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प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्थ चेकअप करवाना बहुत जरूरी है। लोगों की लाइफस्टाइल चेंज हो चुकी है। अधिकतर महिलाओं में ओबेसिटी,
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, फूड कॉज डिजीज पाया जाने लगा है। आहार में थोड़ी सी लापरवाही महिलाओं में कैंसर का एक बड़ा कारक बन जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स इतनी बढ़ गई है कि चेकअप ही एक रास्ता बचता है जिससे शिशु और मां दोनों को स्वस्थ रखा जा सके। पहली, दूसरी तिमाही प्रेग्नेंसी के चेकअप इस बारे में बेहतर जानकारी दे देते हैं। इससे इनके मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट के लिए कदम उठाया जा सके।
डॉ सौम्या सिंह (गाइनेकोलॉजिस्ट, सुशील तिवारी गवर्नमेंट हॉस्पिटल, हल्द्वानी, उत्तराखंड)“
दूसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं के कई प्रकार की टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्ट में अल्ट्रासाउंड, ब्लड-टेस्ट, यूरिन टेस्ट और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी किया जा सकता है। इसके अलावा क्वाड स्क्रीन टेस्ट कराया जाता है। इसे सेकंड ट्रिमस्टर स्क्रीन या क्वाड टेस्ट भी कहते हैं।
कुछ महिलाएं अपने शिशुओं के विकास में जटिलताओं के लिए टेस्ट करवाती हैं। एक महिला के स्वास्थ्य और चिकित्सा इतिहास के आधार पर अन्य परीक्षणों की सिफारिश की जा सकती है।
डॉ सौम्या कहती हैं कि अधिक उम्र में शादी के कारण भी ये चेकअप बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि लेट मैरिज से इनफर्टिलिटी की शिकायत बढ़ी है। चेकअप कराने से गर्भ में पल रहे शिशु की सही स्थिति का अंदाजा लगता है, जिससे यह समझना आसान हो जाता है कि प्रसव वजाइनल होना चाहिए या सिजेरियन।
प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरी तिमाही के चेकअप में क्या होता है?