के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
कैफीन एक कैमिकल है, जो कि चाय, कॉफी, कोला आदि उत्पादों में पाया जाता है। यह आमतौर पर दिमागी सक्रियता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए कैफीन के फायदे भी होते हैं।
यह दर्द निवारक दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। कैफीन एक साइकोएक्टिव (Psychoactive) कैमिकल है, जो सीधा दिमाग को टारगेट करके मूड और व्यवहार पर सीधा असर करता है। वैसे कैफीन के फायदे के साथ-साथ इसके नुकसान भी हो सकते हैं, अगर इसका ज्यादा सेवन किया गया तो।
साल 2019 में किए शोध में पाया कि यदि कोई प्रतिदिन 173 मिलिग्राम कैफीन का सेवन करता है, तो यह मात्रा सीमित है। कई शोध यह भी बताते हैं कि नियमित मात्रा में कैफीन के सेवन से कई हेल्थ बेनिफिट मिलते हैं। दिमाग संबंधी बीमारी, लिवर की बीमारी के साथ कई प्रकार के कैंसर की बीमारी होने की संभावना भी कम हो जाती है।
वहीं, इसका ज्यादा सेवन करने के साथ सेहत पर कई विपरीत असर भी पड़ सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में कैफीन के असर के साथ उसके फायदे और नुकसान के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
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आमतौर पर कैफीन का इस्तेमाल निम्न स्थितियों में किया जाता है। जैसे-
कैफीन साइट्रेट सिर्फ डॉक्टरी पर्चे पर इंजेक्शन के रूप में मिल सकता है। इसका इस्तेमाल शॉर्ट टर्म ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है, जैसे- नवजात को एपनिया (सांस लेने की समस्या)।
शक्ति बढ़ाने के लिए- कैफीन के असर की बात करें, तो कॉफी में उत्तेजक पदार्थ होता है। जिसे कैफीन कहा जाता है। यह प्राकृतिक तौर पर करीब 60 प्रकार के प्लांट से निकलता है। उन पौधों में कॉफी बीन्स, चाय पत्ती, कैकाओ बीज (cacao seeds) और कोला नट सीड्स शामिल हैं। इसका सेवन करते ही यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर सीधे असर डालता है।
यह थकान मिटाने के साथ उसको एकाग्र करने में भी मदद करता है। कॉफी के अलावा लोग कैफीन का सेवन चाय, सॉफ्ट ड्रिंक, कुछ खास एनर्जी ड्रिंक और चॉकलेट के रूप कर करते हैं। वहीं कई प्रकार की दवा में भी कैफीन का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे सर्दी, एलर्जी और दर्द निवारक दवा का सेवन करने पर भी आप कैफीन की मात्रा ले लेते हैं। कैफीन के फायदे से जुड़े अन्य जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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आप डॉक्टर के निर्देशानुसार कैफीन ले सकते हैं। अगर आप बिना डॉक्टरी सलाह के कैफीन ले रहे हैं, तो ध्यान से बोतल के लेबल पर दी हुई जानकारी को पढ़ें। जैसे- डोज की मात्रा और इस्तेमाल आदि।
यह खाने या बिना खाने के साथ लिया जा सकता है। अगर, कैफीन लेने के बाद आपका पेट खराब हो जाता है, तो अच्छा होगा कि आप इसे खाने के साथ ही लें।
इसका सेवन कैसे किया जाए, इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
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कैफीन को असरदार बनाए रखने के लिए रोशनी और नमी से दूर रूम टेंपरेचर में रखना ही सबसे ज्यादा बेहतर रहता है। भूल कर भी इसे बाथरूम या फ्रीजर में न रखें।
बाजार में कैफीन के अलग-अलग ब्रांड हो सकते हैं, जिनको अलग तरीके और तापमान में स्टोर करने की जरूरत हो सकती है। स्टोर करने से पहले प्रॉडक्ट पैकेज पर दिए दिशा-निर्देशों की बारीकी से जांच करें या मेडिकल वाले से जानकारी लें। सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों और पालतू जानवरों को दवा से दूर रखें।
इसे टॉयलेट में फ्लश न करें और न ही नाली में बहाएं। इसलिए, जब यह एक्सपायर हो जाए, तो इसे उचित तरह से फेंकें। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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कैफीन प्राकृतिक रूप से विशेष प्रकार के पौधों के बीजों, नट्स या पत्तियों में पाया जाता है। इन प्राकृतिक स्रोत्त की फसल को काटा जाता है और उसके बाद कैफीन युक्त आहार और पेय पदार्थ बनाने के लिए इसे प्रोसेस किया जाता है।
निम्न ऐसे पेय पदार्थ हैं, जो बेहद लोकप्रिय माने जाते हैं। उनमें प्रति 30 ग्राम/ 250 मिलीटर में इतना कैफीन होता है –
कुछ आहार में भी कैफीन होता है। जैसे की 28 ग्राम चॉकलेट मिल्क में 1-15 एमजी कैफीन होता है, वहीं 28 ग्राम डार्क चॉकलेट में 5-35 एमजी कैफीन होता है।
आपको कई ओटीसी दवाओं में भी कैफीन की मात्रा मिल सकती है। इसकी जानकारी के लिए दवा के लेबल पर पढ़ें। ऐसा आमतौर पर सर्दी-जुकाम, एलर्जी और दर्द निवारक दवाओं में होता है। इसके अलावा यह वजन कम करने वाले सप्लिमेंट्स में भी पाया जाता है।
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कॉफी में जहां कुछ न्यूट्रिएंट्स हैं, वहीं इसमें कई एंडीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। कॉफी बीन्स में कई न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। 240 एमएल की कॉफी में पाए जाने वाले तत्व:
देखा जाए तो यह नंबर ज्यादा नहीं दिखता, लेकिन यदि कोई व्यक्ति रोजाना ज्यादा मात्रा में कॉफी का सेवन करता है, तो इस मात्रा में भी इजाफा होता है।
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कैफीन कई प्रकार से हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, जैसे कि –
लिवर की सुरक्षा – कॉफी लिवर के खराब होने की स्थिति सिरोसिस को 84 प्रतिशत तक कम कर देती है। यह रोग की प्रगति को धीमा बनाती है, इलाज की प्रक्रिया में तेजी लाती है और असामयिक मृत्यु के खतरे को कम करती है।
लंबा जीवन – कॉफी का सेवन करने से अचानक मृत्यु होने की आशंका महिलाओं में 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। वहीं डायबिटीज से ग्रस्त पुरुषों में भी मृत्यु होने का खतरा कम हो जाता है।
त्वचा की देखभाल – प्रतिदिन 4 या उससे ज्यादा कैफीन युक्त कॉफी के कप पीने से स्किन कैंसर होने का जोखिम 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
गठिया का रोकथाम – रोजाना 4 कप कॉफी पीने से पुरुषों में गाउट होने की आशंका 40 प्रतिशत और महिलाओं में 57 प्रतिशत कम हो सकती है।
आंतों को रखे स्वस्थ – 3 हफ्तों तक लगातार प्रतिदिन 3 कप कॉफी पीने से फायदेमंद गट बैक्टीरिया का स्तर बढ़ता है और आंतों के स्वास्थ्य में सुधार आता है।
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कैफीन के फायदे कई हैं। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा अभी भी बहुत से लाभों पर शोध चल रहा है। यहां बताए गए लाभों का फायदा उठाने से पहले अपने डॉक्टर का परामर्श जरूर लें।
36 प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि कैफीन की मात्रा के हिसाब से किसी के ध्यान और सतर्कता का स्तर बदल सकता है। इस अध्ययन में जब उन प्रतिभागियों को कैफीन प्रॉडक्ट्स पिलाए गए, जो पहले कभी कैफीन नहीं लेते थे। तो उनके दिमाग के कार्यों में अधिक वृद्धि हुई। यह शोध इस बात को दर्शाता है कि कैफीन के सेवन से एकाग्रता को बढ़ावा मिलता है।
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रनिंग स्प्रिंट, स्विमिंग स्प्रिंट या जंपिंग जैसी एनारोबिक एक्सरसाइज करने वालों के लिए कैफीन बहुत ही मददगार होती है। 16 प्रशिक्षित युवा पुरुषों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात पता चली कि इसका सही मात्रा में सेवन करने से उनके ऊपरी और निचले शरीर की मांसपेशियों की ताकत में सुधार आया। इसके उपयोग से शरीर में थकान-विरोधी तत्व घटते हैं और शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
कैफीन को सही मात्रा में लेना फैट बर्न के लिए बहुत मददगार साबित होता है। यह आपके शरीर की एनर्जी का उपयोग मेटाबॉलिज्म को सुधारने में लगा देता है, जिससे बढ़ते वजन को रोकने में मदद मिलती है।
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आंकड़ों के अनुसार कुछ लोगों के लिए, 200से 250 मिली ग्राम कैफीन उनके मूड में विशिष्ट समय तक सुधार ला सकता है। एक बड़े ही रोचक अध्ययन में, जिसमें 43,599 पुरुष और 164,825 महिलाएं थी, यह बात सामने आयी कि कैफीनयुक्त कॉफी का सेवन करने वाले लोगों में आत्महत्या का दर कम था।
कैफीन मस्तिष्क में एडेनोसाइन रिसेप्टर्स को प्रभावित करता है। कॉफी में पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं, और ये भी विभिन्न मार्गों पर कार्य करते हैं, जिससे मेमोरी तेज होने में मदद मिलती है।
1,400 लोगों के लंबे रिसर्च में, मिडलाइफ में प्रति दिन 3 से 5 कप कॉफी पीने से बुजुर्गों के जीवन के दौरान डिमेंशिया या अल्जाइमर की परेशानी में 65% की कमी हो सकती है। एक एनालिसिस में पता चला है कि कॉफी का ब्रेन फंक्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मध्यम कैफीनयुक्त कॉफी का उपभोग (लगभग 4कप) करने से डिमेंशिया और अल्जाइमर के बाद के जीवन में परेशानी को कम देखा गया। हालांकि, कैफीनयुक्त चाय का डिमेंशिया या अल्जाइमर के जोखिम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
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अवसाद एक गंभीर मानसिक विकार है जो जीवन की गुणवत्ता को काफी कम कर देता है। यह बहुत आम है, क्योंकि अमेरिका में लगभग 4:1% लोग वर्तमान में क्लिनिकल डिप्रेशन के नॉर्म्स को पूरा करते हैं। 2011 में प्रकाशित हार्वर्ड के एक अध्ययन में, जो महिलाएं प्रतिदिन 4 या अधिक कप कॉफी पीती थीं, उनके डिप्रेशन ग्रस्त होने का 20% कम जोखिम था।
जब बात एक्सरसाइज की हो, तो कैफीन को ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जाता है। यह मांसपेशियों में संग्रहित ग्लूकोज को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है, जिससे मांसपेशियों को थकावट तक पहुंचने में लगने वाले समय में देरी होती है। कैफीन मांसपेशियों के संकुचन में सुधार भी करने में मददगार है।
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कैफीन लेने से पहले कैफीन के फायदे और नुकसान दोनों को समझें। अपने डॉक्टर को बताएं अगर आपको निम्नलिखित परेशानी होती है तो, क्योंकि कैफीन के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हो सकते हैं –
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अभी इस बारे में पर्याप्त अध्ययन नहीं हुआ है कि गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान इसे लेने से किस प्रकार का जोखिम हो सकता है। सामान्य लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी कैफीन के फायदे और नुकसान को समझना चाहिए।
इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से, इसके फायदे और जोखिम के विषय मे बात करें।
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिस्ट्रेशन ने प्रेगनेंसी के दौरान कैफीन के सेवन को रिस्क कैटेगरी “सी” में रखा है।
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कैफीन के असर की बात करें, तो बच्चों व किशोरावस्था की तुलना में युवाओं में कैफीन के असर विषय पर काफी कम शोध किए गए हैं। पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ प्रोफेशन की बफेल्लो स्कूल की यूनिवर्सिटी के द्वारा किए शोध में युवावस्था के बाद पुरुषों और महिलाओं के शरीर में कैफीन के कारण अलग-अलग बदलाव देखने को मिले।
कैफीन के असर की बात करें तो जैसा कि हम जानते हैं कि जहां कैफीन बच्चों, किशोरों और युवाओं में ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, वहीं हार्ट रेट को भी कम कर सकता है। रिसर्चर्स कैफीन के असर को लेकर इस बात की जानकारी जुटाने में लगे हैं कि युवावस्था के बाद पुरुषों और महिलाओं में क्या कुछ अंतर आता है। वहीं कैफीन के कारण कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के साथ महिलाओं के मासिक धर्म को तो प्रभावित नहीं करता, इसकी जानकारी जानने की कोशिश की जा रही है।
टीम के द्वारा इससे पहले किशोरों पर किए रिसर्च में यह बात सामने आई कि कैफीन के कारण उनमें साइकोलॉजिकल असर देखने को मिलता है। शोध में पता चला किया 12-17 साल के लड़कों में लड़कियों की तुलना में कैफीन के सेवन करने के कारण ज्यादा एनर्जी दिखी। वहीं शारीरिक रूप पर तंदरूस्त भी दिखे। शोध में यह भी पता चला कि लड़कों में जैसे-जैसे कैफीन का लेवल बढ़ता है, उसके अनुसार ही उनका ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और हार्ट रेट में गिरावट आती है, लेकिन ऐसा लड़कियों में देखने को नहीं मिला।
डोज रिस्पॉन्स स्टडी के अनुसार रिसर्चर्स ने इस बात का पता लगाने के लिए 15 से 17 साल के 54 लड़कों और 47 लड़कियों पर शोध किया। इनमें आठ से नौ साल के 52 बच्चे भी थे। कैफीन के दो डोज देने के बाद बच्चों के हॉर्ट रेट और ब्लड प्रेशर की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने लड़कों में लड़कियों की तुलना में काफी अलग रिस्पांस महसूस किया। कैफीन के असर को लेकर असमानता किशोरावस्था की उम्र के बच्चों में ज्यादा देखने को मिली।
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शोध में यह भी पता चला कि कैफीन के कारण लड़कियों में मासिक धर्म पर भी असर पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ बफैल्लो के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सरसाइज एंड न्यूट्रिशन साइंसेस की एसोसिएट प्रोफेसर जेनिफर टेंपल ने कहा- “शोध के जरिए हम कैफीन के भौतिक परिणामों को देख रहे थे। मासिक धर्म के दौरान हार्मोन में बदलाव देखने को मिला। वहीं साइकिल के पहले दिन से लेकर ऑव्युलेशन तक असर देखा गया कि पिछले बार की तुलना में प्रोस्टेजन की अधिक मात्रा थी।”
डॉ टेंपल के अनुसार मासिक धर्म में लड़कियों के हार्ट रेट में जहां कमी आई, वहीं उनके ब्लड प्रेशर में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। यह तमाम रिजल्ट वयस्क किशोरियों में देखने को मिले। कुल मिलाकर कहा जाए, तो शोध में यही पता चला कि किशोरावस्था में ही कैफीन का असर देखने को मिलता है।
हम आशा करते हैं कि कैफीन के असर पर लिखा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा और आप रूटीन में इसकी मात्रा का सही निर्धारण कर सकेंगे। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें।
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तुरंत इमरजेंसी हेल्प लाइन नंबर पे फोन करें, यदि आपको कोई गंभीर एलर्जी रिएक्शन हैं। कैफीन के फायदे समझने के बाद इसके नकारात्मक प्रभाव की भी समझें।
ये होने वाले साइड इफेक्ट की पूरी लिस्ट नहीं है। इसलिए यह हमेशा ध्यान रखें कैफीन के फायदे के साथ-साथ इसके साइड इफेक्ट के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
2013 में किए शोध के अनुसार यदि कोई गर्भवती रोजाना 300 एमजी कैफीन का सेवन करती है तो उस स्थिति में यह संभव है कि उसके शिशु का वजन जन्म के समय सामान्य से काफी कम हो। वहीं हालिया दिनों में किए गए 17 शोध जिनमें करीब 2 लाख 33 हजार 617 लोग शामिल थे। इससे पता चला कि यदि कोई रोजाना तीन से चार कप कॉपी का सेवन करता है तो महिलाओं को छोड़ पुरुषों में हार्ट अटैक की संभावना काफी बढ़ जाती है।
हर किसी में इस प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई देते, ये दूसरे प्रकार के भी हो सकते हैं। अगर आपके मन मे साइड इफेक्ट को लेकर कोई चिंता या शंका है, तो अपने हेल्थ एक्सपर्ट या डॉक्टर से सपर्क करें।
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कैफीन का गलत प्रकार से सेवन या ज्यादा मात्रा में सेवन करने से व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव के साथ मानसिक तौर पर बदलाव दिख सकते हैं। बता दें कि व्यक्ति पहले की तुलना में या तो ज्यादा गुस्सा करता है या फिर ज्यादा शांत रहता है। सीमित मात्रा में यदि इसका सेवन करने तो व्यवहारिक रहने के साथ हर वक्त शक्ति से भरपूर व अलर्ट महसूस कर सकते है।
इसके विपरीत कुछ लोगों में कैफीन के सेवन से दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। वहीं कैफीन के सेवन की दर घटाने या फिर कम कैफीन का सेवन करने पर भी कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं। व्यक्ति को सिर दर्द, थकान, नींद न आना, लो मूड, एकाग्रता क्षमता कम होना, चिड़चिड़ापन, एनर्जी व अलर्टनेस का कम होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। वहीं कई डॉक्टर छोटे बच्चों को कैफीन का सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि इससे बच्चों का मानसिक विकास सही से नहीं हो पाता है।
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कैफीन अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्ट कर सकती हैं, जो आप वर्तमान में ले रहे हैं। ये आपकी दवा के काम करने के तरीके में विपरीत असर डाल सकती है या गंभीर साइड इफेक्ट की स्थिति पैदा कर सकती हैं।
ऐसी किसी भी दवा से बचने के लिए जो कैफीन के साथ इंटरेक्ट कर सकती हैं, आपको सभी दवाओं की लिस्ट बनानी चाहिए, जो आप वर्तमान समय मे ले रहे हैं।
सभी डॉक्टरी पर्चे वाली दवाओं और गैर-पर्चे वाली दवाओं समेत सभी हर्बल उत्पादों के बारे में डॉक्टर और फार्मासिस्ट को सूचित करें। सुरक्षा के दृष्टि से बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा की खुराक को खुद से न ही शुरू करें न रोकें और न ही बदलें।
किनोलोन (QUINOLONES) (उदाहरण के लिए, सिप्रोफ्लोक्सासिन)
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डायबिटीज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं में ग्लिमेपीराइड (एमरील), ग्लाइबुराइड (डायबेटा, ग्लीनेज प्रेसटैब, माइक्रोनेज़), इंसुलिन, पियोग्लिटाजोन (एक्टोस), रोसिगैलेजोन (अवांडिया), क्लोरप्रोपामाइड (डायबिनीज), ग्लिपिजाइड (ग्लूकोटरोल) (ग्लूकोल), शामिल हैं।
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ये संभव है कि कुछ खाने पीने की चीजें या शराब के साथ कैफीन लेने से भी साइड इफेक्ट का खतरा बढ़ जाए। कैफीन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को अपने खानपान के विषय मे बताएं।
यह आपकी हेल्थ कंडीशंस पर बुरा प्रभाव डाल सकता है या दवाओं के काम करने के तरीके में भारी बदलाव ला सकता है। अपने डॉक्टर और फार्मासिस्ट से इन सभी मेडिकल स्थितियों के बारे में बताएं, जिनसे आप जूझ रहे हैं। इसलिए कैफीन के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हो सकते हैं। जैसे :
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दी गई जानकारी को मेडिकल एडवाइस के रूप में न समझे। कैफीन का डोज लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या फार्मसिस्ट से सलाह लें।
कैफीन के फायदे के लिए इसकी खुराक समझना जरूरी है। जैसे-
लोडिंग डोज : चार घंटे के अंदर 2 मिलीलीटर/किग्रा नसों में दिया जाता है। अगर मरीज पर रिएक्शन नहीं हुआ है, तो चार घंटे के बाद, दूसरी लोडिंग खुराक दी जा सकती है। अगर दूसरी लोडिंग खुराक के बाद भी कोई रिएक्शन नहीं है, तो ब्लड में इसके स्तर को मापा जा सकता है।
मेंटेनेंस डोज : लोडिंग डोज के बाद शुरुआती 24 घंटो में 0.5-1एमएल/ किग्रा, नसों के जरिए दिया जा सकता है। कुछ मामलों में, मेंटेनेंस डोज 10 mg/kg प्रतिदिन (कैफीन साइट्रेट के रूप में) से ज्यादा खुराक हो सकती है।
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कैफीन के फायदे के लिए बच्चों में इसके खुराक को समझें। बच्चों में कैफीन के फायदे हों इसलिए इसके खुराक निम्नलिखित हैं ,
लोडिंग डोज : चार घंटे के अंदर दो मिलीलीटर/किग्रा [2ml/kg IV OVER 30 MIN OR ORAL] नसों में दिया जाता है। अगर मरीज की प्रतिक्रिया नहीं हुई है, तो चार घंटे के बाद, दूसरी लोडिंग खुराक दी जा सकती है। अगर दूसरी लोडिंग खुराक के बाद भी कोई रिएक्शन नहीं है, तो ब्लड में इसके स्तर को मापा जाना चाहिए।
मेंटेनेंस डोज: लोडिंग डोज के बाद शुरुआती 24 घंटों में 0.5-1एमएल/किग्रा नसों के जरिए इसे दिया जा सकता है। कुछ मामलों में, मेंटेनेंस डोज 10 mg/kg प्रतिदिन कैफीन (साइट्रेट के रूप में ) से ज्यादा खुराक हो सकती है।
उपचार तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक कि बच्चा 37 सप्ताह की गर्भकालीन आयु तक नहीं पहुंच जाता है। ऐसे में जन्मजात बीमारी का एपनिया (जन्म के दौरान सांस रुक जाने की बीमारी) आमतौर पर हल हो जाती है।
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इमरजेंसी या ओवरडोज की स्थिति में आपातकालीन सेवाओं को सूचित करें या किसी हॉस्पिटल या ट्रामा सेंटर में एडमिट हो जाएं।
कैफीन की एक खुराक लेना आप भूल गए हैं, तो इसे समय रहते ले लीजिए। वहीं, अगर दूसरी खुराक का समय हो गया हो, तो पहली खुराक को स्किप कर दूसरी खुराक ले लीजिए। फिर आगे नियमित रूप से खुराक लेते रहिए।
लेकिन कैफीन की उचित खुराक के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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यह नीचे बताई गई खुराक के रूप में उपलब्ध है –
सॉल्युशन 10 मिलीग्राम/डीएल इंजेक्शन के लिए
कैफीन के फायदे के साथ-साथ इसके नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए इसके सेवन से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar