इस विषय में मूल बातें
डिमेंशिया (Dementia) एक ऐसी स्थिति है जिसे कई मानसिक विकार को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि भूलने की बीमारी। यह कई मानसिक व मनोदशा संबंधित विकारों का लक्षण होती है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
डिमेंशिया (Dementia) एक ऐसी स्थिति है जिसे कई मानसिक विकार को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि भूलने की बीमारी। यह कई मानसिक व मनोदशा संबंधित विकारों का लक्षण होती है।
डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं होती है बल्कि इसे कई समस्याओं जैसे याददाश्त, सोचने की शक्ति बोलने की क्षमता आदि के प्रभावित होने की स्थिति को माना जाता है, लेकिन हमेशा ही याद्दाश्त कम होने का मतलब यह नहीं है कि हमें डिमेंशिया है, क्योंकि इसके होने के और भी कई कारण हो सकते हैं।
डिमेंशिया भले ही उम्र के साथ विकसित होता हो, लेकिन इसे बढ़ती उम्र का सामान्य चरण नहीं माना जाता है। अध्ययनों के अनुसरण 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में इसके होने का सबसे अधिक जोखिम होता है।
65 वर्ष की उम्र वाले हर 10 वे व्यक्ति को डिमेंशिया की शिकायत होती है। यह आंकड़े 85 वर्ष की उम्र तक और भी अधिक बढ़ जाते हैं।
डिमेंशिया के लगभग 60 से 80 प्रतिशत मामलों अल्जाइमर के होते हैं। इस लेख में आज हम आपको बताएंगे की डिमेंशिया क्या होता है और इसकी पहचान कैसे करें व इसका इलाज क्या है।
विश्वभर में कुल 4 करोड़ 75 लाख लोग डिमेंशिया का शिकार हैं। हर 4 सेकंड में डिमेंशिया का एक नया केस सामने आता है।
डिमेंशिया ज्यादातर 65 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। इसके होने वाले लक्षणों को कम करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन, ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से बात करें।
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डिमेंशिया से ग्रस्त मरीज को निम्न प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि याददाश्त से जुड़े कुछ मामलों में मरीज को खुद इस बात का पता नहीं चल पाता है कि वह डिमेंशिया से ग्रस्त है।
ऐसे में परिवार के सदस्यों व व्यक्ति का ध्यान रखने वाले लोगों को इन लक्षणों की पहचान करनी होती है ताकि मरीज को सही समय पर इलाज मुहैया करवाया जा सके।
डिमेंशिया के साधारण लक्षण हैं :
हो सकता है ऊपर दी गई लिस्ट में कुछ लक्षणों को नहीं लिखा गया हो। अगर आपको लक्षणों के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी लेनी हो तो, अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको ऊपर दी गई लिस्ट के अनुसार कोई भी लक्षण दिखाई दें या फिर आपको याद्दाश्त से जुड़ी हुई कोई भी समस्या हो, तो अपने डॉक्टर से मिलें। हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग तरीके से काम करता है। इसलिए, अपनी परेशानी के अनुसार डॉक्टर से बात करना हमेशा अच्छा होता है।
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ज्यादातर मामलों में डिमेंशिया समय के साथ बत्तर होता जाता है। डिमेंशिया सभी व्यक्तियों को अलग तरह से प्रभावित करता है। हालांकि, लोग निम्न चरणों के मुताबिक लक्षणों का अनुभव करते हैं –
हल्की संज्ञानात्मक कमी
बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों को हल्की संज्ञानात्मक कमी (Mild cognitive impairment) का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इसके सभी मामलों में व्यक्ति डिमेंशिया का शिकार नहीं होते हैं। हल्की संज्ञानात्मक कमी होने पर व्यक्ति भूलने, शब्दों को याद रखने और शार्ट टर्म मेमोरी लॉस का अनुभव करते हैं।
हल्का डिमेंशिया
हल्के डिमेंशिया वाले चरण के लोगों को रोजाना के कार्य में समस्या आने लगती है। इस स्थिति में कई बार व्यक्ति को हल्की मध्यम संज्ञानात्मक कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं –
मध्यम डिमेंशिया
रोजाना के कार्य पूरे करने में मुश्किलें आना और किसी की मदद की आवश्यकता पड़ना। इसके लक्षण हल्के डिमेंशिया जैसे ही होते हैं लेकिन थोड़े अधिक तीव्र। इस स्थिति में भी व्यक्ति में व्यवहारिक बदलाव आने लगते हैं और व्यक्ति उम्र के साथ बिना किसी कारण संदेहजनक होने लगता है।
इस चरण में व्यक्ति को तैयार होने, बाल बनाने और कपड़े पहनने तक में मदद की जरूरत होती है। इसके सामान्य लक्षण में शामिल हैं –
गंभीर डिमेंशिया
इस स्टेज पर स्थिति पहले से भी अधिक गंभीर हो जाती है। व्यक्ति लोगों से बातचीत करने की क्षमता खो देते हैं और साथ ही उन्हें पूरे समय किसी की मदद की आवश्यकता रहती है।
इस चरण में व्यक्ति को उठने बैठने के लिए किसी अन्य का सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा गंभीर डिमेंशिया के दौरान व्यक्ति अपना पेशाब कंट्रोल करने की क्षमता को भी खो देता है।
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डिमेंशिया एक ऐसा रोग है जिसके कई चरणों के साथ कई प्रकार भी होते हैं। यह प्रकार की व्यक्ति की स्थिति और उम्र पर निर्भर करते हैं। डिमेंशिया के प्रकार में निम्न शामिल हैं –
डिमेंशिया के 60 से 80 प्रतिशत मामलें अल्जाइमर रोग के होते हैं। इससे ग्रस्त होने पर व्यक्ति 8 से 20 साल तक जिंदा रह सकता है।
इनके अलावा भी डिमेंशिया के कई अन्य प्रकार होते हैं, लेकिन उनके होने की आशंका 10 लाख में केवल 1 व्यक्ति को होने की होती है। डिमेंशिया के अन्य प्रकार के बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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डैमज ब्रेन सेल की वजह से डिमेंशिया होता है। यह ब्रेन सेल्स को एक-दूसरे से तालमेल बनाने में रुकावट डालता है, जिसके कारण हमारा स्वभाव और हमारी सोच प्रभावित होने लगती है।
डिमेंशिया में ज्यादातर डैमेज स्थायी होते हैं और समय के साथ-साथ यह और बिगड़ने लगता है। डिमेंशिया के नीचे बताए गए कारण हो सकते हैं। ऐसे में अगर इन समस्याओं में सुधार किया जाए, तो काफी हद तक डिमेंशिया से राहत पाई जा सकती है, जैसे :
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कारण जिन्हें हम बदल नहीं सकते –
कारण जिन्हें हम बदल सकते हैं –
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यहां जो जानकारी दी गई है, वह किसी डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है, ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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डिमेंशिया नीचे बताई गई मैडिकेशन और थैरेपी से ठीक किया जा सकता है :
मेडिकेशन
बिना दवाई इलाज के तरीके
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शोधकर्ताओं और डॉक्टर के वर्षों की अध्ययनों के मुताबिक डिमेंशिया को न तो ठीक किया जा सकता है और न ही इसका कोई रोकथाम है। हालांकि, 2017 में आई एक नई रिसर्च के अनुसार डिमेंशिया के 1/3 मामलों में सही देखभाल और परहेज की मदद से डिमेंशिया का इलाज किया जा सकता है।
फिलहाल इस विषय पर अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है, लेकिन फिर भी निम्न बातों का ध्यान रखने से डिमेंशिया का रोकथाम मुमकिन हो सकता है –
ध्यान रखें की इस बीमारी को रोकने का कोई भी उपाय मेडिकली अप्रूव नहीं किया गया है।
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नीचे बताई गई जीवनशैली और घरेलू उपाय डिमेंशिया के मरीज को जीवन आसान करने में मदद कर सकते हैं :
बातचीत : बात करते समय हमें सामने वाले के साथ नजर मिलाकर बात करनी चाहिए और धीरे-धीरे बोलना चाहिए। अपनी बातें समझाने के लिए आप कुछ साधारण इशारों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
व्यायाम : व्यायाम और पौष्टिक खाना यह दोनों आपको और आपके पूरे स्वास्थ्य को सुधारने में काम करेगा और दिमाग को भी सुरक्षित रखेगा।
संतुलित जीवनशैली : अपनी दैनिक गतिविधियों के अलावा, नाचना, पेंटिंग करना, खाना बनाना, गाना और कुछ भी जिसे आप पसंद करें, वो सब करना चाहिए।
भरपूर नींद लें : कैफीन को कम करना चाहिए। इसके अलावा, दिन में सात से आठ घंटे की नींद लें।
कैलैंडर रखना : यह आपको आने वाले इवेंट्स को याद रखने में मदद मिलेगी साथ ही आपको अपना रुटीन और दवा लेना का समय भी याद रहेगा।
अगर आप किसी प्रकार के भी सवाल का जवाब पाना चाहते हैं तो, अपने डॉक्टर की सलाह लें, ताकि आप अपनी समस्या के अनुसार पूरी तरह से सही इलाज पा सकें।
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