लॉकडाउन! जब पहली बार हमने ये शब्द सुना था, तो सभी चौंक गए थे, क्योंकि सभी को झटका तो लगा ही था। क्या! घर में बंद रहना पड़ेगा? कितने दिन? पता नहीं? क्या ये भी मुमकिन है! ऐसे कितने ही ख्याल दिमाग में आए और चले गए। लेकिन अब सभी को इस लॉकडाउन की आदत पड़ती हुई नजर आ रही है। अब ना ही सुबह ऑफिस जाने की भागदौड़ है और ना ही तैयार होने का झंझट। भले ही काम करने का तरीका बदल गया हो, लेकिन नहीं बदला है वर्क फ्रॉम होम के दौरान सुबह का रूटीन। वही ब्रश करना, नहाना, चाय पीना और लैपटॉप लेकर बैठ जाना। लेकिन एक बात है मेरे दोस्त, जो बिलकुल नहीं बदली – वही घंटों बाथरूम में पैक हो कर रह जाना। बाहर देश का लॉकडाउन भले ही खुल रहा हो, लेकिन पेट के अंदर अभी भी है लॉकडाउन?