त्वचा की इलास्टिसिटी को समझना हो तो सबसे पहले उसकी बनावट को समझना जरूरी है। स्किन को तीन भागों में बांटा जा सकता है। सबसे बाहरी भाग को एपिडर्मिस कहा जाता है। यह भाग स्किन सेल, पिग्मेंट और प्रोटीन से बना होता है। इसके बाद आता है मध्य भाग या बीच का हिस्सा इसे डर्मिस के नाम से जाना जाता है। इसमें स्किन सेल, ब्लड वैसल्स, हेयर फॉलिकल, ऑयल ग्लैंड और नर्वस होते हैं। डर्मिस तक यदि दाग, धब्बे या किसी प्रकार की प्रॉब्लम हो तो उनका इलाज कुछ हद तक आसान होता है। यदि यही एपिडर्मिस तक पहुंच गए हों तो इनका उपचार कठिन हो जाता है। चूंकि एपिडर्मिस डर्मिस को पोषक तत्व पहुंचाती है। ऐसे में एपिडर्मिस का नुकसान डर्मिस पर जरूर दिखता है।
अंत में आती है डर्मिस के नीचे की परत या लेयर। इसमें स्वैट ग्लैंड, हेयर फॉलिकल, फैट और ब्लड वैसल्स होती हैं। हर परत में कनेक्टिव टिशूज के साथ कोलेजन फाइबर होता है। इसके साथ ही इसमें इलास्टिन फाइबर भी मौजूद होता है। यही वह कारण हैं जो त्वचा में लचीलापन और टाइटनेस लाते हैं। बढ़ती उम्र के साथ यह लचीलापन और टाइटनेस कमजोर होने लगते हैं चूंकि बढ़ती उम्र के साथ स्किन सेल उतने कारगर तरह से काम नहीं कर पाते जितना पहले करते हैं।
इलास्टियोसिस (Elastosis) से लेकर लेंटिगोस (lentigos)
उम्र के साथ कनेक्टिव टिशू में बदलाव आने लगते हैं। इसके कारण स्किन लूज होने लगती है और अपनी इलास्टिसिटी खोने लगती है। इसे इलास्टोसिस (Elastosis) कहा जाता है। इलास्टोसिस शरीर के उन हिस्सों में ज्यादा दिखाई देता है जहां सन एक्सपोजर ज्यादा हुआ हो। बढ़ती उम्र का पता त्वचा के पलते होने के साथ भी चलने लगता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है मिलेनोसाइट्स जो पिग्मैंट के लिए जिम्मेदार होते हैं उन सेल में कमी आने लगती है। वहीं अन्य सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके कारण आप लेंटिगोस (lentigos) के शिकार हो जाते हैं। लेंटिगोस का अर्थ है एज स्पॉट्स की समस्या।
ओल्ड एज में स्किन इलास्टिसिटी को ट्रिगर करने वाले कारण क्या हैं? What are the causes that trigger skin elasticity in the old age?
बढ़ती उम्र के साथ त्वचा की इलास्टिसिटी खत्म होने लगती है। कुछ लोगों में यह जल्दी तो कुछ में यह देरी से होता है। यह अलग-अलग तरह से दिखता है। इस स्किन इलास्टिसिटी को प्रभावित करने वाले कई कारण होते हैं जैसे धूप, जैनेटिक कारण, स्किन की देखभाल ना करना और सही खान-पान ना होना आदि। आइए कुछ के बारे में जानते हैं
सूरज की किरणें हो सकती हैं सबसे बड़ा कारण
उम्र के शुरुआती दौर में सूरज की किरणों का त्वचा पर ज्यादा फर्क पता नहीं लगता, लेकिन कुछ वक्त के बाद इससे होने वाले नुकसान को ठीक कर पाना मुश्किल हो सकता है। अल्ट्रा वायलेट किरणें इलास्टिन फाइबर को क्षति पहुंचाती हैं। इसके कारण स्किन खींचने लगती है और अपने इलास्टिसिटी को खोने लगती है। इन हानिकारक किरणों के कारण त्वचा फटने लगती है, स्किन में पिग्मेंटेशन की समस्या पनपने लगती है।