स्मॉल इंटेस्टाइनल बैक्टीरियल ओवरग्रोथ को SIBO के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जो हमारी छोटी आंत को प्रभावित करती है। जब उन बैक्टीरिया का विकास छोटी आंत में होना शुरू हो जाता है, जो सामान्य रूप से हमारे गट के अन्य भागों में विकसित होते हैं, तो यह समस्या शुरू होती है। इसके कारण पेट में दर्द और डायरिया होना सामान्य है। यह कुपोषण का कारण भी बन सकता है क्योंकि यह बैक्टीरिया शरीर के नुट्रिएंट्स का उपयोग करना शुरू कर देते हैं। हर व्यक्ति के गट में बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन अगर चीजें बैलेंस से बाहर हो जाएं तो समस्या बढ़ सकती है। इस बीमारी का उपचार संभव है और अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन कर के भी आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। जानिए स्मॉल इंटेस्टाइनल बैक्टीरियल ओवरग्रोथ यानी SIBO के बारे में विस्तार से
SIBO के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of SIBO)
SIBO के लक्षण अन्य पाचन संबंधी समस्याओं जैसे लैक्टोज इनटॉलेरेंस (Lactose intolerance) जैसे ही होते हैं। इसके कारण पेट में मामूली समस्या से लेकर डायरिया तक हो सकता है। SIBO सीधे गट को प्रभावित करता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। SIBO के लक्षण इस प्रकार हैं:
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- भूख में कमी (Loss of Appetite)
- पेट में दर्द (Abdominal Pain)
- जी मिचलाना (Nausea)
- पेट में सूजन (Bloating)
- खाने के बाद पेट के भरे होने का अहसास होना (An uncomfortable Feeling of Fullness After Eating)
- डायरिया (Diarrhea)
- अचानक वजन कम होना (Unintentional Weight Loss)
- कुपोषण (Malnutrition)
इस स्थिति में डॉक्टर से कब संपर्क करें?(When to Contact a Doctor?)
पेट में सूजन, डायरिया और अपच अन्य आंतों से संबंधित कई रोगों के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन कुछ परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए जैसे :
- लगातार दस्त होना (Persistent Diarrhea)
- तेजी से वजन का कम होना (Rapid Weight Loss)
- पेट दर्द का अधिक समय तक रहना (Abdominal Pain lasting more than a Few Days)
- इसके साथ ही अगर आपको गंभीर पेट में दर्द है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
SIBO के कारण और रिस्क फैक्टर कौन से हैं? (Causes and Risk Factors of SIBO)
स्मॉल इंटेस्टाइनल बैक्टीरियल ओवरग्रोथ SIBO आमतौर पर तब शुरू होता है, जब आपकी छोटी आंत भोजन को उस तरह से स्थानांतरित नहीं करती है, जैसे उसे करना चाहिए। ऐसे में बैक्टीरिया बढ़ते हैं और लंबे समय तक छोटी आंत में रहते हैं। यदि भोजन को पचाने में मदद करने वाले “अच्छे’ बैक्टीरिया हानिकारक बैक्टीरिया के साथ नहीं रह पाते तो बुरे बैक्टीरिया बहुत जल्दी बढ़ते हैं और इससे असंतुलन पैदा होते हैं। यह SIBO का कारण बनते हैं और कुछ स्थितियों में इसका जोखिम बहुत अधिक बढ़ सकता है, जैसे :
- बुजुर्ग लोगों को SIBO के अधिक जोखिम होता है। क्योंकि, उनमें भोजन को तोड़ने वाले गैस्ट्रिक एसिड का कम निर्माण होता है। उन्हें डायवर्टिकलोसिस (Diverticulosis) होने की भी अधिक संभावना है।
- छोटी आंत में रुकावट पैदा करने वाले रोगों या सर्जरी की जटिलताएं भी इस समस्या का जोखिम बढ़ा सकती हैं। क्रोहन रोग इन स्थितियों में से एक है।
- छोटी आंत में मूवमेंट की समस्याएं, जैसे डायबिटीज और स्क्लेरोडर्मा (Scleroderma) भी रिस्क फैक्टर हैं।
- एड्स या इम्युनोग्लोबुलिन की कमी (Immunoglobulin Deficiency) जैसी इम्यूनोडिफिशिएंसी (Immunodeficiency) से भी इसका जोखिम बढ़ सकता है।
- छोटी आंत की सर्जरी के कारण शार्ट बोवेल सिंड्रोम (Short Bowel Syndrome ) को हटाने के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- सर्जिकल प्रक्रियाएं जो छोटी आंत की एक लूप बनाती हैं, जहां अतिरिक्त बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इसका एक उदाहरण बिलरोथ II (Billroth II) है जो एक प्रकार का पेट निकालना गेस्ट्रोक्टॉमी है।
- इर्रिटेबल आंत्र सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) के कुछ मामले भी इस समस्या के कारण हो सकते हैं।
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SIBO से जुड़ी जटिलताएं कौन सी हैं? (Complications Associated with SIBO)?
SIBO (Small Intestine Bowel Overgrowth) किसी अन्य बीमारी का संकेत भी हो सकती है, जो छोटी आंत के कार्य को प्रभावित करती है। बिना उपचार के, SIBO इन समस्याओं का कारण बन सकती है:
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वसा, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का कम अवशोषण (Poor Absorption of Fats, Carbohydrates and Proteins)
बाइल साल्ट जो आम तौर पर वसा को पचाने के लिए आवश्यक होते हैं, आपकी छोटी आंत में अतिरिक्त बैक्टीरिया द्वारा टूट जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप अधूरा पाचन और डायरिया होता है। बैक्टीरियल प्रोडक्ट्स छोटी आंत के म्यूकस लाइनिंग (Mucous Lining) को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का अवशोषण कम हो जाता है।
विटामिन की कमी (Vitamin Deficiency)
वसा के अधूरे अब्सॉर्प्शन के कारण, आपका शरीर वसा में घुलनशील विटामिन A, D, E और K को पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर सकता है। स्माल इंटेस्टाइन सिंथेसाइज (Small Intestine Synthesize) के बैक्टीरिया के साथ-साथ विटामिन बी -12 का उपयोग करते हैं, जो आपके नर्वस सिस्टम के सामान्य कामकाज और रक्त कोशिकाओं और डीएनए के उत्पादन के लिए आवश्यक है। बैक्टीरिया के अधिक विकास के कारण B-12 डेफिशियेंसी हो सकती है। जिससे हाथों और पैरों में कमजोरी, थकावट और सुन्नता आदि हो सकती है या एडवांस्ड मामलों में दिमागी समस्याएं भी हो सकती हैं।
कमजोर हड्डियां (Osteoporosis)
समय के साथ, असामान्य बैक्टीरिया के विकास से आपकी आंत को नुकसान, कैल्शियम के खराब अवशोषण का कारण बनता है। इससे अंत में हड्डियों की बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है।
गुर्दे की पथरी (Kidney Stone)
कैल्शियम के अवशोषण में आखिर में गुर्दे की पथरी हो सकती है।
SIBO का निदान (Diagnosis of SIBO)
SIBO के लक्षण कुछ अन्य स्थितियों की तरह हो सकते हैं। ऐसे में आपको कुछ चीजों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। अगर आपको कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर आपको अन्य टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं, जैसे:
- इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test) : जैसे एक्स-रे (X -Ray), सिटी स्कैन (CT Scan) , मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग(Magnetic resonance imaging)
- ब्लड टेस्ट्स (Blood Test) : एनीमिया या विटामिन की कमी के लिए ब्लड टेस्ट्स
- स्टूल टेस्ट्स (Stool Tests) : स्टूल टेस्ट आपका शरीर में कितनी वसा अवशोषित हो रही है। इस को जांचने के लिए किया जाता है।
- स्माल इंटेस्टाइन एस्पिरट और फ्लूइड कल्चर (Small Intestine Aspirate and Fluid Culture.)
- लैक्टुलोज ब्रेथ टेस्ट (Lactulose Breath Test)
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SIBO का उपचार क्या है? (Treatment for SIBO)
SIBO का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं और डायट चेंज के संयोजन के साथ किया जा सकता है। यह उपचार इस प्रकार है:
एंटीबायोटिक दवाइयां (Antibiotic Medicine)
इस उपचार के लिए सबसे पहले आपको बैक्टीरिया को कंट्रोल में लाना जरूरी है। यह आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जाता है, जैसे कि सिप्रोफ्लॉक्सासिन (Ciprofloxacin), मेट्रोनिडाजोल (Metronidazole ) या रिफाक्सीमिन (Rifaximin)। अगर आपको कुपोषण या डिहाइड्रेशन हुआ हो तो पोषण (Nutrition) और तरल पदार्थों के लिए आपको इंट्रावेनस (IV) ट्रीटमेंट की भी आवश्यकता हो सकती है
एंटीबायोटिक्स के कारण छोटी आंत में बैक्टीरिया की संख्या कम हो सकती है, लेकिन यह उस अंडरलाइंग समस्या का समाधान नहीं होता है। यदि, आपके डॉक्टर यह निर्धारित करता है कि आपमें SIBO का कारण अंडरलाइंग कंडीशन है, तो आपको उस स्थिति का उपचार भी शुरू करना होगा। आहार में बदलाव से भी आपको मदद मिल सकती है।
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बैक्टीरिया के रेजिस्टेंस को रोकने में मदद करने के लिए डॉक्टर आपको विभिन्न एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग होता है। एंटीबायोटिक्स सामान्य और असामान्य दोनों तरह से अधिकांश आंतों के बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं।
SIBO और डायट (SIBO and Diet)
यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि संतुलित आहार से SIBO से राहत पाई जा सकती है। लेकिन, SIBO वाले कई लोगों ने एक विशेष आहार का पालन करने के बाद राहत पाई है। अपने आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने चिकित्सक के साथ बात करें। कुछ बदलाव होने पर आपको लाभ होगा जैसे :
- संतुलन और पौष्टिक आहार का सेवन
- कम मात्रा में आहार खाएं।
- अगर आपको सीलिएक रोग (Celiac Disease) है, तो ग्लूटेन उत्पादों से बचें।
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कैसे करें SIBO की रोकथाम? (Prevention of SIBO)
कई लोग एंटीबायोटिक चिकित्सा को पूरा करने के महीनों बाद SIBO के लक्षणों की रिपोर्ट करते हैं। रोकथाम SIBO के प्रबंधन के लिए जरूरी है। छोटी आंत में अंडरलाइंग मेडिकल स्थिति या फिजिकल डिफेक्ट के कारण SIBO की समस्या हो सकती है। SIBO के मुख्य कारण को नियंत्रित करने से इस समस्या का फिर से होने की संभावना कम होती है। अपनी डायट और लाइफस्टाइल में बदलाव से भी आपको फिर से SIBO की समस्या कम होगी। अधिक से अधिक प्लांट बेस्ड फूड और प्रोसेस्ड और चीनी युक्त आहार से अनहेल्थफुल बैक्टीरिया के बढ़ने की समस्या कम होगी। इसके साथ ही रोजाना व्यायाम करने से भी शरीर के डाइजेस्टिव फंक्शन सही रहने में मदद मिलेगी।
आपके डॉक्टर आपको एलीमेंटल डायट की सलाह भी दे सकते हैं। इससे भी लोगों को फायदा होता है। हालांकि, इस पर भी अभी शोध करने की जरूरत है। किसी भी आहार या ट्रीटमेंट को शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। इसके साथ ही कोई भी लक्षण नजर आने पर भी तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है।
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