हाइपरग्लाईसेमिया, या उच्च रक्त ग्लूकोज, तब होता है जब ब्लड में बहुत अधिक शुगर होता है। यह तब होता है जब आपके शरीर में बहुत कम इंसुलिन (वह हॉर्मोन जो रक्त में ग्लूकोज को ट्रांसपोर्ट करता है) होता है, या तब जब आपका शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। यह स्थिति अक्सर डायबिटीज से जुड़ी होती है। हाइपरग्लाईसेमिया उल्टी, अत्यधिक भूख और प्यास, तेजी से दिल की धड़कन, दृष्टि समस्याओं और अन्य लक्षण पैदा कर सकता है। अनुपचारित हाइपरग्लाईसेमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level)
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) के कनेक्शन को इस प्रकार समझें कि मॉडरेट एक्सरसाइज जैसे कि वॉकिंग और साइकलिंग ब्लड शुगर में कमी कर सकती हैं। वहीं रनिंग और फुटबॉल ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ाने का काम करती हैं। एनसीबीआई (NCBI) में छपी स्टडी के अनुसार लंबे समय से डायबिटीज का सामना कर रहे लोगों में एक्सरसाइज प्रोग्राम को शुरू करने से पहले डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और अगर कॉम्प्लिकेशन हों तो एक्सरसाइज को मॉडिफाय किया जाना चाहिए।
ये ना भूलें
जो एथलीट्स ओरल इंसुलिन या इंसुलिन इंजेक्शन का उपयोग करते हैं उनमें एक्सरसाइज इंड्यूस्ड हायपोग्लाइसेमिया का रिस्क होता है। ऐसा एक्सरसाइज के तुरंत बाद या कुछ समय बाद हो सकता है। इंसुलिन पर निर्भर एथलीट्स को एक्सरसाइज के पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना चाहिए। साथ ही यह भी जरूरी है कि उन्हें हायपोग्लाइसेमिया के लक्षणों के बारे में पता हो और उनके पास तेजी से अवशोषित होने वाला ग्लूकोज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। इंसुलिन डिपेंडेट एथलीट्स को स्पोर्ट के पहले और बाद में कार्बोहायड्रेट युक्त फूड्स या सप्लिमेंट्स का सेवन करना चाहिए। खासकर अगर वह स्पोर्ट एक घंटे से ज्यादा चलने वाला है। आपका ब्लड शुगर लेवल स्पोर्ट के प्रति कैसे रिस्पॉन्स करता है इसके प्रति अवेयर होना जरूरी है।
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स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) : परफॉर्मेंस को कर सकता है प्रभावित