जिस रफ्तार से भारत की आबादी बढ़ रही है उसे देखते हुए यूनाइटेड नेशन ने अनुमान लगाया है कि 2025 से 2030 के बीच में भारत जनसंख्या के मामले में चीन से भी आगे निकल जाएगा और भारत की आबादी करीब 1 अरब 65 करोड़ के आसपास होगी। जबकि पूरी दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ के लगभग होने का अनुमान है। फिलहाल चीन आबादी के मामले में पूरी दुनिया में नंबर एक है, दूसरे स्थान पर भारत और तीसरे नंबर पर अमेरिका है। फिलहाल हमारे देश की आबादी 130 करोड़ है और इस लिहाज से यदि स्वास्थ्य सुविधाओं को देखें तो वह ऊंट के मुंह में जीरे के सामान है। ऐसे में ज़रा सोचिए यदि इसी तरह बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में स्थिति कितनी बिगड़ सकती है। जो क्वालिटी लाइफ हम चाहते हैं क्या वह संभव होगा?
देश में उठती रही है जनसंख्या नियंत्रण की मांग
देश के शिक्षित तबके को छोड़ दिया जाए तो गांव और छोटे शहरों में बढ़ती आबादी को लेकर लोगों में किसी तरह की जागरुकता नहीं है। लेकिन समाज का एक तबका अब देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग करने लगा है। वैसे देखा जाए तो सरकार की ओर से हम दो हमारे दो का नारा तो सालों पहले ही दिया गया था, लेकिन लोग इसे अमल में नहीं ला रहे। कई बार बेटे की आस में लोग फैमिली प्लानिंग को पूरी तरह से भूला देते हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए तो लगता है यदि सरकार की ओर से फैमिली प्लानिंग (Family Planning) को लेकर सख्त कानून नहीं बनाया जाएगा तो इस देश की आबादी पर लगाम लगाना शायद नामुमकिन होगा।
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भारत में फैमिली प्लानिंग की राह की चुनौतियां
विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) का मकसद तभी पूरा हो पाएगा जब सही तरीके से फैमिली प्लानिंग की जाए, लेकिन हमारे देश में फैमिली प्लानिंग निम्न कारणों से मुश्किल हैः
पुरुषों में जागरुकता की कमी
महिलाओं की तुलना में पुरुष फैमिली प्लानिंग को लेकर बहुत सीरियस नहीं हैं। यहां तक कि संबंध बनाने के दौरान भी वह सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते हैं। नसबंदी के मामले में भी पुरुष महिलाओं से पीछे हैं। हालांकि एक अच्छी बात यह है कि पहले के मुकाबले अब महिलाओं फैमिली प्लानिंग की अहमियत समझने लगी हैं।
बच्चे के बारे में फैसले का अधिकार महिलाओं को न होना
हमारे देश में आज भी प्रेग्नेंसी प्लान (Pregnancy Planning) करना महिलाओं की मर्जी पर निर्भर नहीं करता। कई ऐसी महिलाएं है जो बस यूं ही या परिवार के दबाव में आकर प्रेग्नेंसी प्लान कर लेती हैं। कुछ तो इसलिए बार-बार प्रेग्नेंट हो जाती है क्योंकि उनके पति प्रोटेक्शन नहीं लेते और वह खुद कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करने की हालत में नहीं होती या उन तक पहुंच नहीं होती। ऐसा ग्रामीण महिलाओं के साथ होता है।
बेटे का मोह
जिनकी पहले दो बेटियां हैं, बावजूद इसके परिवार की ओर से बेटे की चाह में बार-बार प्रेग्नेंसी प्लान (Pregnancy Planning) करने का प्रेशर रहता है और यह स्थिति आज भी बहुत बदली नहीं है।
शिक्षा का अभाव
हमारे देश की एक बड़ी आबादी आज भी अशिक्षित है ऐसे में उन्हें जनसंख्या नियंत्रण की अहमियत और परिवार नियोजन की ज़रूरत के बारे में समझ ही नहीं है।
कानून बनाकर, लोगों को शिक्षित या जागरुक करके यदि जल्द ही जनसंख्या को बढ़ने से रोका नहीं गया तो, गरीबी, भूख और कुपोषण की समस्या और गहराती जाएगी। कोरोना के इस मुश्किल समय में खासतौर पर देश के युवाओं को परिवार नियोजन और सुरक्षित सेक्स (Safe sex) के प्रति जागरुक करके बढ़ती आबादी की समस्या पर लगाम लगाना ज़रूरी है ताकि आने वाले समय में बेहतर ज़िंदगी का सबका सपना पूरा हो सके।