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एक्यूट गैस्ट्राइटिस : पेट से जुड़ी इस समस्या को इग्नोर करना हो सकता है खतरनाक!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस : पेट से जुड़ी इस समस्या को इग्नोर करना हो सकता है खतरनाक!

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस (Acute gastritis) स्टमक लाइनिंग पर होने वाला इंफ्लामेशन और इरीटेशन है। यह कंडिशन थोड़े समय के लिए होती है, लेकिन अगर इंफ्लामेशन बना रहता है तो यह क्रोनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic gastritis) का कारण बन सकती है। एक्यूट गैस्ट्राइटिस किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह व्यस्कों और बुजुर्गों में अधिक कॉमन है। एक्यूट गैस्ट्राइटिस का कारण बैक्टीरियल हेलीकोबैक्टर पायलोरी इंफेक्शन (Helicobacter pylori infection) से लेकर कुछ दवाइयां हो सकती हैं। एक्यूट गैस्ट्राइटिस के कारण एब्डोमिनल पेन, ब्लीडिंग जैसी परेशानी हो सकती है।

    पेट एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑर्गन है जो इसोफेगस और छोटी आंत के बीच स्थित है। यह मांसपेशियों के संकुचन के माध्यम से भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है जिससे एसिड का निमार्ण होता है। पेट स्पेशल सेल्स से घिरा होता है जो इसे अपने पाचन एसिड से बचाती हैं। एक्यूट गैस्ट्राइटिस तब विकसित हो सकता है जब यही पेट की सुरक्षात्मक परत क्षतिग्रस्त हो जाती है या बीमारियों का इस पर प्रभाव पड़ जाता है।

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    एक्यूट गैस्ट्राइटिस के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of Acute Gastritis)

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस स्टमक लाइनिंग पर स्वेलिंग के कारण होती है। जिसका पता कुछ लक्षणों के जरिए लग सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इस बीमारी के लक्षण मरीज दर मरीज अलग अलग भी हो सकते हैं। लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।

    • एब्डोमिन में जलन का एहसास
    • एब्डोमिनल पेन जो कि एब्डोमिन के ऊपर भाग में होता है
    • अपच
    • भूख ना लगना
    • जी मिचलाने के साथ उल्टी होना
    • जी मिचलाना
    • स्टमक एरिया में फुलनेस का एहसास होना
    • खाते ही पेट भरा होने का एहसास
    • पेट में दर्द या डिसकंफर्ट (यह कम से ज्यादा हो सकता है)
    • उल्टी में खून आना (ऐसा तब होता है जब गेस्ट्राइटिस के कारण स्टमक लाइनिंग पर घाव हो जाता है)
    • वजन कम होना
    • बुखार (यह एच पायलोरी से इंफेक्शन का संकेत हो सकता है)

    और पढ़ें: स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस: तनाव के कारण होने वाले गैस्ट्राइटिस के लक्षणों और उपचार के बारे में जानें

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस के कारण क्या हैं? (Causes of Acute Gastritis)

    हमारा पेट कुछ विशेष कोशिकाओं से घिरा रहता है जो म्यूकस का सीक्रेशन करती हैं जो कि स्टमक एसिड और स्टमक वॉल के बीच का एक प्रोटेक्टिव बैरियर होता है। जब ये प्रोटेक्टिव बैरियर डैमेज होता है तो स्टमक लाइनिंग में सूजन आ जाती है जो कि गेस्ट्राइटिस का कारण बनती है। कई फैक्टर्स गेस्ट्राइटिस के लिए जिम्मेदार रहते हैं। जिनकी वजह से लाइनिंग आसानी से डैमेज हो जाती है। जानते हैं उनके बारे में।

    इंफेक्शन (infection)

    हेलीकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori bacteria) एक्यूट और क्रोनिक गैस्ट्राइटिस के सामान्य कारणों में से एक है। दुनिया की लगभग दो तिहाई आबादी में बैक्टीरिया पाए जा सकते हैं। कुछ दूसरे बैक्टीरिया, वायरस और फंगी भी इसका कारण बन सकते हैं, लेकिन ऐसा काफी कम देखने को मिलता है।

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस

    शराब का सेवन (alcohol consumption)

    शराब का अत्यधिक सेवन स्टमक म्यूकोसा को डैमेज करने का काम करते हैं। रोज अधिक मात्रा में शराब का सेवन गेस्ट्रोपैथी (Gastropathy) का कारण बनता है। इसके साथ ही स्मोकिंग को भी एक्यूट गैस्ट्राइटिस का रिस्क फैक्टर माना जाता है।

    आयरन सप्लिमेंट्स का सेवन (Intake of iron supplements)

    खाली पेट आयरन सप्लिमेंट्स का उपयोग म्यूकोसा को अफेक्ट कर सकता है। जो आगे जाकर गैस्ट्राइटिस का कारण बनता है। इसके साइड इफेक्ट्स सप्लिमेंट्स के डोज पर भी निर्भर करते हैं।

    नॉन स्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग्स  (NSAIDs)

    नॉन स्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग्स (non-steroidal anti-inflammatory drugs) एक्यूट गैस्ट्राइटिस का सबसे कॉमन कारण है। पेन किलर्स जैसे कि एस्प्रिन और आईबुप्रोफेन एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं क्योंकि ये प्रोस्टाग्लैडीन नामक प्रोटेक्टिव सब्सटेंस को रोकने का काम करते हैं। रेगुलरी इन पेन मेडिसिन का उपयोग एक्यूट गेस्ट्राइटिस का कारण बनता है।

    और पढ़ें: गैस्ट्राइटिस डायट: इस स्थिति में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

    बाइल रिफ्लक्स (bile reflux)

    बाइल छोटी आंत में नैचुरली आता है। यह डायजेशन में मदद करता है, लेकिन कई बार एक्सीडेंटली यह पेट में अपना रास्ता बनाते वक्त म्यूकोसा को नुकसान पहुंचा सकता है। जो एक्यूट गेस्ट्राइटिस का कारण बन सकता है। इम्यून सिस्टम का मालफंक्शन ऑटोइम्यून रिएक्शन का कारण बनता है जिससे स्टमक लाइनिंग प्रभावित हो सकती है।

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk Factors for acute gastritis)

    निम्न फैक्टर्स इस समस्या को बढ़ाने का काम करते हैं।

    • रेडिएशन थेरिपी
    • हर्पीस वायरस
    • गंभीर बीमारियां जैसे कि किडिनी डिजीज, रेस्पायरेटरी इशूज और लिवर फेलियर
    • सीवियर इंजरी या कोई बड़ी सर्जरी
    • स्ट्रेस

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    एक्यूट गैस्ट्राइटिस का पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis for acute gastritis)

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री जानने के साथ ही फिजिकल एग्जामिन करता है। इसके साथ ही एंडोस्कोपी और बायोप्सी भी की जा सकती है।

    मेडिकल हिस्ट्री (Medical history)

    इसमें डॉक्टर मरीज से पेन किलर दवाओं के उपयोग के बारे में जानकारी लेते हैं। साथ ही स्मोकिंग और ड्रिंकिंग हैबिट के बारे में पूछा जाता है। मरीज को किसी प्रकार की कोई बीमारी तो नहीं है। यह पता लगाना भी डॉक्टर का काम होता है।

    फिजिकल एग्जाम (Physical examination)

    इसमें स्टमक टेंडरनेस और पेट से जुड़े दूसरे लक्षणों की जांच की जाती है।

    एंडोस्कोपी (Endoscopy)

    इस प्रक्रिया में एक लंबी ट्यूब को गले के अंदर डालकर गेस्ट्रिक म्यूकोसा की स्थिति का पता लगाया जाता है।

    बायोप्सी (biopsy)

    जरूरत पड़ने पर डॉक्टर टिशूज के सैम्पल को लेकर बायोप्सी के जरिए गैस्ट्राइटिस के कारण का पता लगाने की कोशिश करते हैं।

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस का इलाज कैसे होता है? (Treatment for acute gastritis)

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस का इलाज अंडरलाइन कारण, लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। एंडोस्कोपी और बायोप्सी के बाद डॉक्टर ट्रीटमेंट शुरू करते हैं।

    एक्यूट गैस्ट्राइटिस के इलाज के लिए एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट (antibiotics for acute gastritis)

    अगर गैस्ट्राइटिस का कारण एच पायलोरी इंफेक्शन है तो इसका इलाज एंटीबायोटिक से प्रमुख रूप से किया जाता है। इसलिए जरूरी है कि मरीज दवा को रूटीन को पूरी तरह फॉलो करे ताकि फिर से इंफेक्शन होने का खतरा ना रहे। सामान्यतौर पर दो एंटीबायोटिक चौदह दिन के लिए कॉम्बिनेशन के तौर पर दी जाती हैं जो एसिड को बनने से रोकती हैं। दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। इनके अलावा प्रोटोन पंप इंहिबिटर्स और एच 2 ब्लॉकर्स का यूज भी एक्यूट गैस्ट्राइटिस के इलाज के लिए किया जाता है।

    और पढ़ें: पेट में समस्या है? तो कारण हो सकता है SIBO

    गैस्ट्राइटिस के बचने के लिए निम्न बातों का रखें ध्यान

    लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके आप गैस्ट्राइटिस से बच सकते हैं।

    • स्पाइसी फूड या एसिडिक फूड्स जो स्टमक को इरीटेट कर सकते हैं उनसे दूरी बनाए रखें
    • एक साथ खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा करके खाएं
    • वजन को संतुलित रखें
    • स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखें
    • एल्कोहॉल और स्मोकिंग से दूर रहें
    • पेन किलर्स का यूज कम से कम करें और किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें

    गैस्ट्राइटिस अंडरलाइन कंडिशन पर निर्भर करती है। यह ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसे इग्नोर किया जाए कई बार एक क्रोनिक गैस्ट्राइटिस का कारण बन सकती है। पेट से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होता है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको और एक्यूट गैस्ट्राइटिस से संबधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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