हायपोग्लाइसेमिया (Hyperglycemia)
लो ब्लड ग्लूकोज लेवल (Low Blood Glucose Level) यानी हायपोग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) भी ब्रेन में महत्वपूर्ण केमिकल लेवल को प्रभावित कर सकता है जैसे एसिटिलकोलाइन (Acetylcholine) और ग्लूटामेट (Glutamate)। एसिटाइलकोलाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जिसे मस्तिष्क के भीतर नर्व सेल्स के बीच सिग्नल्स को ट्रांसमिट करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इन सिग्नल्स को साइकोलॉजिकल और फिजिकल फंक्शंस को कंट्रोल करते हैं जैसे हार्ट रेट (Heart Rate), ब्रीदिंग (Breathing) और मस्कुलर मूवमेंट (Muscular Movement) आदि।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित कुछ लोगों का दिमाग कुछ समय के बाद लो ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) के प्रति रिस्पांस देना बंद कर देते हैं। ऐसे में हाइपोग्लाइसीमिया के बारे में जागरूकता एक महत्वपूर्ण प्रोटेक्टिव मैकेनिज्म है, जो आपको ज़ल्द मैनेजमेंट स्टेप्स उठाने के लिए सचेत करता है। अब जानते हैं कि हाय ब्लड शुगर बच्चों के ब्रेन को कैसे प्रभावित कर सकती है ?
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टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ: हाय ब्लड शुगर बच्चों के ब्रेन को कैसे प्रभावित कर सकती है?
यह बात तो आप जानते ही हैं कि बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की संभावना अधिक होती है। एक शोध के मुताबिक हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) बच्चों के ब्रेन की ग्रोथ को स्लो कर सकती है और ऐसे में बच्चों के ब्रेन का विकास उस तरह से नहीं हो पाता है जैसे होना चाहिए। ब्रेन स्कैन से डायबिटीज और बिना डायबिटीज वाले बच्चों के ब्रेन में अंतर का पता चल सकता है। लेकिन, अभी भी शोधकर्ता उनके मूड (Mood), बिहेवियर (Behavior), लर्निंग (Learning) और मेमोरी स्किल्स (Memory Skills) और आईक्यू (IQ) में कोई बड़ा अंतर नहीं जान पाए हैं।
इसके साथ ही इस बारे में भी जानकारी नहीं है कि यह समस्या उनके मसल मूवमेंट (Muscle Movement) को प्रभावित कर सकती है या नहीं। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। लेकिन, जिन वयस्कों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की समस्या लम्बे समय से हैं, उनके फिजिकल और मेंटल रिएक्शंस धीमे हो सकते हैं। हालांकि इस का प्रभाव पीड़ित व्यक्ति के लर्निंग (Learning) और थिंकिंग स्किल्स (Thinking Skills) पर नहीं पड़ता है। लेकिन, उनकी मेमोरी और अटेंशन स्पेन (Attention span) प्रभावित हो सकता है।
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डायबिटीज का अन्य ब्रेन डिसऑडर्स के साथ लिंक (Diabetes and Other Brain Disorders)
टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में सही जानकारी बेहद जरूरी है। रिसर्च के अनुसार डायबिटीज और दिमाग के अन्य रोगों जैसे अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) और डिमेंशिया (Dementia) के बीच में लिंक बेहद वास्तविक हैं। एक स्टडी के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को डिमेंशिया (Dementia) से जोड़ा जा सकता है। यही नहीं टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से पीड़ित लोगों में भी कॉग्निटिव डिक्लाइन (Cognitive decline) की समस्या पाई गयी है। यह भी पाया गया है कि डायबिटीज के रोगियों को अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) हो सकती है।
अगर डायबिटीज को सही से कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो उससे ब्रेन पर स्ट्रेस पड़ सकता है। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में अभी और भी शोध और स्टडी की जानी जरुरी है। डायबिटीज से मस्तिष्क को नुकसान उसी तरह होता है, जैसे यह अन्य सभी अंगों को प्रभावित करती है। यही नहीं ग्लूकोज के बढ़ने से कुछ खास टिश्यूज को भी नुकसान होता है। हालांकि, इसके जोखिमों को कम करने के भी कई तरीके हैं। डायबिटीज को कंट्रोल करके आप ब्रेन हेल्थ (Brain Health) को सुधार सकते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ को मैनेज कैसे करें? (How to manage Type 1 Diabetes and Brain Health)