़ना
प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी ऑक्सिटॉसिन (oxytocin) को रिलीज करती है। जिसे ‘हैप्पी हॉर्मोन’ कहा जाता है और ऑर्गैज्म के दौरान बॉडी ज्यादा मात्रा में ऑक्सिटॉसिन रिलीज करती है। जिससे आपको खुशी का एहसास होता है।
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थर्ड ट्राइमेस्टर (Third Trimester)
थर्ड ट्राइमेस्टर के दौरान ऑर्गैज्म तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इस दौरान बेबी यूटेरस के ज्यादातर हिस्से को कवर कर लेता है और मसल्स क्लाइमैक्स तक पहुंचने के लिए पूरी तरह से संकुचित नहीं हो पाती।
क्या प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म पाने के लिए मास्टरबेशन का सहारा लिया जा सकता है? (masturbation during pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान मास्टरबेशन पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है। जब तक डॉक्टर किसी विशेष कारण के चलते इसके लिए मना ना करे। मास्टरबेशन के लिए सेक्स टॉय का यूज करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर कसंल्ट करें। प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म का अनुभव पाने के लिए मास्टरबेशन का सहारा लेने से पहले हाइजीन का विशेष ध्यान रखें ताकि किसी प्रकार का सेक्शुअल इंफेक्शन बच्चे तक ना पहुंचे।
क्या प्रेग्नेंसी में ऑर्गैज्म से लेबर शुरू हो सकता है? (orgasm causing labor)
हम अक्सर इसके बारे में सुनते हैं। अगर आप इस मिथ पर भरोसा करते हैं तो प्रीटर्म (Preterm) के डर के चलते आप प्रेग्नेंसी के दौरान ऑर्गैज्म के बारे में सोचेंगे भी नहीं, लेकिन 2014 की एक स्टडी में इस बात का पता चल चुका है कि यह सिर्फ एक मिथ है। इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने प्रेग्नेंट महिलाओं को दो ग्रुप में डिवाइड किया। जिसमें से एक ग्रुप की महिलाओं ने हफ्ते में दो बार सेक्शुअल इंटरकोर्स किया और दूसरे ग्रुप की महिलाओं ने एक बार भी नहीं किया, लेकिन रिसर्चर्स ने लेबर को लेकर किसी प्रकार का अंतर दोनों में नहीं पाया। इसी तरह हम ऊपर भी बता चुके हैं कि सेक्स स्पॉन्टेनियस लेबर (Spontaneous labor) के रिस्क को नहीं बढ़ाता है।