विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा नया फ्लू वायरस पर निगरानी जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा: “यूरेशियन एवियन-जैसे स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस को एशिया में स्वाइन आबादी में सर्कुलेट होने के लिए जाना जाता है जो मनुष्यों को थोड़ा-बहुत संक्रमित करता है। एक साल में दो बार होने वाली इन्फ्लूएंजा वैक्सीन कम्पोजीशन मीटिंग के दौरान वायरस पर सभी जानकारी की समीक्षा की गई है और नए टीके की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। डब्लूएचओ (WHO) ने कहा कि इस नए स्ट्रेन में क्या नया हैं, यह समझने के लिए हमें रिसर्च पेपर को ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है। “यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि हम इन्फ्लूएंजा को लेकर ढीले नहीं पड़ सकते हैं। हमें कोविड-19 महामारी के दौरान भी सतर्क रहने और निगरानी जारी रखने की आवश्यकता है।’
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2009 स्वाइन फ्लू महामारी
डब्ल्यूएचओ ने 2009 में टाइप ए एच1एन1 इन्फ्लूएंजा वायरस (type A H1N1 influenza virus) के प्रकोप को एक महामारी घोषित किया था। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, “टाइप ए इन्फ्लूएंजा वायरस से उत्पन्न सूअरों की एक श्वसन बीमारी है जो नियमित रूप से सूअरों में इन्फ्लूएंजा के प्रकोप का कारण बनती है। इन्फ्लुएंजा वायरस जो आमतौर पर सूअर में फैलते हैं, उन्हें “स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस’ या “स्वाइन फ्लू वायरस’ कहा जाता है। मानव इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह ही पिग इन्फ्लूएंजा वायरस के कई उप-प्रकार और स्ट्रेन हैं।
स्वाइन फ्लू एक वायरस है जिससे सूअर संक्रमित हो सकते हैं। जबकि जो मनुष्य सूअरों के बीच रहते हैं वे आमतौर पर ऐसे वायरस से संक्रमित नहीं होते हैं और अगर ऐसा होता है, तो इसे “वैरिएंट इन्फ्लूएंजा वायरस (variant influenza virus)’ कहा जाता है। सीडीसी के अनुसार, आमतौर पर जब व्यक्ति संक्रमित सूअरों के संपर्क में आता है तो वह इस वायरस से संक्रमित हो सकता है।