इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को रूस से आग्रह किया कि मॉस्को द्वारा COVID-19 वैक्सीन का तेजी से उत्पादन शुरू करने की योजना की घोषणा करने के बाद सुरक्षित और प्रभावी टीकों के उत्पादन के लिए स्थापित दिशा-निर्देशों का पालन करें। डब्ल्यूएचओ ने जोर दिया कि सभी वैक्सीन उम्मीदवारों को रोल आउट होने से पहले परीक्षण के पूर्ण चरणों से गुजरना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने संयुक्त राष्ट्र में जिनेवा में संवाददाताओं से कहा कि “वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए कुछ दिशा-निर्देश हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, “इस उद्देश्य के लिए कोई भी टीका या दवा, निश्चित रूप से, रोल-आउट के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से पहले सभी परीक्षणों से गुजरना चाहिए।’
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जताई शंका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), पहले ही रूस की इस कोरोना वैक्सीन को लेकर संदेह जता चुका है। इसके अलावा अब तो ब्रिटेन ने रूस की इस वैक्सीन को उपयोग करने से साफ मना कर दिया है। दरअसल, अमेरिका और ब्रिटेन सहित तमाम देशों के एक्सपर्ट्स वैक्सीन की प्रभावशीलता और सेफ्टी पर शंका जता रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूस ने अभी तक अपने पहले नैदानिक परीक्षणों से कोई वैज्ञानिक डेटा प्रकाशित नहीं किया है। इस वजह से सभी देश इसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। ग्लोबल हेल्थ प्रोग्राम के निदेशक थॉमस बोल्स्की ने कहा कि “यदि टीकों का सही तरीके से परीक्षण नहीं किया जाता है, तो इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पैदा हो सकते हैं। साथ ही इस स्थिति में वैक्सीन पर लोगों का भरोसा भी कम हो सकता है।’ फाइनल स्टेज स्टडी, जिसमें आमतौर पर हजारों लोग शामिल होते हैं, जिससे साबित होता है कि कोई प्रयोगात्मक टीका कितना सुरक्षित है और वास्तव में काम करता है या नहीं।
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