आयुर्वेद और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स में अंतर
आयुर्वेद वह पुराना विज्ञान है जिसे भारतीयों ने व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक करने के लिए विकसित किया था। पुराने धर्मग्रंथ के हिसाब से आयुर्वेद इंसान की आत्मा को अंदर से शुद्ध करने की क्षमता रखता है। आयुर्वेद विज्ञान इतना उन्नत था कि आधुनिक जटिल सर्जरी जैसे कि राइनोप्लास्टी, किडनी स्टोन एक्सट्रैक्शन आदि उसी की ही देन हैं। आयुर्वेद भविष्य के लिए प्रोटो-साइंस है। आयुर्वेद व्यक्ति को बिना किसी दुष्प्रभाव के और सभी प्राकृतिक रूप से उगने वाले पौधों और जड़ी-बूटियों के उपयोग से ठीक करने में मदद करता है।
दूसरी ओर, हमारे पास ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स (organic products) हैं जो जैविक उपज की देन है। ऑर्गेनिक शब्द का अर्थ है, जो पारंपरिक और नॉन-इनवेसिव (non-invasive) तरीके से पैदा होता है। प्रामाणिक खेती के तरीके और रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद्य के उपयोग से जैविक उत्पादन किया जाता है। इससे ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं जिनका इस्तेमाल ह्यूमन कंसम्पशन में किया जाता है। ये पूरी तरह केमिकल फ्री होते हैं। इसलिए, हेल्थ की लिहाज से ये अच्छे होते हैं।
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प्रोडक्ट मेकिंग
कोई भी आयुर्वेदिक प्रोडक्ट जो करेंट मार्केट में आयुर्वेदिक होने का दावा करता है, को आयुष प्रमाणित होना आवश्यक है। यह सर्टिफिकेशन उन मानदंडों और मानकों को पूरा करता है जिससे प्रोडक्ट्स को आयुर्वेदिक कहा जाना चाहिए। फॉर्मुलेशन के लिए आयुर्वेदिक या आयुर्वेद से प्रेरित होने की जरूरत है। आदर्श रूप में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स बिल्कुल केमिकल मुक्त होने चाहिए। आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स (ayurvedic products) तैयार करने के लिए प्रोड्यूस ऑर्गेनिक हो सकते हैं या नहीं, यह पूरी तरह फॉर्मुलेशन पर निर्भर करता है।