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भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में घुटने के दर्द की समस्या से ज्यादातर सीनियर सिटीजन परेशान रहते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार घुटने में दर्द की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की घुटनों में दर्द की समस्या 60 साल से ज्यादा उम्र होने पर यह शारीरिक परेशानी शुरू हो जाती है। घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज भी संभव है। घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज में थोड़ा वक्त ज्यादा लग सकता है। घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज से पहले हमें पता होना चाहिए कि घुटनों में दर्द के लक्षण क्या हैं? घुटनों में दर्द के कारण क्या हैं?
घुटने में दर्द के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे:-
इन ऊपर बताये गये लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज समझने से पहले यह परेशानी क्यों होती है, इसे समझते हैं।
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घुटने में दर्द के निम्नलिखित कारण हैं। जैसे:-
इन ऊपर बताये गए कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। बढ़ती उम्र भी घुटने में दर्द का एक अहम कारण है। इसलिए घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है और यह कैसे किया जाता है यह समझते हैं।
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घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित है:
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ घुटनों का इलाज लेप लगाकर करते हैं। लेप अलग-अलग जड़ी-बूटियों से बनाकर तैयार किया जाता है। इस लेप को दशांग लेप, गृह धूमादि लेप या जटामायादि लेप पूरे शरीर पर या सिर्फ जोड़ों पर लगाया जाता है। इससे जोड़ों में हो रहे दर्द और सूजन दोनों परेशानी दूर हो सकती है।
आयुर्वेद में विरेचन कर्म एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जड़ी-बूटियों और औषधियों की मदद से पीड़ित व्यक्ति को दस्त करवाया जाता है। दस्त इसलिए करवाया जाता है क्योंकि दस्त के माध्यम से शरीर में मौजूद पित्त को साफ करने में सहायक होता है। रिसर्च की मानें तो विरेचन पद्धति गठिया, रूहमेटिक अर्थराइटिस और ऑस्टियोअर्थराइटिस की परेशानी को दूर करने में सक्षम है। साइटिका के मरीजों को विरेचन कर्म के दौरान विशेषरूप से अरंडी के तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे साइटिका की परेशानी भी दूर हो सकती है।
आयुर्वेद में बीमारी के इलाज के लिए फास्ट भी करवाया जाता है। लेकिन, यहां उपवास या व्रत का यह अर्थ नहीं होता है की मरीज कुछ खाये-पीये ही नहीं। दरअसल आयुर्वेद एक्सपर्ट इलाज के दौरान मरीज को तभी खाने की सलाह देते हैं, जब भूख लगे। क्योंकि बार-बार खाने से शरीर के वजन बढ़ने का खतरा बना रहता है। इस दौरान पेशेंट को पौष्टिक आहार, जड़ी-बूटी और औषधि का सेवन भी करवाया जाता है। इस प्रक्रिया से घुटनों में दर्द की परेशानी को दूर करने के साथ-साथ दोबारा दर्द की संभावना कम हो जाती है।
अग्नि कर्म के बारे में आयुर्वेद से जुड़े जानकारों की मानें तो इस दौरान दर्द या घाव वाले स्थान को सावधानी पूर्वक जलाया जाता है। जिससे वात रोग से राहत मिलती है। ऐसा करने से संक्रमण, घाव एवं पस की परेशानी दूर होती है। हालांकि अग्नि कर्म का निर्णय आयुर्वेद चिकित्षक ही करते हैं कि यह प्रक्रिया अपनाना चाहिए या नहीं।
बस्ती कर्म एक तरह की एनिमा थेरिपी है, जिससे पेट को साफ किया जाता है। इससे जोड़ों में होने वाले दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकती है। प्रायः बस्ती कर्म के बाद मरीज को कमजोरी महसूस होती है। बस्ती कर्म की मदद से घुटनों के दर्द से राहत मिलने के साथ-साथ यह कोलोन कैंसर या दस्त की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी होता है।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत मरीज को पसीना लाया जाता है। दर्द वाली जगहों पर जड़ी-बूटी लगाई जाती है। यह घुटनों के दर्द को दूर करने में काफी सहायक माना जाता है। मरीज की परेशानी को समझते हुए अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।
घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज के लिए ऊपर बताई गई खास आयुर्वेदिक पद्धति से की जाती है
अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमटरी (Anti-inflammatory) और एंटीअर्थरिटिक (Antiarthritic) प्रॉपर्टीज मौजूद होते हैं, जो जोड़ों के दर्द को दूर करने के साथ-साथ सूजन की परेशानी को भी दूर करने में मददगार है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार इसके सेवन से जोड़ों में होने वाली परेशानी से राहत मिल सकती है।
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खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने के लिए एवं चाय के सेवन से ताजगी महसूस करने के लिए अदरक का सेवन किया जाता है। लेकिन, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अदरक फीवर से परेशान लोगों के लिए भी इसकी खासियत बताते हैं। अदरक में विटामिन-बी 6 और मैग्नेशियम जैसे अन्य तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए लाभकारी होता हैं और घुटनों की परेशानी दूर करने में सहायक होते हैं।
आयुर्वेद में कहा गया है कि गुडूची के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर कमजोर पड़ने पर घुटनों की परेशानी शुरू हो जाती है, इसलिए घुटने का आयुर्वेदिक इलाज गुडूची से किया जाता है।इसके सेवन से घुटनों के दर्द के अलावा उल्टी, दस्त, सर्दी-जुकाम या खांसी की परेशानी बुखार से पीड़ित व्यक्तियों के लिय भी लाभकारी होता है। इस औषधि में शक्तिशाली गुण मौजूद होने की वजह से यह डायजेशन प्रोसेस को भी ठीक रखने में मददगार है। इसलिए आयुर्वेद विशेषज्ञ बुखार इस औषधि के सेवन की सलाह देता है।
सरसों के तेल में विटामिन, खनिज, कैल्शियम और आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है , जो सेहत के लिए कई दृष्टिकोण से लाभकारी माना जाता है। सरसों का तेल एक नहीं बल्कि कई तरह से लाभकारी होता है। क्योंकि इस तेल से बनी सब्जी का सेवन तो हम करते ही हैं, वहीं इससे शरीर की मालिश भी की जाती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर इसके सेवन और इससे मालिश दोनों की सलाह देते हैं।
कहते हैं स्वस्थ्य रहने के लिए हम सभी को पौष्टिक तत्वों का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसलिए मेथी का सेवन लाभकारी माना जाता है। दरअसल मेथी में एंटीइंफ्लमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर के लिए लाभकारी माने जाते हैं। इसलिए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट इसके लिए सलाह देते हैं। मेथी के दाने को पानी मिलाकर कुछ घंटे के लिए छोड़ दें और उसके बाद इसे छान लें और फिर इस पानी का सेवन करें। इससे शरीर फिट रहता है और वजन भी संतुलित रहता है और घुटने की समस्या से राहत भी मिल सकती है।
लौंग में एक नहीं बल्कि कई गुण जैसे एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीइंफ्लेमेंटरी, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो सर्दी-जुकाम और दांत दर्द या मसूड़ों की परेशानी को दूर करने में सक्षम है। लेकिन, लौंग की खासियत सिर्फ यहीं नहीं रुक जाती है। आयुर्वेद में लौंग से घुटने के दर्द या सूजन का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद एक्सपर्ट लौंग के तेल या लौंग के पाउडर को दर्द वाले जगहों पर लगाते हैं, जिससे घुटनों में दर्द से राहत मिलती है।
एलोवेरा बॉडी वेट कंट्रोल रखने के साथ-साथ घुटनों से संबंधित परेशानियों को भी बचाने में सहायक है। आयुर्वेद में एलोवेरा और हल्दी को एकसाथ मिलाकर दर्द वाली जगह पर लगा दिया जाता है जो धीरे-धीरे दर्द को कम करती है।
लक्षण, कारण और घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज समझने के साथ-साथ शरीर को फिट रखने के लिए योगासन भी अत्यधिक जरूरी है। इसलिए नियमित रूप से योग करने की आदत डालें। योग करने से पहले योगा एक्सपर्ट और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से यह जरूर समझें की आपके लिए कौन-कौन से योगासन लाभकारी हो सकते हैं।
रक्तमोक्षण पद्धतिम में मरीज के शरीर की विभिन्न नाड़ियों से अशुद्ध खून निकाला जाता है। जिसके लिए गाय के सींग, करेले, सुईं आदि का इस्तेमाल किया जाता है। निकालने के लिए टूल का चुनाव मरीज के स्वास्थ्य व स्थिति के मुताबिक होता है। यह तरीका मरीज के जोड़ों में मौजूद अमा को साफ कर, उसे दोबारा बनने से रोकता है। इससे तुरंत आराम मिलने में मदद मिलती है।
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घुटनों के दर्द से राहत पाने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनायें जा सकते हैं। जैसे:
इन छोटे-छोटे टिप्स को फॉलो कर घुटनों की परेशानी से निजात पा सकते हैं।
अगर आप घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज या घुटने की दर्द की परेशानी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जांच करने के लिए इस कैलक्युलेटर का उपयोग करें और पता करें कि क्या आपका वजन हेल्दी है। आप इस उपकरण का उपयोग अपने बच्चे के बीएमआई की जांच के लिए भी कर सकते हैं।
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