वैसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति खाना खाने में असमर्थ हो वहीं शारिरिक रूप से पूरी तरह कमजोर हो उस स्थिति में कुपोषण का इलाज करने के लिए ट्यूब के जरिए शरीर में पौष्टिक आहार पहुंचाया जाता है। इसे फीडिंग ट्यूब भी कहा जाता है। स्वैलोविंग डिस्फेजिया (swallowing (dysphagia) की बीमारी होने पर कुपोषण का निवारण इसी प्रकार किया जाता है। वहीं ऐसा कर भी किया जाता है इलाज:
- नाक के जरिए ट्यूब लगाकर (नेसोगेस्ट्रिक ट्यूब – nasogastric tube) सीधे पेट में डाला जाता है, वहीं इसके जरिए कुपोषण का निवारण किया जाता है।
- पेट के ऊपरी सतह को काटकर ट्यूब को सीधे स्टमक में पहुंचा दिया जाता है, इसे परक्यूटेनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोनॉमी (percutaneous endoscopic gastrostomy) कहा जाता है।
- वहीं न्यूट्रीशन युक्त तरल को सीधे नसों के जरिए खून की मदद से शरीर में पहुंचाया जाता है। जिसे पेरेंटेरल न्यूट्रीशन भी कहा जाता है।
सामान्य तौर पर इस प्रकार की ट्रीटमेंट अस्पतालों में की जाती है, लेकिन यदि मरीज ठीक रहा तो उसका इलाज इस प्रकार से घर पर ही किया जाता है।
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कुपोषण से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा प्यार और सपोर्ट की जरूरत
वैसे तो हर बीमारी व्यक्ति को एक्सट्रा केयर और सपोर्ट की जरूरत होती है, वहीं परिवार वालों के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि उन्हें सपोर्ट दिया जाए। ऐसे में कुपोषण का निवारण तभी संभव है जब बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल के साथ उसे सपोर्ट किया जाए। ताकि वो इस बीमारी से जल्द से जल्द निजात पा सके। इसलिए जरूरी तथ्यों पर एक नजर :
- कुपोषण का इलाज तभी संभव है यदि कोई खुद से खाना बनाने में असमर्थ है तो उसके परिवार या फिर परिचय के लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि उसके घर पर जाकर खाना बना दें, घर तक खाना पहुंचा दें।
- ऑक्यूपेशन थेरेपी के तहत कुपोषण का निवारण संभव है। व्यक्ति की दिनचर्या को ध्यान देकर बीमारी का इलाज करना चाहिए।
- कुपोषण से पीड़ित व्यक्ति के घर पर मील ऑन व्हील्स के सहारे यदि खाना पहुंचाया जाए तो कुपोषण का निवारण संभव है। ऐसा कर कुपोषण का इलाज किया जा सकता है।
- एक्सपर्ट की मदद लेकर क्या खाना है और कितनी मात्रा में खाना है इन बातों पर ध्यान देकर बीमारी में सुधार किया जा सकता है।
बेहद ही खतरनाक बीमारी है कुपोषण
कुपोषण का इलाज न किया गया तो उसके कारण मौत हो सकती है। बता दें कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में आधे से ज्यादा की मौत सिर्फ कुपोषण के कारण हो जाती है। कुछ इंफेक्शन के कारण यह बीमारी होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। बता दें कि 2019 तक विश्वभर में 21.3 फीसदी बच्चे कुपोषण की बीमारी से पीड़ित थे। जहां औसतन पांच बच्चों में एक इस बीमारी से पीड़ित पाया गया। वहीं 2000 और 2019 के आंकों की बात करें तो 2000 में जहां विश्वभर में 32.4 फीसदी बच्चे बीमारी से पीड़ित थे वहीं 2019 के आते आते 21.3 फीसदी बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं 199.5 मीलियन बच्चों से घटकर 144 मीलियन पर यह आंकड़ा पहुंच गया, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज भी विश्वभर में कुपोषण बड़ी चुनौती है। वहीं साउथ एशिया में रहने वाले पांच बच्चों में से दो बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं।