के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
हाइटल हर्निया पेट से संबंधित एक समस्या है। जिसमें पेट सीने की तरफ खिसकने लगता है। हाइटल हर्निया सर्जरी से हाइटल हर्निया की समस्या ठीक हो जाती है। हर्निया शब्द को साधारण शब्दों में आंत का उतरना भी कहा जाता है। लेकिन इसका संबंध पेट से होता है। जो सर्जरी के बाद ठीक हो जाता है।
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हाइटल हर्निया के ज्यादातर मामलों में पूरे लक्षण सामने नहीं आते हैं। इसके लक्षणों में सीने में जलन, एसिड रिफ्लक्स या गेस्ट्रोओएसोफेजियल रिफ्लक्स डिसऑर्डर (GERD) प्रमुख हैं। दवाओं और लाइफस्टाइल बदलने से हाइटल हर्निया बिना सर्जरी के ठीक हो सकती है। लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी की ही सलाह देते हैं, जैसे:
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हर किसी को हाइटल हर्निया सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। जिन मरीजों पर दवाओं का असर नहीं होता है तो डॉक्टर उन्हीं को हाइटल हर्निया सर्जरी कराने की सलाह देते हैं।
हाइटल हर्निया सर्जरी में होने वाले कुछ संभावित रिस्क इस प्रकार हैं :
हाइटल हर्निया सर्जरी में कई तरह के कॉम्प्लिकेशन सामने आते हैं। आपको इन सभी के बारे में जानकारी होना चाहिए। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि ये साइड इफेक्ट्स सभी में दिखाई दी।
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डॉक्टर आपको बताएंगे कि सर्जरी के लिए कैसे तैयार होना है। सर्जरी के पहले आप अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करें :
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हाइटल हर्निया सर्जरी करने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। यह सर्जरी तीन तरीकों से होती हैं।
सभी तरह की सर्जरी करने के लिए एनेस्थेटिस्ट आपको जरूरत के हिसाब से सुन्न या बेहोश करेंगे। इसके बाद सर्जरी शुरू की जाएगी।
ये सर्जरी कभी कभार ही इस्तेमाल किया जाता है। इस सर्जरी में सर्जन पेट और सीने के बीच में एक बड़ा चीरा लगाते हैं। फिर, पेट को सर्जन फिर से सही जगह पर वॉपस कर देते हैं। वहीं, एसोफेगस को टाइट कर के बांध देते हैं ताकि पेट फिर से ऊपर न खिसक सके। इसके साथ ही सर्जन पेट में एक ट्यूब लगाएंगे, लेकिन इसे दे से चार हफ्ते बाद निकाल लेंगे। फिर चीरे पर टांके लगा देते हैं।
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लैप्रोस्कोपिक रिपेयर विधि में संक्रमण का रिस्क न के बराबर होता है। इस सर्जरी में सर्जन पेट में तीन से पांच स्थानों पर छोटे-छोटे चीरे लगाएंगे। इन चीरों के जरिए लैप्रोस्कोप को पेट के अंदर डालते हैं। लैप्रोस्कोप पेट के अंदर की तस्वीरें मॉनिटर पर भेजता है। जिसे देखकर सर्जन समझते हैं कि किस तरह से इलाज करना है। फिर सर्जन पेट का एब्डॉमिनल कैविटी में रख देते हैं और पेट के ऊपरी हिस्से को और एसोफेगस के नीचे के हिस्से को सर्जन बांध देते हैं। फिर चीरे पर टांके लगा देते हैं।
एंडोल्यूमिनल फंडॉप्लिकेशन अभी एक नई प्रक्रिया है। इसमें किसी भी तरह के संक्रमण का रिस्क काफी कम होता है। इस सर्जरी में सर्जन चीरा नहीं लगाते हैं। बल्कि एंडोस्कोप को मुंह के जरिए पेट में भेजते हैं। एंडोस्कोप में कैमरा लगा होता है, जो पेट के अंदर की तस्वीरों को मॉनिटर पर भेजता है। एंडोस्कोप के जरीए ही सर्जन पेट और एसोफेगल के बीच में क्लिप लगाते हैं। जो पेट में मौजूद एसिड और खाने को एसोफेगस में आने से रोकता है।
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आपको हाइटल हर्निया सर्जरी के बाद कुछ चीजों को नजरअंदाज करने की जरूरत है :
डॉक्टर द्वारा बताइ गई सांस और खांसी वाली एक्सरसाइज को रोज जरूर करें। इसे करने से आपके डायफ्राम के मजबूती मिलेगी। रोजाना टहलने से आपके पेट में खून का जमाव होने से बचेगा। इस सर्जरी को ठीक होने में लगभग 10 से 12 हफ्ते लगते हैं। रिकवरी के दौरान ड्राइविंग करने से बचें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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Dr Sharayu Maknikar