
परिचय
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) क्या है?
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज एक डायजेस्टिव डिसऑर्डर है, जिसमें पेट में उत्पन्न एसिड या पेट में मौजूद तत्व भोजन नली (Esophagus) में वापस आ जाता है। इस कराण भोजन नली की अंदरूनी सतह में जलन होने लगती है। बहुत सारे लोगों को यह परेशानी समय-समय पर होती रहती है। एसिड भाटा रोग (GERD) बच्चों से लेकर वयस्कों में होने वाली परेशानी है।
डायजेशन के प्रक्रिया में लोअर इसोफेगल स्पिंकटर (lower Esophageal Sphincter) खाने को पेट में पास करता है और भोजन और एसिड को इसोफेगस में वापस आने से रोकता है। गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) अक्सर तब होता है, जब लोअर इसोफेगल स्पिंकटर (Lower Esophageal Sphincter) कमजोर होता है और पेट की सामग्री को इसोफगस में प्रवाह करने की अनुमति देता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) के कारण होने वाली हर्टबर्न (Heartburn) और एसिड इनडायजेशन (Acid indigestion) की परेशानी का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर्स का मानना है कि हाइटल हर्निया (Hiatal Hernia) के कारण कई लोगों को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) की परेशानी होती है।
कुछ लोग लाइफस्टाइल में बदलाव करके और कुछ दवाओं का सहारा लेकर इससे राहत पा लेते हैं। वहीं इस बीमारी से ग्रसित कुछ लोगों को इसके लक्षण को कम करने के लिए हाई डोज दवाइयां और सर्जरी की जरूरत होती है। अस्थमा से ग्रसित लोगों में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है।
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लक्षण
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) के लक्षण क्या हैं?
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- छाती में दर्द (Pain in chest)
- सीने में जलन (Heartburn), कभी-कभी ये जलन आपको गले में भी महसूस हो सकती ही
- मुंह का स्वाद खट्टा होना
- सूखी खांसी (Dry cough)
- मसूड़ों में सूजन होना
- कैविटी (Cavities)
- सांसों से बदबू आना (Bad breath)
- निगलने में कठिनाई या गले में गांठ महसूस होना
- आवाज बैठना (Hoarseness)
- गले में खराश होना (Chronic sore throat)
- भोजन या खट्टे तरल का उल्टी के साथ बाहर आ जाना (Food is coming back into mouth)
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
- यदि आपको सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, जबड़े या बांह में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको बिना देरी किये तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।
- यदि आप सप्ताह में दो बार से अधिक बार सीने की जलन के लिए दवा ले रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से जरूर मिलें।
- यदि आपको लंबे समय से एसिड भाटा की शिकायत हो रही है तो ऐसे में भी आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
कारण
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) के क्या कारण हैं?
गलत खानपान की आदतें और खराब लाइफस्टाइल गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग होने के मुख्य कारण में से हैं। खाने पीने की कुछ चीजें जैसे चॉकलेट, तला हुआ खाना, स्पाइसी फूड, कॉफी, एल्कोहॉल आदि से रिफलक्स और सीने में जलन की शिकायत होती है। एक शोध के अनुसार सिगरेट पीने से भी लोअर इसोफेगल स्पिंकटर (Lower Esophageal Sphincter) ठीक तरीके से काम नहीं करता है। मोटापे और प्रेग्नेंसी में भी गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षण नजर आते हैं।
आमतौर पर गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स की परेशानी निम्नलिखित लोगों में देखी जाती है:
- प्रेग्नेंट महिलाओं में GERD की समस्या ज्यादा होती है, क्योंकि इस दौरान उनके पेट पर दबाव होता है
- पेट पर दबाव बढ़ने के कारण अधिक वजन या मोटापा
- कुछ दवाओं को लेने से भी यह परेशानी होती है
धूम्रपान (Smoking) - ओवरइटिंग Oovereating)
- देर रात को खाना खाना (Eating late at night)
- हाइटल हर्निया (Hiatal hernia)- हाइटल हर्निया में हमारे पेट का कुछ हिस्सा फैल कर सीने के नीचे चले जाता है। यहां एक छोटा से छेद (आमाशय के ऊपर मौजूद छिद्र) होता है, जिसके जरिए हमारी फूड पाइप पेट तक जाने से पहले गुजरती है लेकिन इस हर्निया के होने से पेट का हिस्सा इसी छेद से ऊपर की ओर आ जाता है। ऐसा होने पर खाना पेट से वापस फूड पाइप में चढ़ने लगता है व्यक्ति को सीने में भयानक जलन और एसिडिटी का अहसास होता है।
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) का खतरा किसे ज्यादा होता है?
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स के जोखिम को बढ़ाने वाली स्थितियों में निम्नलिखित शामिल हैं :
- दमा (Asthma)
- डायबिटीज (Diabetes)
- गर्भावस्था (Pregnancy)
- मोटापा (Obesity)
- धूम्रपान (Smoking)
- स्कलेरोडर्मा (Scleroderma)
निदान
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) का निदान कैसे किया जाता है?
आपका डॉक्टर लक्षणों को देखने के बाद आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है:
- अपर डायजेस्टिव सिस्टम का एक्स-रे (X-Ray of Upper Digestive System): एक्स-रे के लिए आपको एक लिक्विड पीलाया जाता है जो आपके पाचन तंत्र के लाइनिंग में भर जाता है। ये आपके डॉक्टर को अन्नप्रणाली, पेट और ऊपरी आंत को देखने में मदद करता है।
- एंडोस्कोपी (Endoscopy): इसमें इसोफोगस के अंदर की जांच की जाती है, जिसमें डॉक्टर इसोफेगस और पेट की जांच करने के लिए आपके गले के रास्ते एक पतली लचीली ट्यूब को डालेंगे जिसमें लाइट और कैमरा लगा होता है। पेट में एसिड मौजूद होने पर परीक्षण के परिणाम अक्सर सामान्य हो सकते हैं लेकिन एंडोस्कॉपी इसोफेगस में सूजन और जटिलताओं के बारे में पता लगा सकते हैं।
- एंब्यूलेट्री एसिड टेस्ट (Ambulatory acid test): इस टेस्ट में इसोफेगस में एक मॉनिटर लगाया जाता है जो यह पता लगाता है कि कब और कितनी देर के लिए पेट एसिड बनाता है और पचाता है। यह मॉनिटर एक छोटे से कंप्यूटर से जुड़ता है जिसे आप अपनी कमर के चारों और पहनते हैं। मॉनिटर एक पतली, चीली ट्यूब हो सकती है जिसे नाक के माध्यम से आपके इसोफेगस में भेजा जाता है। इसमें इसोफोगस में एसिड की मात्रा की जांच की जाती है
- इसोफेगल इमपीडेंस टेस्ट (Esophageal impedance test): इस टेस्ट को इसोफेगस के अंदर मौजूद पदार्थ की गति को मापता है।
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उपचार
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गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) का इलाज कैसे किया जाता है?
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षण से राहत के लिए आपका डॉक्टर आपके खानपान की आदतों में कुछ बदलाव कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको कुछ निम्नलिखित ओवर द काउंटर दवाएं भी रिकमेंड कर सकता है:
- एंटाएसिड्स (Antacids)
- एच2 रेसेप्टर ब्लॉकर्स (H2 receptor blockers)
- प्रोटोन पंप इन्हीबेटर्स (Proton Pump Inhibitors [PPI])
यदि गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स की स्थिति गंभीर है और इन दवाओं से भी कोई असर नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर आपको ज्यादा डोज की दवाइयां भी रिकमेंड कर सकते हैं लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) में दी जाने वाली दवाएं कब्ज का कारण बनती हैं। दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण स्टूल हार्ड हो जाता है और आंतों की गतिविधि भी धीमी हो जाती है।
ज्यादातर मामलों में दवाओं और लाइफस्टाइल में बदलाव करके गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षणों को दूर किया जा सकता है लेकिन कई बार इसके लिए सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है।
समय पर इसका इलाज न कराने पर आपके डायजेस्टिव सिस्टम में निम्न कारणों से सूजन हो सकती है:
अन्नप्रणाली का संकीर्ण होना (Narrowing of the esophagus): पेट में बनने वाले एसिड से लोअर इसोफोगस को स्कार टिश्यू हो सकते हैं। इससे भोजन मार्ग वाली नली को संकीर्ण कर सकते हैं जिससे खाने को निगलने में दिक्कत होती है।
इसोफैगल अल्सर (esophageal ulcer): पेट में मौजूद एसिड इसोफेगस को टिश्यू से दूर रख सकता है, जिससे गले में खराश की स्थिति हो सकती है। इसोफैगल अल्सर से रक्तस्त्राव हो सकता है। इसमें दर्द भी हो सकता है जिस वजह से निगलने में कठिनाई हो सकती है।
बैरेट इसोफेगस (Barrett’s esophagus): एसिड से होने वाले नुकसान से निचले अन्नप्रणाली के ऊतक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन एसोफैगल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार की मदद से गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) से कैसे निपटा जा सकता है?
- वजन को कम करें (Lose weight) यदि कोई ओवरवेट है तो वो वजन को कम करने की कोशिश करें
- ऐसे कपड़े न पहनें जो पेट से टाइट हो
- स्मोकिंग (Smoking) करना बंद करें
- एल्कोहॉल को एवॉइड करें (Decrease Alcohol intake)
- कम मात्रा में खाने का सेवन करें (Limit meal size)
- रात के समय ऑयली खाना खाने से बचें (Avoid heavy evening meals)
- खाना खाने के दो घंटे बाद ही सोएं (Do not lie down after eating)
- कैफीन ड्रिंक्स को कम से कम लें (Decrease caffeine intake)
- थिओफाइलिन को एवॉइड करें (Avoid theophylline)
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) में क्या खाएं?
सब्जियां : गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) में हरी सब्जियां खानी चाहिए, क्योंकि सब्जियों में मौजूद वसा और ग्लूकोज प्राकृतिक रूप से पेट की एसिड को कम करती है। इसलिए एसिडिटी होने पर हरी सब्जियां, ब्रोकली, बीन्स, पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, आलू आदि का सेवन करें।
दलिया (Oatmeal) : दलिया एक सुपरफूड माना जाता है। दलिया फाइबर से भरपूर होती है। दलिया पेट में मौजूद एसिड के लेवल को कम कर सकता है। इसलिए गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) होने पर ओट्स का सेवन किया जा सकता है।
अदरक :अदरक को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) के आयुर्वेदिक उपचार के रूप में जाना जाता है। ये पेट के एसिड को कम कर के एसिडिटी से राहत देता है।
फल : गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) होने पर खट्टे फलों को नहीं खाना चाहिए, जैसे- संतरा, नींबू का सेवन ना करें। एसिड भाटा रोग (GERD) में सेब, नाशपाती, केला, खरबूजा आदि खाना चाहिए।
गुड फैट : एसिड भाटा रोग (GERD) होने पर गुड फैट्स का सेवन करना चाहिए, जैसे- एवोकैडो, अखरोट, बादाम, ऑलिव ऑयल, तिल का तेल, सूर्यमुखी का तेल आदि।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) से जुड़ी हर जरूरी जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आपका इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो आप अपना सवाल हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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