इसके अलावा, ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस और रेंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। जीएडी एंटीबॉडीज टेस्ट की मदद से आपके खून में उन एंटीबॉडीज की उपस्थिति भी जांची जा सकती है, जो कि टाइप- 1.5 डायबिटीज जैसी ऑटोइम्यून रिएक्शन के समय शरीर में मौजूद होती हैं।
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लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट्स का ट्रीटमेंट कैसे होता है? (LADA Diabetes Treatment)
एलएडीए डायबिटीज (LADA Diabetes) को शुरुआत में इसे टाइप-2 मानने की गलती की जाती है, तो अधिकतर बार इसे टाइप-2 मधुमेह के इलाज के तरीकों की मदद से नियंत्रित किया जाता है। चूंकि, यह धीरे-धीरे विकसित होती है, तो इस ट्रीटमेंट से नियंत्रित किया जा सकता है। जो लोग टाइप-1.5 डायबिटीज से ग्रसित होते हैं, उनमें टाइप-1 मधुमेह से ग्रसित मरीजों के शरीर में होने वाली कम से कम एक एंटीबॉडीज हो सकती है। इस प्रकार के मधुमेह के मरीजों को जांच के बाद पांच साल के भीतर इंसुलिन की जरूरत हो सकती है।
इंसुलिन ट्रीटमेंट मरीज और गंभीरता के मुताबिक अलग-अलग हो सकता है। जो कि आपके शरीर में मौजूद ग्लूकोज के स्तर पर निर्भर करता है। इसके लिए शरीर में मौजूद ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग करने के लिए नियमित स्तर पर ब्लड शुगर टेस्टिंग करवाते रहें, ताकि भविष्य में किसी भी खतरनाक स्थिति से समय रहते हुए बचा जा सके। इसके अलावा, आपको मधुमेह के रोग को नियंत्रित रखने के लिए डायट, एक्सरसाइज और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करने होते हैं, जिससे आपके शरीर में मौजूद ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहे।
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