सबकी पहुंच तक हो ट्रीटमेंट- मेलिन्डा गेट्स फाउंडेशन मालनूट्रिशन मिशन
बिल गेट्स ने कहा, ‘माइक्रोबायोम की यह थेरेपी अभी तक शुरुआती चरण में है। लेकिन, मुझे लगता है कि हमें इसे कारगर बनाने का एक रास्ता मिलेगा।’ इन थेरेपी की प्रभाविकता के इतर गेट्स ने कहा कि इस प्रकार की थेरेपी का ट्रीटमेंट बेहद ही सस्ता होना चाहिए, जिससे यह आम लोगों तक पहुंच सके। मौजूदा समय में इस्तेमाल होने वाल ट्रीटमेंट महंगा है।
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कुपोषण के कारण लड़कियों की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं
बिल गेट्स ने कहा कि सैंपल रजिस्ट्रेशन रेट (IMR) के अनुसार, 2016 में 34 में से केवल एक गर्ल चाइल्ड के जीवित बच जाने की संभावना थी। यानी 34 लड़कियां पैदा होने के बाद कुछ ही समय बाद केवल एक ही लड़की जिंदा बची, बाकी सबकी मौत हो गई। वहीं 2017 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (SRS) के अनुसार, 29 राज्यों में से केवल पांच राज्यों में एक गर्ल चाइल्ड के जीवित रहने की अधिक संभावना थी। ये वाकई भयावह रिजल्ट हैं। यानी गर्ल चाइल्ड की मृत्यु दर अधिक है। सैंपल रजिस्ट्रेशन रेट के अनुसार मरने वाली लड़कियों की उम्र एक साल से भी कम थी।
लड़कियों की मृत्यु दर
ज्यादातर सभी राज्यों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की मृत्युदर अधिक पाई गई है। कुछ राज्यों में जैसे कि छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्यप्रदेश, तमिलनाडू और उत्तराखंड को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में गर्ल चाइल्ड की मृत्युदर अधिक पाई गई। ये सभी रिपोर्ट्स तीन साल के सर्वे पर बेस्ड है। साल 2015 से 2017 तक में सर्वे किया गया था। 0-4 वर्ष तक की गर्ल चाइल्ड की मृत्यु दर 8.9 थी, वही भारत के ग्रामीण इलाको में शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मृत्युदर 10.0 पाई गई। वहीं शहरी क्षेत्रों में मृत्युदर यानी गर्ल चाइल्ड मोरेलिटी 6.0 थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि 19.8% गर्ल चाइल्स की डेथ अप्रशिक्षित अधिकारियों की वजह से हुई।
सही स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने के कारण कम उम्र में ही महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। देश भर में केरला ही ऐसा राज्य है जहां का सेक्स रेशियो सही है। ज्यादातर राज्यों में सेक्स रेशियो यानी लिंग अनुपात में भारी अंतर देखने मिलता है। ज्यादातर पूर्वी और उत्तरी राज्यों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। वहीं 100 जिले की महिलाएं निरक्षर यानी बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नहीं हैं। महिलाओं को स्कूल इनरॉलमेंट पुरुषों की अपेक्षा 50 % तक कम है।
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