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कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम से अटक कर रह गई जान? तो, ‘अब की बार, गैरेंटीड रिलीफ की पुकार!’

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

    कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम से अटक कर रह गई जान? तो, ‘अब की बार, गैरेंटीड रिलीफ की पुकार!’

    लॉकडाउन! जब पहली बार हमने ये शब्द सुना था, तो सभी चौंक गए थे, क्योंकि सभी को झटका तो लगा ही था। क्या! घर में बंद रहना पड़ेगा? कितने दिन? पता नहीं? क्या ये भी मुमकिन है! ऐसे कितने ही ख्याल दिमाग में आए और चले गए। लेकिन अब सभी को इस लॉकडाउन की आदत पड़ती हुई नजर आ रही है। अब ना ही सुबह ऑफिस जाने की भागदौड़ है और ना ही तैयार होने का झंझट। भले ही काम करने का तरीका बदल गया हो, लेकिन नहीं बदला है वर्क फ्रॉम होम के दौरान सुबह का रूटीन। वही ब्रश करना, नहाना, चाय पीना और लैपटॉप लेकर बैठ जाना। लेकिन एक बात है मेरे दोस्त, जो बिलकुल नहीं बदली – वही घंटों बाथरूम में पैक हो कर रह जाना। बाहर देश का लॉकडाउन भले ही खुल रहा हो, लेकिन पेट के अंदर अभी भी है लॉकडाउन?

    हर बार वही ऐन वक्त पर आ ही जाता है, चाहे फिर ऑफिस हो या नो ऑफिस! लेकिन सुबह की मीटिंग्स, फिर डेडलाइन्स और उसके बाद दिन भर की बेचैनी, सब वहीं की वहीं; बस नहीं है तो कोई फूलप्रूफ उपाय। क्या आपका भी यही हाल है और आप भी कॉन्स्टिपेशंट बन के रह गए हैं? तो चलिए बात करते हैं एक्सपर्ट के साथ और लग जाते हैं एक कोशिश में, जो इस मुश्किल से जानेवाली दिक्कत से निजात दिला सके। कम से कम 2020 में एक अच्छी चीज तो हो!  

    आखिर कब्ज (Constipation) है किस बला का नाम?  

    कब्ज! कब्ज ही तो वो बला है, जो रात की नींद ही नहीं, बल्कि पूरे दिन का चैन भी लूट लेती है। और फिर जब बात कब्ज के साथ-साथ गैस की हो, तो फिर कहना ही क्या! कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम या सिंपल भाषा में कहें तो कब्ज के कारण गैस का तोड़ न तो आसानी से मिलता है और ना ही इससे रोजाना जूझने की हिम्मत आप में रहती है। फिर आप सुबह-सुबह चिड़चिड़ापन, थकान, बदन दर्द और बेचैनी, न जाने और कितनी तकलीफों से गुजरते हैं। लेकिन कब तक आप इस भूलभुलैया में घूमते रहोगे? कभी तो बाहर आना पड़ेगा ना? तो बस अब सोच में मत पड़िए, कॉन्स्टिपेशन पर लगाम लगाने का समय आ गया है। ओह! हमारा मतलब है लगाम छोड़ने का! 

    तो क्या करें कि कब्ज की तकलीफ से हम दो-दो हाथ कर सकें? घबराइए मत, आपके लिए हम इसका हल भी ढूंढ कर  लाए हैं। बस आपको जरूरत है कब्ज से जुड़ी समस्या के बारे में ये बातें जानने की। और वैसे भी हम आप तक इसका गैरेंटीड ओवर नाइट इलाज पहुंचाएंगे ही। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं डॉक्टर से कब्ज के बारे में कुछ अनसुनी बातें। साथ ही जानते हैं कि कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होने के उपाय।

    और पढ़ें: कॉन्स्टिपेशन से हैं परेशान तो स्लीप लाइक अ बेबी पॉलिसी को अपनाना हो सकता है आपके लिए पॉजिटिव

    constipation face - constiaption situation gif

    डॉक्टर के दो शब्द आपके ‘दो नंबर’ के लिए 

    कब्ज, जो आपको सालों से परेशान कर चुका है, उसके बारे में नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) का मानना है कि ‘जब आप सप्ताह में तीन से कम बार मोशन के लिए जाते हैं, तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है।’ हालांकि अलग-अलग लोगों में पेट साफ होने से जुड़ी तकलीफ अलग-अलग हो सकती है, लेकिन कब्ज को पहचानने के लिए आप कुछ खास लक्षणों पर ध्यान दे सकते हैं। इन लक्षणों में – मोशन के दौरान स्टूल का कड़ा हो जाना, आसानी से पेट साफ ना हो पाना, मोशन के दौरान तकलीफ होना, पेट साफ हो जाने के बाद भी बेचैनी महसूस करना, जैसे लक्षण खास तौर पर दिखाई दे सकते हैं। 

    क्या आप जानते हैं कि कब्ज को आप बीमारी नहीं कह सकते, क्योंकि ये एक कंडिशन की तरह है। लेकिन हां, इससे जुड़ी तकलीफें बीमारी का रूप ले सकती हैं। जब हमने मुंबई के जानेमाने हॉस्पिटल वॉकहार्ट में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत डॉ रुचित पटेल से इस विषय पर बात की, तो उन्होंने कहा, “कॉन्स्टिपेशन से अन्य कई समस्याएं जुड़ी हुई हैं, जो सभी डिस्पेप्सिया (अपच) के अंतर्गत आती हैं। इन तकलीफों में ब्लोटिंग, हार्टबर्न, एसिडिटी, जैसी दिक्कतें आम हैं। ये सभी तकलीफें कॉन्स्टिपेशन से जुड़ी हुई हैं। आम तौर पर माना जाता है कि जब व्यक्ति रोजाना टॉयलेट का सफर ना कर पाए, तो उसे कॉन्स्टिपेशन है। लेकिन ये मोशन के दौरान होनेवाली परेशानी पर ज्यादा निर्भर करता है।” 

    लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या आप भी मोशन के दौरान होनेवाली ऐसी परेशानियों को महसूस करते हैं? तो अब आपको क्या करना चाहिए?

    कहीं आप ये पढ़ कर घरेलू उपायों के बारे में तो नहीं सोचने लगे? क्योंकि हम कॉन्स्टिपेशन के लिए नानी-दादी के घरेलू उपायों, पानी पीने, एक्सरसाइज करने, जैसी बातों की ओर अपना रुख करते हैं। लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि हमारे सामने मेडिकेशन यानी कि दवाइयों की मदद लेने का भी रास्ता खुला है। जब आपको बुखार होता है और आप सख्त बीमार होते हैं, तो क्या आप इन सभी आम नुस्खों पर गौर करते हैं? नहीं न? आप डॉक्टर के पास जाकर दवाइयां लेते हैं। तो कॉन्स्टिपेशन में, जो कई बड़ी बीमारियों की जड़ है, ऐसे में दवाइयां लेने से क्यों घबराते हैं? आज हम एक ऐसे उपाय की बात कर रहे हैं, जिसका नाम है लैक्सेटिव। लैक्सेटिव वो तत्व है, जो आपके शरीर में मौजूद पानी का इस्तेमाल करके पॉटी को नर्म बनाता है, जिससे मोशन का फ्लो 6 से 8 घंटों में हो जाता है। एक लैक्सेटिव है बिसाकोडिल, जो सिर्फ एक रात में आपके पेट की सारी शिकायत दूर कर सकता है। फिर दूसरे दिन के रिलेक्सेशन के कहने ही क्या! न तो आपको बेचैनी महसूस होगी और ना ही गैस की तकलीफ। यह गैस कब्ज का रामबाण इलाज बन सकता है। 

    और पढ़ें: कब्ज का आयुर्वेदिक उपचार: कॉन्स्टिपेशन होने पर क्या करें और क्या नहीं?

    डलकोफ्लेक्स - बैठते ही हो जाए स्कोर

    चलिए आगे बढ़ते हैं पहले ये जान लेते हैं कि आपको कॉन्स्टिपेशन के कौन से लक्षण दिखाई देते हैं ।  

    कॉन्स्टिपेशन नाम के चोर को मात देनी है, तो इन सुरागों पर नजर रखनी होगी 

    तो अब आपका क्या ख्याल है? कॉन्स्टिपेशन को तो आप समझ गए हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं, कब्ज कब होता है? कब्ज तब होता है, जब पॉटी धीमी गति से शरीर से बाहर निकलती है या उसे बाहर आने में कठिनाई होती है। लेकिन कब्ज की तकलीफ कभी अकेली नहीं आती, ये अपने साथ लाती है और भी बीमारियों को। जो किसी भी खुशमिजाज व्यक्ति को परेशान होने पर मजबूर कर सकती है। आइए अब जानते हैं हम कैसे कब्ज की समस्या को इन छोटी-छोटी तकलीफों के जरिए पहचान सकते हैं। 

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    पेट दर्द (Stomach ache) सिर्फ छुट्टी के लिए बहाना नहीं है!

    हम काम से छुट्टी के लिए भले ही पेट दर्द को बहाना बनाते हैं, लेकिन असल पेट दर्द जब होता है, तब किसी को भी नानी याद आ सकती है। वैसे ही कब्ज के कारण भी पेट दर्द होना एक बेहद आम बात मानी जाती है। दरअसल पेट दर्द को कॉन्स्टिपेशन का साइड इफेक्ट माना जाता है। जब कब्ज के कारण गैस और ब्लोटिंग की समस्या होती है, तो पेट के निचले भाग पर दबाव बढ़ता है। इसी वजह से आपको पेट दर्द की तकलीफ होती है।

    बवासीर (Piles): नाम तो सुना ही होगा?  

    कब्ज के कारण बवासीर (पाइल्स) - constipation may lead to piles

    इस समस्या का नाम तो आप बखूबी जानते होंगे, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये तकलीफ कब्ज से जुड़ी हुई है? जी हां, बवासीर की समस्या की जड़ कब्ज को माना जा सकता है। कब्ज से परेशान व्यक्ति जब मोशन के लिए जोर लगाता है, तो रेक्टम (गुदा) के आसपास की नसों, धमनियों और उतकों पर जोर पड़ता है और ये डैमेज हो जाती हैं। इसी की वजह से बवासीर की तकलीफ होती है।

    और पढ़ें: Quiz: क्या आपको भी होती है गैस की समस्या? खेलें और जानें आखिर क्यों होता है ऐसा

    कब्ज के कारण गैस (Constipation and Gastric Problem) – मतलब आ गई शामत!   

    कब्ज की तकलीफ तो बड़ी है ही, लेकिन जब कब्ज के कारण गैस की शिकायत होने लगे और ये तकलीफ क्रॉनिक बन जाए, तो जान लीजिये कि आपकी सेहत पर बन आई है। क्योंकि कब्ज के साथ-साथ गैस की तकलीफ को झेलना बड़ा ही एम्बेरेसिंग हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि कब्ज और गैस की समस्या एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। जब आप कब्ज से परेशान रहते हैं, तो पॉटी के अटकने के कारण इंटेस्टाइन में सूजन आने लगती है। इसकी वजह से शरीर में बनने वाली गैस, स्टूल की वजह से इंटेस्टाइन में ही रह जाती है। यही कारण है कि आपको पेट फूला हुआ महसूस होता है, जिसे हम ब्लोटिंग के नाम से जानते हैं। यही गैस बाद में शरीर में रह कर गैस्ट्रिक समस्याओं को बढ़ाती है। 

    तो अब समझे, कि कैसे कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम की शुरुआत होती चली जाती है! लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हर ताले की चाबी भी होती ही है। 

    तो आइए अब जानते हैं कि कब्ज के कारण होनेवाली गैस्ट्रिक प्रॉब्लम से कैसे निपटें।

    क्या करें जब कब्ज और गैस (Constipation and gas) आ धमके एक साथ !

    जब कब्ज और गैस की तकलीफ को ठीक करने की बात आती है, तब लोगों को बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। अब आप हमें बताइये कि क्यों लूज मोशन यानी कि दस्त होने पर आप मेडिकेशन लेने से नहीं कतराते? लेकिन जब बात आती है कॉन्स्टिपेशन की, तो मेडिकेशन तो दूर, आप इस टॉपिक पर बात भी नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए होता है कि दस्त आपके पास दवाइयों के अलावा कोई रास्ता नहीं छोड़ता । लेकिन वहीं, कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम आप बर्दाश्त कर लेते हैं। 

    लेकिन दस्त की ही तरह कॉन्स्टिपेशन भी आपके शरीर को कई बड़ी बीमारियां दे सकता है। इसलिए इसका समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। वैसे तो कॉन्स्टिपेशन की शुरुआत में सभी आपको लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर, व्यायाम कर, अपने खान-पान को बेहतर बना कर, या फिर पानी का इनटेक बढ़ा कर इसे ठीक करने की हिदायत देते हैं। लेकिन कोई ये नहीं बताता कि जब ये तकलीफ ठीक ना हो, तो क्या करना चाहिए? 

    गैस और बदहजमी के उपाय हैं और ये असरदार भी होते हैं। साथ ही अगर आप साथ ही अगर आप गैस कब्ज का रामबाण इलाज जानना चाहते हैं तो ये आसानी और बिना तकलीफ के काम करते हैं।बस आपको सोच बदलनी होगी। जब कॉन्स्टिपेशन क्रॉनिक बन जाता है और लम्बे समय तक आप इस परेशानी से बाहर नहीं निकल पाते, तो आपको और भी उपायों के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। जिसमें से एक है दवाइयां। वैसे आप हमारी माने तो आपको ये  दवाइयां तकलीफ की शुरुआत में ही लेनी चाहिए, जिससे समस्या के बिगड़ने तक आपको परेशानी ना झेलनी पड़े। 

    खास तौर पर जब बात हो रही हो कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम की, तो इसके इलाज के तौर पर लैक्सेटिव आपके बेहद काम आ सकते हैं। लैक्सेटिव गैस कब्ज का रामबाण इलाज बन सकते हैं।

    दुआ में तो टाइम लगेगा, फिलहाल दवा का सोचें? गैस कब्ज का रामबाण इलाज है मुमकिन

    इन लैक्सेटिव की सही मात्रा और ठीक तरह से सेवन करने पर आप आसानी से कॉन्स्टिपेशन को अपनी जिंदगी से दूर रख सकते हैं। लैक्सेटिव के बारे में और भी जानकारी देते हुए डॉ पटेल ने बताया, “ज्यादातर लोग तीन प्रकार के लैक्सेटिव का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें स्टूल सॉफ्टनर, बल्क फॉर्मिंग और एक होता है स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव, जो इंटेस्टाइन को स्टिम्युलेट कर, या कहें उनमें दबाव बना कर मोशन को आसान बना देते हैं। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव में खास तौर पर बिसाकोडिल का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये आपके गट के मसल्स को स्टिम्युलेट करता है, जिससे आपका मोशन आसानी से हो सके। इसके दूसरे भी कई फायदे हैं, जैसे कि ये पेट के भारीपन से छुटकारा दिलाता है और अधिक बननेवाली गैस को भी शरीर से बाहर निकाल देता है।  गैस और बदहजमी के उपाय में यह बेस्ट हो सकता है,लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप जो भी लैक्सेटिव ले रहे हैं, उसके अनुसार ही उसकी मात्रा तय की जाए। साथ ही अलग-अलग लोगों के हिसाब से इसे लेने की मात्रा तय की जानी चाहिए।” 

    इसका मतलब ये है कि कॉन्स्टिपेशन के साथ होनेवाली गैस्ट्रिक प्रॉब्लम को ठीक करने के लिए अब तक जो कब्ज, गैस और बदहजमी के उपाय अपना रहे थे, उन्हें अलविदा कहने का वक्त आ गया है। क्योंकि ये लैक्सेटिव्स आपको तुरंत राहत पहुंचाने के लिए हाजिर हैं। ये लैक्सेटिव्स रात भर में आपके कॉन्स्टिपेशन को ठीक तो करते ही हैं, साथ ही आपके पेट के लॉकडाउन से पहली ही सुबह आजादी भी दिलाते हैं। तो अब जान गए कि लैक्सेटिव काम कैसे करता है, अब इससे जुड़ी कुछ और बातें भी जान लीजिए। 

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    लैक्सेटिव (Laxatives) ही आपकी डूबती नैया को बचा सकता है! 

    कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम भी हो सकती है

    अब अगर कोई आपको ये कहे कि एक छोटी सी गोली आपके पेट की भूलभुलैया को बिलकुल साफ कर देंगी, तो क्या आप उसे नहीं आजमाएंगे? तब भी क्या आप हमेशावाले घरेलू उपायों को इस्तेमाल करेंगे? हालांकि आपकी इसमें गलती है नहीं, क्योंकि लोग अपनी तकलीफों से छुटकारा पाने के लिए  सबसे पहले नैचरल चीजों को अपनाते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है साइड इफेक्ट्स का। लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि इस दौरान वो जो तकलीफ झेलेंगे, उससे उनका बहुत नुकसान हो सकता है। लेकिन दवाओं का इस्तेमाल आप कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ बढ़ जाने पर ही करेंगे, ऐसा तो कहीं नहीं लिखा! आप चाहें तो दवाओं का इस्तेमाल तकलीफ की शुरुआत में भी कर सकते हैं। तो आइए, अब जानते हैं कुछ ऐसी दवाओं के बारे में, जो कब्ज की समस्या में ओवर द काउंटर (OTC) मेडिसिन के रूप में ली जा सकती हैं।

    अब ये तो आप मान गए कि घरेलू उपाय आपका साथ दूर तक नहीं दे सकते। तो अब ये जान लिजिए कि कब्ज ठीक करने में जब घरेलू उपाय हार जाते हैं, तो लैक्सेटिव ऐसा कम्पोनेंट है, जो एक ही रात में आपकी सभी तकलीफों को ठीक कर सकता है। लैक्सेटिव कई तरह के होते हैं, जिसमें ल्यूब्रिकेंट लैक्सेटिव (Lubricant laxatives), ऑस्मोटिक लेक्सेटिव (Osmotic laxatives), स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant laxatives) और स्टूल सॉफ्टनर्स (Stool softeners) का इस्तेमाल होता है।

    सबसे पहले बात करते हैं स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव की। इसका इस्तेमाल कब्ज और गैस की समस्या होने पर किया जा सकता है। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव इंटेस्टाइन में कॉन्ट्रैक्शन पैदा करता है, जिसकी वजह से इंटेस्टाइन से स्टूल (पॉटी) आसानी से निकल जाता है। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव में आप खास तौर पर बिसाकोडिल (Bisacodyl) और सेनोसाइड्स (sennosides) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह गैस कब्ज का रामबाण इलाज हो सकता है।

    इसके अलावा स्टूल सॉफ्टनर लैक्सेटिव शरीर में मौजूद द्रव्यों (fluid) को स्टूल (stool) में मिलाता है, जिससे स्टूल आपके शरीर से आसानी से निकल जाता है और मोशन में कोई दिक्कत नहीं होती।

    अब तो आप समझ ही गए होंगे कि अगर घरेलू उपायों के चक्कर में ही फंसे रह गए, तो पेट की अच्छी सेहत वाली चिड़िया आपके हाथ नहीं आएगी। वो कहते हैं न कि ‘अंत भला तो सब भला’, इसलिए अब भी देर नहीं हुई। अगर आप महसूस कर रहे हैं कि कब्ज और गैस्ट्रिक समस्या से आप लंबे समय से परेशान हैं, तो समय न गंवाते हुए डॉक्टर की निगरानी में मेडिकेशन का रास्ता जरूर अपनाइए। कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम तो नहीं हो रही इस पर भी अपनी नजर बनाए रखिए। गैस और बदहजमी के उपाय करते रहने से बेहतर है कि आप डॉक्टर का सहारा लें। 

    हमें फेसबुक के कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं कि इस आर्टिकल ने आपकी #PottyKiPareshaani / #पॉटीकीपरेशानी हल करने में कितनी मदद की और कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होने से संबंधित जानकारी आपके लिए कितनी उपयोगी रही।  

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    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

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